चीन ने एक बार फिर आतंकवादी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के सरगना मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के भारत के प्रयास में अड़ंगा लगा दिया। इसके बाद से ही भारत में ट्विटर पर हैशटैग #BoycottChineseProducts ट्रेंड कर रहा है। लोग चीन के बने उत्पादों को इस्तेमाल करने का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। मसूद अज़हर पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड है और फ़िलहाल पाकिस्तान में है।
योग गुरु बाबा रामदेव ने ट्वीट किया है कि चीन चीन तो विशुद्ध रूप से व्यावसायिक भाषा ही समझता है, हमें उसका आर्थिक बहिष्कार करना चाहिए और यह युद्ध से भी ज़्यादा ताक़तवर है।
रवि प्रकाश गुप्ता नाम के ट्विटर यूज़र ने योग गुरु रामदेव को जवाब देते हुए लिखा कि स्वामी जी हम चीनी उत्पादों से इस तरह घिर चुके हैं कि आपने यह ट्वीट जिस फ़ोन/कंप्यूटर से किया है, शायद वह या उसका कोई न कोई पार्ट चीन में ही बना हो सकता है।
कमाल ख़ान ने ट्वीट किया कि जो लोग #BoycottChineseProducts को ट्रेंड करा रहे हैं, उनमें से 80 प्रतिशत से ज़्यादा लोग चीन के बने मोबाइल फ़ोन का ही इस्तेमाल कर रहे हैं।
कृष्ण कांत सिंह नाम के ट्विटर यूज़र ने लिखा है कि जिस आतंकवादी ने पुलवामा में हुए हमले की ज़िम्मेदारी ली है और चीन उसे बचा रहा है, इसलिए हमें चीनी उत्पादों का बहिष्कार करना चाहिए।
पलक तिवारी नाम की ट्विटर यूज़र ने लिखा कि चीन आतंकवाद को सपोर्ट करता है और अब सभी भारतीयों को इसके उत्पादों का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए।
रूपेश नाम के ट्विटर यूज़र ने लिखा कि उन्होंने चीन में बने सोशल मीडिया ऐप #TikTok को अनइंस्टॉल कर दिया है और वह सभी भारतीयों से अपील करते हैं कि वे चीन में बने उत्पादों का बहिष्कार कर सबक सिखाएँ।
वरिष्ठ पत्रकार निशांत चतुर्वेदी ने ट्वीट किया है कि हमें पाकिस्तान को सबक सिखाना चाहिए, इससे चीन ख़ुद ही लाइन पर आ जाएगा और ऐसा तभी हो सकता है जब भारत आतंकवादी मसूद अज़हर को घर में घुस कर मार दे।
वाशिंगटन पोस्ट की पत्रकार निहा मसीह ने ट्वीट किया कि चीनी उत्पादों के बहिष्कार की अपील करने वाले लोग चीन में ही बने, श्याओमी, वीवो, ओप्पो, वावे और जियोनी कंपनी के मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल कर रहे हैं।
चीनी उत्पादों के इस्तेमाल के विरोध के बीच यह समझना भी ज़रूरी है कि चीन भारत का सबसे बड़ा कारोबारी सहयोगी है। चीन की ओर से भारत को आयात किए जाने वाले सामान में टीवी, कम्प्यूटर से जुड़े सामान, मोबाइल फ़ोन, कई तरह के गिफ़्ट आइटम्स आदि शामिल हैं। सरकारी आँकड़ों के मुताबिक़, 2017-18 में भारत से चीन को 13.4 अरब डॉलर (920 अरब रुपये) का सामान निर्यात हुआ, जबकि चीन से 76.4 अरब डॉलर (5348 अरब रुपये) का सामान आयात हुआ। 2015 में भारत ने चीन से 61 अरब डॉलर का सामान आयात किया था, जबकि भारत ने चीन को महज़ नौ अरब डॉलर का सामान निर्यात किया था। यह जानना भी ज़रूरी है कि चीन का सामान सस्ता है और भारतीय उत्पादों को वह अच्छी-ख़ासी टक्कर दे रहा है। चीनी उत्पादों के बहिष्कार से दोनों देशों के रिश्ते तो ख़राब होंगे ही, इससे व्यापार पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा।
भारतीय बाज़ार में चीनी उत्पादों की जोरदार बिक्री होती है। लेकिन पिछले दो-तीन सालों से देखा गया है कि दीपावली के मौक़े पर चीनी उत्पादों के बहिष्कार की अपील हिंदू संगठनों की ओर से जोर-शोर से की जाती है। सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर जोरदार अभियान चलाया जाता है कि चीनी उत्पादों का पूरी तरह बहिष्कार कर दिया जाए। उरी में हुए हमले के बाद चीन पर पाकिस्तान का बचाव करने का आरोप लगाते हुए भी चीन के उत्पादों के बहिष्कार की अपील की गई थी। परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के प्रवेश का समर्थन करने से इनकार करने पर भी भारत में चीनी उत्पादों के बहिष्कार की अपील की गई थी।