कोरोना वायरस के ख़ौफ़ के कारण दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर हज़ारों लोगों की भीड़ जुटी हुई है। ये लोग किसी बस के इंतजार में हैं, जिससे वे घर तक पहुंच सके। बस न होने की स्थिति में ये लोग पैदल ही घर तक पहुंच जाना चाहते हैं क्योंकि यहां न उनके पास काम है और न ही रहने की कोई स्थायी जगह। इन बेहाल-परेशान लोगों के जख्मों पर मरहम लगाने के बजाय बीजेपी के वरिष्ठ नेता बलबीर पुंज इनका मजाक उड़ा रहे हैं। पुंज ने दिल्ली-एनसीआर छोड़कर जा रहे लोगों को लेकर किये ट्वीट में लिखा है, ‘ये लोग दिल्ली क्यों छोड़ रहे हैं। पैसे या भोजन के लिये नहीं, यह ग़ैर-जिम्मेदाराना है। उनके घरों में पैसे या नौकरी उनका इंतजार नहीं कर रहे हैं।’
पुंज ने आगे लिखा है कि ये लोग अपनी इन ‘छुट्टियों’ का इस्तेमाल अपने परिवारों से मिलने के लिये या अपने घर जाने के लिये कर रहे हैं। पुंज का यह ट्वीट निश्चित रूप से इन ग़रीब और दिहाड़ी मजदूरों पर तीख़ा कटाक्ष है। पुंज के इस ट्वीट पर दिहाड़ी मजदूरों के दर्द को दुनिया के सामने ला रहे वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम ने उन्हें जवाब दिया है। अंजुम ने ट्वीट कर कहा है कि उन्हें इस बात का अफसोस है कि पुंज बीजेपी नेता के अलावा संपादक भी रहे हैं और उससे पहले वह इंसान हैं और फिर भी ऐसी बात कर रहे हैं। अंजुम ने इसी ट्वीट में एक वीडियो भी अटैच किया है।
वीडियो में एक दिहाड़ी मजूदर कहता है कि काम बंद हो गया है, ज़रूरी सामान बहुत महंगा हो गया है और पुलिस घर से बाहर निकलने नहीं देती। ऐसे में वे गांव न जायें तो क्या करें। लेकिन पुंज ने यह वीडियो देखा होता तो शायद वह ऐसा कटाक्ष नहीं करते।
पुंज से सोशल मीडिया के जरिये यह सवाल ज़रूर पूछा जाना चाहिए कि उन्हें क्यों लगता है कि ये मजूदर ‘छुट्टियां’ मनाने अपने घर जा रहे हैं। कई वीडियो में छोटे-छोटे बच्चों और सामान की गठरी को कंधे पर लादे लोग तेज रफ्तार से चलते दिखाई दे रहे हैं। क्या इन लोगों को देखकर किसी को लगेगा कि ये ‘छुट्टियां’ मनाने जा रहे हैं।
पुंज देश की सबसे अमीर पार्टी बीजेपी के नेता हैं। वह राज्यसभा सांसद रह चुके हैं। कुछ ही दिन पहले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने कहा था कि बीजेपी के कार्यकर्ता काम-धंधे बंद होने के कारण बेरोज़गार हो चुके 5 करोड़ ग़रीब लोगों को हर दिन खाना खिलायेंगे। लेकिन दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर 10 से 15 किमी. तक कहीं भी बीजेपी का कोई कार्यकर्ता इन मजदूरों की मदद करता नज़र नहीं आया।
पुंज का यह ट्वीट दिखाता है कि उन्हें ग़रीबों, दिहाड़ी मजदूरों के दर्द से रत्ती भर भी वास्ता नहीं है। वह ख़ुद एयरकंडीशंड कमरों में बैठकर कॉफ़ी पीने वाले और टोस्ट खाने वाले नेता हैं। पुंज के पास रहने के लिये शानदार घर, आने-जाने के लिये कार, पुलिस-प्रशासन में पहचान, सब कुछ है, इसलिये उनसे 300 रुपये की दिहाड़ी छूट जाने और जिंदा रहने की लड़ाई लड़ रहे इन मजदूरों के दर्द को समझने की उम्मीद करना बेमानी है।