चुनावों से पहले विपक्षी दलों पर केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई क्यों?

04:45 pm Apr 04, 2021 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

तमिलनाडु में 6 अप्रैल को होने वाले विधानसभा चुनाव से चार दिन पहले डीएमके नेता एम के स्टालिन के रिश्तेदार के घर आयकर छापे ने फिर से एक विवाद को जन्म दिया। आरोप लगे कि चुनाव में फायदे के लिए केंद्र के इशारे पर यह कार्रवाई की गई है। कई नेताओं के अलावा डीएमके प्रमुख एम के स्टालिन ने भी ये आरोप लगाए। वैसे, यह कोई पहली बार नहीं है कि ऐसे आरोप लगे हैं। चाहे लोकसभा चुनाव हों या राज्यों में विधानसभा के चुनाव, केंद्रीय एजेंसियों- ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग द्वारा विपक्षी दलों के नेताओं पर कार्रवाई के बाद से सवाल उठते रहे हैं। ये एजेंसियाँ इन आरोपों को खारिज भी करती रही हैं। बीजेपी तो आरोपों को नकारती ही रही है। तो फिर विपक्षी दलों के इन आरोपों में कितना दम है?

इस सवाल का जवाब पक्के तौर पर देना मुश्किल है। लेकिन उन कार्रवाइयों से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि क्या विपक्षों दलों के नेताओं के आरोप सही हैं या फिर वे आगे की कार्रवाई से बचने के लिए विक्टिम कार्ड खेलते रहे हैं?

ताज़ा मामला तो तमिलनाडु में डीएमके नेता स्टालिन की बेटी और उनके दामाद के चार ठिकानों पर आयकर विभाग की कार्रवाई का है। यह कार्रवाई चुनाव से 4 दिन पहले की गई। पिछले महीने डीएमके के वरिष्ठ नेता और उम्मीदवार ईवी वेलु के यहाँ छापे मारे गए थे। वह चुनाव में उम्मीदवार हैं। इससे पहले पिछले साल सितंबर में सीबीआई ने कुछ बैंक अधिकारियों और डीएमके के अधिकारी पूनजोलई श्रीनिवासन के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था। सितंबर में ईडी ने कथित रूप से विदेशी मुद्रा उल्लंघन के एक मामले में डीएमके सांसद एस जगतरक्षकन और उनके परिवार से संबंधित 89 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त की थी। एक महीने बाद इसने मामले में एक और डीएमके सांसद गौतम सिगमनी की 8.6 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की थी।

ममता बनर्जी का भतीजा

पश्चिम बंगाल में 2021 में विधानसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी के घर सीबीआई पहुँची थी तब भी सवाल उठे थे। सीबीआई ने 21 फ़रवरी को अभिषेक बनर्जी की पत्नी रूजीरा नरूला के ख़िलाफ़ कार्रवाई की थी। नरूला से कोयला तस्करी मामले की जाँच में शामिल होने को कहा गया था। आरोप यह है कि कोयला माफिया ने बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को नियमित रूप से घूस दी। कार्रवाई किए जाने तक यह साफ़ नहीं किया गया था कि नरूला पर क्या आरोप हैं। इसने अभिषेक के रिश्तेदार अंकुश अरोड़ा, पवन अरोड़ा को भी तलब किया।

मार्च में ही ईडी ने राज्य मंत्री पार्थ चटर्जी और पूर्व मंत्री मदन मित्रा को चिट फंड से संबंधित दो अलग-अलग मामलों में बुलाया था। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों टीएमसी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। मार्च में ही टीएमसी के जोरासांको उम्मीदवार विवेक गुप्ता से सारदा चिट फंड घोटाले के सिलसिले में कई घंटों तक पूछताछ की गई थी।

केरल के मुख्यमंत्री

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के प्रमुख सचिव एम शिवशंकर से सितंबर में एनआईए ने पूछताछ की थी और उन्हें अक्टूबर में ईडी ने गिरफ्तार किया था। जुलाई 2020 में एनआईए ने सोने की तस्करी के एक मामले में सख्त यूएपीए के तहत एफ़आईआर दर्ज की। इस साल के विधानसभा चुनावों से पहले सीमा शुल्क विभाग और ईडी ने कहा कि सोना मामले में मुख्य आरोपी स्वप्ना सुरेश ने दावा किया था कि तस्करी सीएम पिनराई विजयन के इशारे पर की गई थी। पिछले साल 29 अगस्त को ईडी ने सीपीएम के राज्य सचिव कोडिएरी बालाकृष्णन के बेटे को कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बेंगलुरु से गिरफ्तार किया था। इसने बालाकृष्णन को अपना पद छोड़ने के लिए मजबूर किया।

