प्रसाद : 45 देशों में पेगासस का इस्तेमाल, भारत निशाने पर क्यों?

09:11 am Jul 20, 2021 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

पेगासस जासूसी मामले में भंडाफोड़ होने और कई सनसनीखेज जानकारियाँ बाहर आने के बाद सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी बचाव की मुद्रा में आ गई है।

पूर्व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पूछा है कि जब 45 देश पेगासस सॉफ़्टवेअर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो भारत क्यों निशाने पर लिया जा रहा है, भारत में इस पर इतना बावेला क्यों मचा हुआ है?

बता दें कि भारत के 'द वायर' समेत 16 मीडिया कंपनियों के कंसोर्शियम ने काफी गहन छानबीन और फ़ोरेंसिक जाँच के बाद कहा है कि इज़रायल में बने जासूसी सॉफ़्टवेअर या स्पाइवेअर पेगासस का इस्तेमाल कर भारत के 300 लोगों की जासूसी की गई है, उनके फ़ोन इंटरसेप्ट किए गए हैं। 

रविशंकर प्रसाद की सफाई

पहले तो इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रद्योगिकी मंत्रालय ने इस पर गोल मोल जवाब दिया और कहा कि सरकार सिर्फ तय प्रोटोकॉल के आधार पर ही राष्ट्रहित में इस तरह की जासूसी करती है। उसने यह भी कहा कि ये बातें तथ्यों के आधार पर नहीं हैं।

लेकिन अब रविशंकर प्रसाद ने यह कह कर कि 45 देशों में जो हो रहा है, वह भारत में होने पर बावेला क्यों, बहस को नया मोड़ दे दिया है। उनके कहने का तो यही अर्थ है कि भारत में उन 45 देशों की तरह ही यह जासूसी हुई है और इस पर विरोध का कोई मतलब नहीं है। 

रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,

पेगासस बनाने वाले एनएसओ ने कहा है कि मुख्य रूप से पश्चिमी देश इस सॉफ़्टवेअर का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में भारत को ही निशाना क्यों बनाया जा रहा है? भारत को निशाने पर कौन ले रहा है?


रविशंकर प्रसाद, पूर्व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री

उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग संसद के मानसून सत्र के ठीक पहले क्यों यह खबर ले आए और क्यों इस तरह का वातावरण तैयार कर दिया?

प्रसाद ने राहुल गांधी का नाम लिए बग़ैर कहा कि कुछ लोगों के नाम पहले इसमें डाले गए और उसके बाद निकाल दिए गए। 

उन्होंने इसके साथ ही कहा,

क्या हम इससे इनकार कर सकते हैं कि एमनेस्टी इंटरनेशनल का एजेंडा भारत का विरोध करना है?


रविशंकर प्रसाद, पूर्व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री

मंत्री की सफाई

सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में विपक्ष के आरोपों का जवाब दिया। उन्होंने इसे बिना किसी तथ्य के 'सनसनीखेज कहानी' बताते हुए कहा कि वेब पोर्टल की रिपोर्ट खुद ही स्पष्ट करती है कि लिस्ट में कोई नंबर मौजूद होने का यह मतलब नहीं है कि उसकी जासूसी की गई है।

उन्होंने कहा कि ख़ुद उनका नाम उस सूची में है। 

आईटी मंत्री ने कहा, "ऐसी सेवाएं किसी के लिए भी, कहीं भी, और कभी भी खुले तौर पर उपलब्ध हैं। आमतौर पर सरकारी एजेंसियों के साथ-साथ दुनिया भर में निजी कंपनियां भी इसका इस्तेमाल करती हैं। यह भी विवाद से परे है कि डेटा का निगरानी या एनएसओ से कोई लेना-देना नहीं है। इसका भी कोई तथ्यात्मक आधार नहीं हो सकता है कि डेटा का उपयोग किसी भी तरह निगरानी के बराबर है।"

उन्होंने कहा कि संसद के मॉनसून सत्र से एक दिन पहले ऐसी खबर आना यह कोई 'संयोग नहीं' है

नीतीश ने कहा, गंदी बात!

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पेगासस सॉफ़्टवेअर पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "ये गलत है। ये सब गंदी बातें हैं, सब फ़ालतू चीज़ है। किसी को डिस्टर्ब करना अच्छी बात नहीं है। मेरे हिसाब से बिल्कुल बेकार बात हैं।"

उन्होंने कहा, "नई टेक्नॉलोजी का दुरुपयोग हो रहा है। इसका बुरा असर भी पड़ रहा है। कई जगह लोगों को परेशानी हो रही है। काम करना चाहते हैं, उसमें बाधा आती है। कोई ग़लत काम करता है तो उस पर शुरू से ही कार्रवाई करने का प्रावधान होता है।" 

क्या है पेगासस प्रोजेक्ट?

फ्रांस की ग़ैरसरकारी संस्था 'फ़ोरबिडेन स्टोरीज़' और 'एमनेस्टी इंटरनेशनल' ने लीक हुए दस्तावेज़ का पता लगाया और 'द वायर' और 15 दूसरी समाचार संस्थाओं के साथ साझा किया।

इसका नाम रखा गया पेगासस प्रोजेक्ट। 'द गार्जियन', 'वाशिंगटन पोस्ट', 'ला मोंद' ने 10 देशों के 1,571 टेलीफ़ोन नंबरों के मालिकों का पता लगाया और उनकी छानबीन की। उसमें से कुछ की फ़ोरेंसिक जाँच करने से यह निष्कर्ष निकला कि उनके साथ पेगासस स्पाइवेअर का इस्तेमाल किया गया था।