चीन आख़िर भारत से चाहता क्या है? रिश्ते सुधारना या फिर रिश्ते सुधारने की आड़ में एलएसी पर हरकत करता जारी रखना? क़रीब पाँच साल पहले लद्दाख क्षेत्र में दोनों देशों के सैनिकों की झड़प के बाद पहली बार देपसांग, डेमचोक में गश्त फिर से शुरू ही हुई है कि अब फिर से पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में एलएसी पर चीन ने हरकत शुरू कर दी है। चीन ने भारतीय सेना के स्थापना दिवस से कुछ दिन पहले, ऊंचाई वाले पठारी क्षेत्र में युद्ध अभ्यास किया। यह अभ्यास एक तरह से कठिन हालात में तैयारी और रसद सहायता पर अपनी स्थिति को मज़बूत करने के लिए था।
मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी यानी पीएलए झिंजियांग मिलिट्री कमांड की एक रेजिमेंट की अगुवाई में यह युद्ध अभ्यास किया गया। इसमें सैनिकों की गतिशीलता और सहनशक्ति बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किए गए सभी इलाक़ों में चलने वाले वाहन, मानव रहित सिस्टम, ड्रोन और एक्सोस्केलेटन सहित उन्नत सैन्य तकनीक का इस्तेमाल किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि अभ्यास के मद्देनजर भारतीय सशस्त्र बलों ने भारत-चीन सीमा पर अपनी सतर्कता बढ़ा दी है। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सोमवार को ही कहा भी है कि एलएसी के पार की स्थिति संवेदनशील लेकिन स्थिर है।
ये अभ्यास केवल प्रशिक्षण अभ्यास नहीं हैं; वे रणनीतिक मुद्रा के रूप में काम करते हैं, जो विवादित क्षेत्रों में सेना को तेजी से जुटाने और बनाए रखने की चीन की क्षमता का संकेत देते हैं।
भारत के लिए ये घटनाक्रम सतर्कता बनाए रखने और लद्दाख में अपने सैन्य आधुनिकीकरण प्रयासों को आगे बढ़ाने का महत्व बताते हैं। भारतीय सेना भी शीतकालीन युद्ध अभ्यास कर रही है, बुनियादी ढांचे को उन्नत कर रही है और किसी भी संभावित चीनी आक्रमण का मुकाबला करने के लिए उन्नत निगरानी प्रणाली तैनात कर रही है।
चीन का यह सैन्य अभ्यास ऐसे समय में हुआ है जब भारत और चीन अक्टूबर 2024 में एक सफल डिसइंगेजमेंट समझौते के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर शांति लाने के प्रयास में हैं। वैसे एलएसी पर शांति बेहद नाज़ुक स्थिति में बनी रही है। खासकर, 5 मई 2020 के बाद। तब चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की थी। इसका नतीजा यह हुआ था कि बाद में 15 जून को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। कई चीनी सैनिकों के मारे जाने की भी ख़बरें आई थीं।
दोनों देशों ने बड़े पैमाने पर एलएसी के आसपास बड़ी संख्या में सैनिक तैनात कर दिए थे और स्थायी ढाँचे बना लिए थे। हालात बेहद नाज़ुक हो गए थे। उस घटना के बाद से ही रिश्ते सुधारने और डिसइंगेजमेंट के लिए प्रयास शुरू किए गए।
भारत ने 21 अक्टूबर को घोषणा की थी कि उसने एलएसी पर गश्त करने के लिए चीन के साथ एक समझौता किया है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने यह घोषणा की थी। यह घटनाक्रम तब हुआ जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22-23 अक्टूबर को 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए रूस की यात्रा करने वाले थे। मिस्री ने कहा था कि इससे पीछे हटने और 2020 में इन क्षेत्रों में उठे मुद्दों का समाधान करने की ओर वे आगे बढ़ रहे हैं।
सैनिकों की वापसी के प्रयासों को अंतिम रूप देने के लिए भारत और चीन के स्थानीय सैन्य कमांडरों ने 30 अक्टूबर को वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर देपसांग और डेमचोक में बैठक की थी। यह पुष्टि करने के लिए कि अस्थायी प्रतिष्ठानों को हटा दिया गया और सैनिकों की योजना के अनुसार वापसी हुई, मानव रहित हवाई वाहनों यानी यूएवी को तैनात किया गया। डेपसांग और डेमचोक दोनों से टेंट, अस्थायी संरचनाएँ और वाहन पूरी तरह से हटा दिए गए। एक साथ डिसइंगेजमेंट और सत्यापन प्रक्रियाएं सावधानीपूर्वक की गईं। इसे एलएसी पर शांति और स्थिरता बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
भारत-चीन डिसइंगेजमेंट समझौता
भारत-चीन डिसइंगेजमेंट समझौता 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद से बढ़े तनाव को कम करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया के तहत भारत और चीन दोनों ने देपसांग और डेमचोक सहित संवेदनशील क्षेत्रों में गश्त फिर से शुरू करने पर सहमति जताई। समझौते के बाद भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच उच्च स्तरीय वार्ता हुई। ये चर्चाएँ एलएसी मुद्दे के व्यापक समाधान पर केंद्रित थीं, जिसमें एक स्थिर और शांतिपूर्ण सीमा ढांचे की ज़रूरत पर जोर दिया गया।
हालाँकि, ये कूटनीतिक क़दम आशाजनक हैं, लेकिन स्थिति अभी भी अनिश्चित बनी हुई है, दोनों राष्ट्र कठोर परिस्थितियों में भी महत्वपूर्ण सैन्य तैनाती बनाए हुए हैं। भारत के सेना प्रमुख के बयान से भी इसको समझा जा सकता है।
स्थिति संवेदनशील लेकिन स्थिर: सेना प्रमुख
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भारत-चीन सीमा पर सैनिकों की वापसी के प्रयासों पर कहा कि एलएसी के पार की स्थिति संवेदनशील लेकिन स्थिर है। सेना प्रमुख ने आगे कहा कि पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक में पारंपरिक क्षेत्रों में गश्त और चराई शुरू हो गई है और यह नियमित रूप से हो रही है। जनरल द्विवेदी ने आगे कहा, 'हमारी तैनाती संतुलित और मजबूत है; हम किसी भी स्थिति से निपटने में सक्षम हैं।' एलएसी के भविष्य के बारे में बात करते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि वे वर्तमान में सीमा के बुनियादी ढांचे और क्षमता विकास को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'मैंने अपने सभी सह-कमांडरों को गश्त और चराई के संबंध में जमीनी स्तर पर इन मुद्दों को संभालने के लिए अधिकृत किया है ताकि इन कम महत्वपूर्ण मुद्दों को सैन्य स्तर पर ही हल किया जा सके। एलएसी पर हमारी तैनाती संतुलित और मजबूत है। हम किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।'