अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक महिला द्वारा गैंगरेप का आरोप लगाए जाने के बाद वरिष्ठ आईएएस अधिकारी जितेंद्र नारायण को केंद्र ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। जब पीड़िता महिला ने आरोप लगाया था तब जितेंद्र नारायण द्वीप के मुख्य सचिव थे। आरोप इनके अलावा एक अन्य नौकरशाह आरएल ऋषि पर भी लगा था।
इस महीने की शुरुआत में पुलिस में मामला दर्ज किया गया था। महिला ने आरोप लगाया था कि इस साल अप्रैल और मई में दो बार उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार 21 वर्षीय पीड़िता ने कहा था कि वह नौकरी की तलाश में थी और किसी ने उसे एक होटल मालिक के ज़रिए आरएल ऋषि से मिलवाया था। वह कथित तौर पर उसे जितेंद्र नारायण के घर ले गये थे।
पीड़िता ने आरोप लगाया है कि पूर्व मुख्य सचिव के घर पर उसे पुरुषों ने सरकारी नौकरी का आश्वासन दिया और फिर सामूहिक बलात्कार किया।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि सरकार अपने अधिकारियों की अनुशासनहीनता के प्रति जीरो-टॉलरेंस सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है, ख़ासकर महिलाओं की गरिमा से जुड़े मामलों में। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार मंत्रालय को रविवार को अंडमान और निकोबार पुलिस से नारायण व अन्य द्वारा एक महिला के कथित यौन उत्पीड़न के संबंध में एक रिपोर्ट मिली है।
रिपोर्ट के अनुसार 22 अगस्त को पोर्ट ब्लेयर के एबरडीन पुलिस स्टेशन में 1 अक्टूबर को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी और पुलिस ने उसके आरोपों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल यानी एसआईटी का गठन किया है।
नारायण वर्तमान में दिल्ली वित्तीय निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार संपर्क किए जाने पर नारायण ने कहा है कि वह 'बेतुके' आरोपों पर टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे।
महिला की शिकायत में कहा गया है कि पोर्ट ब्लेयर में नारायण के आधिकारिक आवास पर अप्रैल और मई में रात में दो मौक़ों पर उसके साथ दुष्कर्म किया गया। महिला ने अपनी शिकायत में कहा है कि नौकरी की तलाश में एक होटल मालिक के माध्यम से उसका परिचय श्रम आयुक्त से कराया गया और आयुक्त उसे मुख्य सचिव के आवास पर ले गये थे।
उसने शिकायत में आरोप लगाया कि दो हफ़्ते बाद उसे रात 9 बजे फिर से मुख्य सचिव के आवास पर बुलाया गया और हमला दोहराया गया। उसे इस मामले के बारे में किसी से बात करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई।