कोरोना की तीसरी लहर के आने की आशंका के बीच राज्य लॉकडाउन में ढील देते जा रहे हैं और बाज़ारों में भीड़ बढ़ती जा रही है। ऐसे में संक्रमण फैलने से कैसे रुकेगा?
इसके लिए केंद्र सरकार ने क्या रणनीति तैयार की है, यह जानने से पहले पहले यह पढ़िए कि हालात क्या हैं। तेलंगाना में पूरी तरह से लॉकडाउन हटा दिया गया, सभी पाबंदियाँ हटा दी गईं और स्कूल-कॉलेज तक को खोलने की घोषणा कर दी गई है। दिल्ली, बिहार, यूपी, राजस्थान सहित दूसरे राज्यों में भी लॉकडाउन में ढील दी जा रही है। बाज़ार खुल रहे हैं। ये पाबंदियाँ तब हटाई जा रही हैं जब देश में कोरोना बेहद ख़तरनाक वैरिएंट डेल्टा फैला हुआ है और इसके भी एक नये रूप डेल्टा प्लस के कई मामले आ चुके हैं। डेढ़-दो महीने में तो कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है।
एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि यह तो आएगी ही। यानी तीसरी लहर को टाला नहीं जा सकता है। उन्होंने तो यह भी कह दिया कि यह 6-8 हफ़्ते में आ सकती है। देश में हर रोज़ क़रीब 60 हज़ार संक्रमण के मामले आ रहे हैं। पहले हर रोज़ 4 लाख से भी ज़्यादा मामले आने लगे थे। अब पॉजिटिव केस कम होने के बाद राज्यों में लॉकडाउन में ढील दी जा रही है और लोग घरों से बाहर निकलने लगे हैं। बाज़ारों में बढ़ती भीड़ और कोरोना प्रोटोकॉल की उड़ती धज्जियों के मद्देनज़र दिल्ली हाई कोर्ट ने भी कहा है कि कोरोना प्रोटोकॉल के टूटने से इस महामारी की तीसरी लहर जल्दी आ जाएगी।
इन्हीं हालातों को देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्यों के लिए कुछ निर्देश जारी किए हैं। इसने कहा है कि जब लॉकडाउन हटाने की प्रक्रिया अपनाई जाए तो बाज़ारों में भीड़ बढ़ने नहीं दिया जाए और पाँच स्तरीय रणनीति- कोरोना नियमों का पालन, टेस्ट- ट्रैक-ट्रीट और टीकाकरण की अपनाई जाए।
सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखे पत्र में केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा है कि वर्तमान हालात में कोरोना के ख़िलाफ़ टीकाकरण संक्रमण की कड़ी को तोड़ने के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इसलिए सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को टीकाकरण की गति तेज़ करनी चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोगों को तेज़ी से सुरक्षित किया जा सके।
अधिकारी ने कहा है कि चूँकि संक्रमण के मामले कम हो रहे हैं तो लॉकडाउन में ढील भी दी जानी चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोरोना प्रोटोकॉल की पालना नहीं किया जाए। कोरोना के प्रति बेफिक्र नहीं होना होगा और लापरवाही भारी पड़ सकती है।
देश में तीसरी लहर आने की आशंका एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने भी जताई है। उन्होंने कहा है कि जैसा कि हमने अनलॉक करना शुरू कर दिया है, फिर से कोरोना प्रोटोकॉल की पालना में कमी है। उन्होंने कहा, 'पहली और दूसरी लहर के बीच जो हुआ उससे हमने सीखा नहीं है। फिर से भीड़ बढ़ रही है... लोग इकट्ठा हो रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर मामलों की संख्या बढ़ने में कुछ समय लगेगा। तीसरी लहर अपरिहार्य है और यह अगले छह से आठ सप्ताह के भीतर देश में प्रवेश कर सकती है ...थोड़ी देर भी हो सकती है।'
एम्स प्रमुख ने कहा कि डेल्टा वैरिएंट के नये रूप डेल्टा प्लस वैरिएंट से चिंता बढ़ी है क्योंकि संकेत मिलते हैं कि इस पर मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज कॉकटेल दवा निष्क्रिय साबित हो रही है। इस दवा के बारे में कहा जा रहा है कि यह कोरोना मरीज पर एक दिन में ही काफ़ी ज़्यादा प्रभावी साबित हो रही है।
इसी डेल्टा प्लस वैरिएंट को लेकर ही महाराष्ट्र में अब कोरोना की तीसरी लहर का डर है। राज्य के टास्क फोर्स ने आशंका जताई है कि यदि कोरोना को लेकर लापरवाही बरती गई तो एक या दो महीने में वह लहर आ जाएगी। राज्य के स्वास्थ्य कर्मियों ने कहा है कि पहली लहर से कहीं ज़्यादा संक्रमण के मामले दूसरी लहर में आए थे और ऐसा डेल्टा वैरिएंट की वजह से हुआ था। उन्होंने आशंका जताई है कि तीसरी लहर में और ज़्यादा संख्या में कोरोना के मरीज़ आ सकते हैं।
कोरोना की इस संभावित तीसरी लहर को रोकने के लिए डॉ. गुलेरिया ने टीकाकरण पर जोर दिया। हाल के दिनों में शोध में यह बात सामने आई है कि कोरोना वैक्सीन की दोनों खुराक लेने पर यदि संक्रमण होता भी है तो अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत नहीं पड़ रही है। हालाँकि वैक्सीन की कमी के मद्देनज़र डॉ. गुलेरिया कहते हैं कि कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच अंतर बढ़ाना भी बुरा विचार नहीं है जिससे ज़्यादा लोगों को सुरक्षा मिल पाएगी। हाल के दिनों में कोविशील्ड की दो खुराकों के अंतराल पर विवाद रहा है। तीन वैज्ञानिकों ने ही आरोप लगाया था कि उनकी सहमति के बिना ही खुराक का अंतराल बढ़ाकर 12-16 हफ़्ते कर दिया गया था।
बहरहाल, सबसे बड़ी चिंता जल्द से जल्द लोगों को टीका लगाने की तो है ही, लेकिन संभावित तीसरी लहर के मद्दनेज़र दूसरी तैयारियाँ भी काफ़ी अहम हैं। डॉ. गुलेरिया ने कोरोना के म्यूटेशन यानी नये वैरिएंट को लेकर एक बड़ी पहल करने और जीनोम सिक्वेंसिंग को बड़े पैमाने पर बढ़ाने पर जोर दिया। इसके साथ ही उन्होंने कोरोना प्रोटोकॉल को पालन करने और अस्पतालों में व्यवस्था बढ़ाने पर भी जोर दिया है।