नौकरी के बदले जमीन मामले में सीबीआई की एक टीम मंगलवार को मीसा भारती के पिता और पूर्व रेल मंत्री लालू यादव से पूछताछ करने उनके दिल्ली स्थित आवास पर पहुंची। हालांकि घुटने की सर्जरी के बाद लालू प्रसाद की तबीयत ठीक नहीं है और वह बोल भी नहीं पा रहे हैं। सीबीआई ने इसी मामले में कल सोमवार को लालू की पत्नी और बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी से भी पूछताछ की थी। लालू यादव आरजेडी के संस्थापक हैं। हाल ही में लालू यादव ने 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने का संकल्प दोहराया है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार की तरह लालू भी विपक्षी एकता की कोशिश कर रहे हैं।
लालू यादव से सीबीआई की पूछताछ की टाइमिंग महत्वपूर्ण है। विपक्षी एकता की कोशिश बिहार से शुरू हुई थी। लालू प्रसाद यादव और सीएम नीतीश कुमार विपक्षी एकता की मुख्य धुरी हैं। बिहार में आरजेडी और जेडीयू का गठबंधन है और उसके आगे वहां बीजेपी की दाल नहीं गल पा रही है। पहले बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन था। लेकिन नीतीश ने दूरगामी राजनीति के तहत उस गठबंधन को तोड़कर आरजेडी से समझौता कर लिया। 2024 की जीत तय करने के लिए बिहार से बीजेपी को बढ़त मिलना जरूरी है। ऐसा नहीं हुआ तो सरकार बनाने की उसकी कोशिशों में बाधा आ सकती है। इसलिए इस समय बिहार राजनीति के केंद्र में है। ऐसा नहीं है कि बिहार के लोग इन छापों का मतलब समझ नहीं रहे हैं।
सोमवार को पटना में लालू यादव की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से जांच एजेंसी ने करीब चार घंटे तक पूछताछ की थी।
अपने पिता को किडनी दान करने वाली लालू की दूसरे नंबर वाली बेटी रोहिणी आचार्य ने बीमार लालू से सीबीआई पूछताछ पर कड़ा ऐतराज जताया है। रोहिणी में हिन्दी में किए गए ट्वीट में लिखा है - पापा को ये लोग तंग कर रहे हैं अगर उनके तंग करने के कारण उन्हें ज़रा भी परेशानी होगी तो दिल्ली की कुर्सी हिला देंगे। अब बर्दाश्त करने की सीमा जवाब दे रही है।
रोहिणी ने भी लिखा है कि पापा को तंग कर रहे हैं यह ठीक बात नहीं है। यह सब याद रखा जाएगा। समय बलवान होता है, उसमें बड़ी ताकत होती है। यह याद रखना होगा।
नाम न छापने की शर्त पर सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया को बताया कि वो केवल नए इनपुट और सबूतों के आधार पर आगे की जांच कर रही है।
दिल्ली की राउज एवेन्यू डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने राबड़ी देवी, लालू प्रसाद और अन्य को 15 मार्च को पेश होने के लिए समन जारी किया है। सीबीआई को मामले में लालू प्रसाद के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मिल गई है।
जनवरी में, सीबीआई ने संबंधित अदालत के सामने अभियोजन स्वीकृति पत्र प्रस्तुत किया। सीबीआई ने अक्टूबर में इस मामले में लालू प्रसाद, उनकी पत्नी, बेटी, तत्कालीन महाप्रबंधक, मध्य रेलवे, तत्कालीन सीपीओ, निजी व्यक्तियों और उम्मीदवारों सहित 16 अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।
जांच के दौरान सीबीआई ने कहा था कि आरोपियों ने मध्य रेलवे के तत्कालीन महाप्रबंधक और मध्य रेलवे के सीपीओ के साथ साजिश रचकर जमीन के बदले में या तो उनके नाम पर या उनके करीबी रिश्तेदारों के नाम पर लोगों को नियुक्त किया था।
यह भूमि प्रचलित सर्किल रेट से कम और बाजार दर से काफी कम कीमत पर अधिग्रहित की गई थी। सीबीआई ने चार्जशीट में आरोप लगाया है, उम्मीदवारों ने गलत टीसी का इस्तेमाल किया है और रेल मंत्रालय में झूठे प्रमाणित दस्तावेज जमा किए हैं।
यह पता चला कि राबड़ी देवी और बेटी हेमा यादव को नौकरी चाहने वालों ने जमीन उपहार में दी थी, जिन्हें बाद में रेलवे में नियुक्त किया गया था।रेलवे कर्मचारी हरिदयानंद चौधरी और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के तत्कालीन ओएसडी भोला यादव को सीबीआई ने पहले ही गिरफ्तार किया था। भोला 2004 से 2009 के बीच लालू के ओएसडी थे।
क्या है घोटाला
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि 2004-2009 की अवधि के रेलवे में ग्रुप डी की नौकरियों के बदले बतौर रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर जमीन की संपत्ति के ट्रांसफर के रूप में आर्थिक लाभ प्राप्त किया था। पटना के कई निवासियों ने स्वयं या अपने परिवार के सदस्यों के जरिए यादव परिवार और उनके परिवार द्वारा नियंत्रित एक निजी कंपनी के पक्ष में पटना स्थित अपनी जमीन बेची या उपहार में दी। सीबीआई के मुताबिक जोनल रेलवे में विकल्प की ऐसी नियुक्ति के लिए कोई विज्ञापन या कोई सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं किया गया था, फिर भी पटना के निवासी नियुक्तियों को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में विभिन्न क्षेत्रीय रेलवे दफ्तरों में विकल्प के रूप में नियुक्त किया गया था।
इस कार्यप्रणाली को जारी रखते हुए लगभग 1,05,292 वर्ग फीट जमीन, पटना में स्थित अचल संपत्तियां यादव और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा पांच बिक्री रजिस्ट्री और दो उपहार रजिस्ट्री के माध्यम से अधिग्रहित की गईं, जो कि अधिकांश भूमि ट्रांसफर में विक्रेता को भुगतान नकद में दिखाया गया है।
सीबीआई को कुछ ऐसे मामले मिले जहां उम्मीदवारों को कथित तौर पर नौकरी दी गई। उनके परिवार के सदस्यों ने लालू प्रसाद यादव के परिवार को जमीन ट्रांसफर की।