विवादों के बीच चंडीगढ़ मेयर चुनाव में भाजपा की जीत, 8 वोट अवैध कैसेः आप

03:45 pm Jan 30, 2024 | सत्य ब्यूरो

भाजपा ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव में आप-कांग्रेस के संयुक्त प्रत्याशी को आसानी से हरा दिया। यह लड़ाई इंडिया गठबंधन के दोनों दलों की एकजुटता से मुश्किल लग रही थी लेकिन भाजपा ने बाजी मार ली। बीजेपी के मनोज सोनकर ने इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार कुलदीप धलोर टीटा को हराकर मेयर चुनाव जीता। बीजेपी को 16 वोट तो इंडिया गठबंधन को 12 वोट मिले। 8 वोट अवैध घोषित किए गए। कांग्रेस और आप ने चुनाव अधिकारी अनिल मसीह पर धांधली का आरोप लगाया है। विवाद 8 वोटों को अवैध घोषित करने पर हो रहा है।

नतीजे घोषित होने के बाद हंगामा मच गया। आप सांसद राघव चड्ढा ने आरोप लगाया कि "पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए, उन्होंने देशद्रोह किया है... हम शिकायत दर्ज करेंगे और न केवल जांच बल्कि उनकी गिरफ्तारी की मांग करेंगे...।"

चंडीगढ़ मेयर चुनाव में पहली बार 36 में से 8 वोट अवैध घोषित किए गए। कांग्रेस और आप गठबंधन को 20 वोट मिलने थे। हमें 12 वोट मिले और 8 अवैध घोषित कर दिए गए। भाजपा का एक भी वोट अवैध घोषित नहीं किया गया...। हम इसे पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती देंगे।


-राघव चड्ढा, आप सांसद, 30 जनवरी 2024 सोर्सः पीटीआई

राघव चड्ढा ने कहा- "यह चुनाव किसी गठबंधन या एक पार्टी के लिए झटका नहीं है। यह भारत के लोकतंत्र के लिए एक झटका है... हम व्यथित और आहत हैं और हम चिंतित हैं कि आगामी 2024 के चुनावों में क्या होगा। भाजपा इसी तरह का निम्न स्तरीय सहारा लेकर जालसाजी और अवैध काम कर सकती है...भाजपा चुनाव प्रक्रिया में धांधली करने के लिए किसी भी स्तर तक जा सकती है...।''

 2024 का आम चुनाव और नीतीश कुमार के पलटी मारने के बाद एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच यह पहला टकराव था। नगर निगम दफ्तर पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। तीन-स्तरीय बैरिकेडिंग भी लगाई गई थी।

पहले यह चुनाव 18 जनवरी को होने वाला था। लेकिन चंडीगढ़ प्रशासन ने पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह की बीमारी के कारण चुनाव 6 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दिया था। चुनाव टालने के फैसले को मौजूदा कानून-व्यवस्था की स्थिति के लिए भी जिम्मेदार ठहराया गया। हालाँकि, इस कदम का कांग्रेस और आप के पार्षदों ने विरोध किया। अनिल मसीह को स्वास्थ्य समस्याओं के बावजूद पीठासीन प्राधिकारी फिर से नियुक्त किया गया है।

35 सदस्यीय नगर निगम सदन में, आप और कांग्रेस गठबंधन के पास कुल मिलाकर 20 वोट थे, जो भाजपा के 15 वोटों के लिए कड़ी चुनौती थे। इसमें 14 पार्षद और सांसद किरण खेर के अतिरिक्त वोट शामिल हैं। जीत का जादुई आंकड़ा 19 था।

चंडीगढ़ में मेयर चुनाव प्रक्रिया कानूनी बाधाओं का शिकार रही है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने 24 जनवरी के आदेश में, चंडीगढ़ प्रशासन को मेयर चुनाव 30 जनवरी तक कराने का निर्देश दिया, और पहले के स्थगन को "अनुचित, अन्यायपूर्ण और मनमाना" मानते हुए रद्द कर दिया। अदालत ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की आवश्यकता पर बल देते हुए पार्षदों को अन्य राज्यों के समर्थकों या सुरक्षा कर्मियों के साथ जाने पर रोक लगा दी।

आप और कांग्रेस नगर निगम में 8 वर्षों से कब्जा जमाए बैठी भाजपा को किसी भी कीमत पर हटाना चाहते थे। सभी दलों ने मतदान के दिन से पहले अपने पार्षदों को सक्रिय रखा है। आप-कांग्रेस गठबंधन ने रणनीतिक रूप से विभिन्न पदों के लिए उम्मीदवारों को नामांकित किया है।

चंडीगढ़ में मेयर की सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है। अभी  सीनियर डिप्टी मेयर पद पर भाजपा के कुलजीत संधू का मुकाबला कांग्रेस के गुरप्रीत सिंह गबी से होना है, जबकि डिप्टी मेयर पद पर भाजपा के राजिंदर शर्मा और कांग्रेस की निर्मला देवी के बीच मुकाबला होना है। नवनिर्वाचित मेयर ही इन पदों का चुनाव कराएंगे।