गलवान में हुई हिंसा और लद्दाख में चीन की घुसपैठ के बाद उसका नाम लेने तक से कतराती रही मोदी सरकार को शायद अंदाजा नहीं है कि ड्रैगन कितनी तेज़ी से भारत की सीमा के पास निर्माण कर रहा है। ताज़ा जानकारी यह है कि भारत-चीन और भूटान के बॉर्डर जहां पर मिलते हैं, वहां से 5 किमी दूर ही चीन ने कम से कम तीन गांव बसा लिए हैं। यह अरूणाचल प्रदेश का पश्चिमी इलाक़ा है, जहां चीन लगातार इस तरह की हरक़तें कर रहा है।
पिछले महीने ही यह ख़बर आई थी कि चीन ने भूटान की सीमा के क़रीब ढाई किलोमीटर अंदर एक गांव बसा लिया है और 9 किमी. अंदर तक सड़क बना ली है। इस बात की जानकारी चीन के सरकारी मीडिया सीजीटीएन के एक वरिष्ठ प्रोड्यूसर शेन शिवेई ने गांव की कई तसवीरें पोस्ट करके दी थी। उन्होंने तसवीरों के साथ लिखा था कि हमारे पास स्थायी रूप से नवस्थापित पंगड़ा गांव के निवासी हैं। हंगामा होने के बाद शेन शिवेई ने उस ट्वीट को डिलीट कर दिया था।
एनडीटीवी के मुताबिक़, अब कुछ नई सैटेलाइट तसवीरों से पता चला है कि इस इलाक़े में 17 फ़रवरी, 2020 तक एक गांव था। दूसरी तसवीर, 28 नवंबर, 2020 की है जिससे यह पता चलता है कि यहां पर तीन गांव बसा लिए गए हैं और कम से कम 50 ढांचे मौजूद हैं। एनडीटीवी के मुताबिक़, यहां पर एक और इलाक़े को बसाया गया है जिसमें 10 ढांचे हैं। ये सभी गांव या इलाक़े एक दूसरे से एक किमी की दूरी पर हैं और सड़कों से जुड़े हुए हैं।
लोगों को हटाने की योजना
बम ला पास में हुए इस निर्माण को लेकर चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने इस साल अगस्त में एक रिपोर्ट छापी थी और इसमें कहा गया था कि अरूणाचल प्रदेश की सीमा के नजदीक निर्माण का काम किया जा रहा है। यहां पर बने नए घरों में पानी, बिजली और इंटरनेट की भी सुविधा है। यहां पर स्थित कोना नाम के इलाक़े की भारत के साथ 213 किमी. की सीमा लगती है। यहां से 960 परिवारों के 3,222 लोगों को हटाने की योजना है।
चीनी मामलों के जानकार ब्रह्म चेलानी ने एनडीटीवी से कहा, ‘चीन इस क्षेत्र पर अपने दावों को मजबूत करने और सीमा पर घुसपैठ बढ़ाने के लिए कम्युनिस्ट पार्टी के हैन चाइनीज और तिब्बत के सदस्यों को भारत की सीमा से लगते इलाक़ों में बसा रहा है।’
विस्तारवादी चीन
चीन अरूणाचल प्रदेश पर अपना दावा करता रहा है। विस्तारवाद की मंशा के कारण ही तिब्बत और ताइवान पर कब्जा करके बैठा चीन लगातार भारत की सीमाओं में अशांति के हालात बनाने की कोशिश कर रहा है। गलवान हिंसा के बाद से अब तक कई दौर की सैन्य, राजनीतिक वार्ताओं के बाद भी वह लद्दाख से लौटने के लिए तैयार नहीं दिखता, हालांकि वह इसका भरोसा ज़रूर देता है। रक्षा मामलों के जानकार कहते हैं कि उसकी बातों पर भरोसा नहीं किया जाना चाहिए।
विस्तारवाद की इसी मंशा के कारण चीन ने गलवान घाटी, पैंगॉन्ग त्सो, हॉट स्प्रिंग्स, डेमचोक, फाइव फिंगर्स में घुसपैठ की और एलओसी को बदलने की कोशिश की। यही काम वह चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर के जरिये पाकिस्तान में भी कर रहा है और बलोचिस्तान और पीओके में उसके द्वारा किए जा रहे निर्माण के कारण वहां के बाशिंदे इमरान सरकार और उसका विरोध कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ महीने पहले लद्दाख में जवानों को संबोधित करते हुए विस्तारवाद को लेकर चीन पर निशाना साधा था। चीन और भारत के बीच विवाद का मुख्य कारण चीन का सीमांत इलाक़ों में लगातार ढांचागत काम करते रहना भी है। इसके जवाब में भारत ने भी सीमाई इलाक़ों में बेहतर सड़कें और जवानों के लिए ज़रूरी सुविधाओं का विस्तार किया है।