कांग्रेस नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के रोहतक वाले घर में सीबीआई ने छापेमारी की है। छापे भूमि आवंटन में अनियमिताओं से जुड़े मामलों में मारे गये हैं। हुड्डा ख़िलाफ़ ज़मीन आवंटन से जुड़े दो मामलों में गड़बड़ियों के आरोप हैं। एक पंचकूला से तो दूसरा गुरुग्राम से जुड़ा है। इसके साथ ही सीबीआई की टीमें दिल्ली-एनसीआर में 30 से अधिक जगहों पर छापे मार रही हैं। लोकसभा चुनाव से ऐन पहले इस छापेमारी के बाद राजनीतिक सरगर्मियाँ तेज़ होने के आसार हैं।
बताया जाता है कि रोहतक के डी पार्क स्थित उनके आवास पर छापेमारी के समय भूपेंद्र सिंह हुड्डा घर में ही मौजूद थे। छापेमारी के दौरान किसी को भी अंदर से बाहर और बाहर से अंदर जाने की इजाज़त नहीं है।
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हुड्डा के ख़िलाफ़ सीबीआई दो मामलों में जाँच कर रही है। एक मामला पंचकूला में असोसिएटेड जर्नल लिमिटेड को प्लॉट आवंटन में गड़बड़ियों से जुड़ा है। दूसरा मामला गुरुग्राम में ज़मीन ख़रीद में गड़बड़ियों के आरोप से जुड़ा है जिसमें किसानों को भारी नुक़सान हुआ।
इन दोनों ही मामलों में सीबीआई ने पहले ही चार्जशीट दाखिल कर दी है। सीबीआई के आरोपों के आधार पर ही आरोपियों के ख़िलाफ़ ईडी प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लाउंड्रिंग एक्ट के तहत कार्रवाई भी कर चुका है।
पंचकूला में प्लॉट आवंटन मामले में हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने पिछले साल नवंबर में सीबीआई को चार्जशीट दाखिल करने की मंजूरी दी थी। ग़ौरतलब है कि उनपर चार्जशीट दाखिल करने के लिए राज्यपाल की अनुमति मिलनी जरूरी थी, जिसके कारण इसमें काफ़ी देरी हो रही थी। बीजेपी सरकार ने साल 2016 में यह मामला सीबीआई को सौंपा था।
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क्या है एजेएल का मामला
पंचकूला की यह ज़मीन एजेएल को पहले 30 अगस्त 1982 में आवंटित की गई थी। कंपनी ने छह महीने में ज़मीन पर कंस्ट्रक्शन नहीं किया तो इसे शर्तों का उल्लंघन माना गया। 30 अक्टूबर 1992 को पंचकूला के संपदा अधिकारी ने ज़मीन सरकार के नाम कर ली। इसके साथ ही 10 फ़ीसदी कटौती कर बाक़ी रुपये 10 नवंबर 1995 को कंपनी को लौटा दिए गए। इसका एजेएल ने विरोध किया, लेकिन कहीं से कोई राहत नहीं मिली। हालाँकि बाद में 28 अगस्त 2005 को पंचकूला की ज़मीन 1982 की दर पर ही एजेएल को दुबारा आवंटित कर दी गई। आरोप है कि ग़लत तरीक़े से ऐसा किया गया और क़ीमत कम आँकी गई। तब हुड्डा मुख्यमंत्री थे और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के चेयरमैन भी थे। आरोप लगे कि हुड्डा ने एजेएल को यह ज़मीन दोबारा आवंटित करवाने का रास्ता तैयार किया।
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