पिछले महीने की शुरुआत में ईडी ने केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड के अधिकारियों को पूछताछ के लिए तलब किया था, जिनमें सीएम विजयन अध्यक्ष हैं।

शरद पवार पर कार्रवाई

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से एक महीने पहले सितंबर 2019 में ईडी ने महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाले के सिलसिले में एनसीपी प्रमुख शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार के ख़िलाफ़ कथित मनी लॉउन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था। इस मामले में अब भी जाँच चल रही है। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2019 में ईडी ने एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे से कोहिनूर सीटीएनएल नामक कंपनी से जुड़े एक मामले में कथित मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर पूछताछ की थी। इसमें भी जाँच ही चल रही है।

डी के शिवकुमार की गिरफ़्तारी

कर्नाटक में 2 अगस्त और 5 अगस्त 2017 के बीच आयकर विभाग ने कांग्रेस सरकार में तत्कालीन ऊर्जा मंत्री डी के शिवकुमार से जुड़े क़रीब 70 परिसरों की तलाशी ली थी। 8 अगस्त को होने वाले राज्यसभा चुनाव में गुजरात कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल की मदद करने की कोशिश में शिवकुमार बेंगलुरु के पास एक रिसॉर्ट में गुजरात के 42 कांग्रेस विधायकों के दल को ठहराए हुए थे।

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार, 2017 की तलाशी के आधार पर चुनाव से पहले 2018 में शिवकुमार के ख़िलाफ़ कर चोरी जैसी शिकायत दर्ज की थी। सितंबर 2019 में शिवकुमार को ईडी द्वारा 2018 में दर्ज एक कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था। सीबीआई ने भी शिवकुमार के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है।

गहलोत के क़रीबी निशाने पर

पिछले साल जुलाई में सत्तारूढ़ कांग्रेस में संकट के दौरान आयकर विभाग और ईडी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सहयोगियों के घरों और व्यवसायों की तलाशी ली थी। इसके साथ ही जुलाई में सीबीआई ने 23 मई को चूरू में पुलिस अधिकारी विष्णु दत्त बिश्नोई द्वारा कथित आत्महत्या के संबंध में पूर्व ओलंपियन और कांग्रेस विधायक कृष्णा पूनिया से पूछताछ की थी। ईडी ने एक कथित उर्वरक घोटाले के सिलसिले में अशोक गहलोत के भाई अग्रसेन गहलोत की संपत्तियों की तलाशी ली थी।

टीडीपी नेता पर कार्रवाई

नवंबर 2018 में आंध्र प्रदेश के चुनावों से पहले ईडी ने बैंक ऋण धोखाधड़ी से संबंधित कथित मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में टीडीपी सांसद वाईएस चौधरी पर छापा मारा। इसने उनकी कई लग्जरी कारों को भी जब्त कर लिया। अप्रैल 2019 में विधानसभा चुनावों के बाद चौधरी बीजेपी में शामिल हो गए।

टीडीपी सांसद सी.एम. रमेश, जिन पर चुनावों से पहले आयकर विभाग ने छापा मारा था, भी बीजेपी में शामिल हो गए।

जम्मू-कश्मीर में डीडीसी चुनाव

जम्मू-कश्मीर में डीडीसी चुनावों से पहले एनआईए ने पिछले साल 25 नवंबर को पीडीपी के युवा नेता वहीद-उर-रहमान पारा को एक कथित आतंकी मामले में गिरफ्तार किया था। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, डीडीसी चुनावों के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने के एक दिन बाद एनआईए ने पारा को तलब किया था। जेल में रहते हुए पारा ने चुनाव जीता। जमानत तो मिली लेकिन बाद में उन्हें जम्मू कश्मीर पुलिस काउंटर इंटेलिजेंस यूनिट द्वारा उठा लिया गया। वह तब से जेल में हैं।

डीडीसी चुनावों के दौरान ईडी ने मनी लाउंड्रिंग एक्ट के तहत पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला की संपत्तियों को कुर्क किया था। बता दें कि उन्हें गुप्कर घोषणा के लिए पीपुल्स अलायंस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जो मुख्यधारा के राजनीतिक दलों का एक समूह है। इसने 5 अगस्त, 2019 से पहले की जम्मू-कश्मीर की स्थिति की बहाली के लिए संघर्ष करने का फ़ैसला किया है।