भारत बायोटेक कंपनी की वैक्सीन कोवैक्सीन पर विवाद और गहरा गया है। इस वैक्सीन पर बड़े सवाल पहले भी किये गये थे और कहा गया था कि जल्दबाज़ी में, इस वैक्सीन को क्यों टीका के लिये तैयार बताया गया है। अब कंपनी भारत बायोटेक ने खुद स्पष्टीकरण दिया है कि कोवैक्सीन का प्रयोग किन स्थिति में नहीं किया जाना चाहिए।
बता दें कि भारत बायोटेक के कोरोना टीका कोवैक्सीन के परीक्षण का तीसरा चरण पूरा नहीं हुआ है, कंपनी ने इससे जुड़ा डेटा नहीं दिया है। लेकिन केंद्र सरकार ने उससे टीका लिया है और वह राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान में लोगों को वह टीका लगा रही है। इसके अलावा लोगों को ऑक्सफ़ोर्ड एस्ट्राज़ेनेका का टीका कोविशील्ड भी दिया जा रहा है।
न लें कोवैक्सीन यदि ...
भारत बायोटेक ने कहा है कि वे लोग कोवैक्सीन टीका न लें, जिनका इम्युनिटी कमज़ोर है या जो इम्युनिटी से जुड़ी दवा ले रहे हैं या जिन्हें एलर्जी है।
पहले सरकार ने कहा था कि जिनका कमज़ोर इम्युनिटी है, उन पर कोवैक्सीन का असर कम होगा। लेकिन अब कंपनी ऐसे लोगों से यह टीका लेने से मना कर रही है।
मोटे तौर पर जो लोग केमोथेरैपी लेते हैं या किसी तरह का स्टेरॉयड लेते हैं या जो एड्स से ग्रसित हैं, वो इम्युनिटी से जुड़ी दवाएं लेते हैं।
कोवैक्सीन फ़ैक्ट शीट
भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन से जुड़ा एक फ़ैक्ट शीट जारी करते हुए कहा है कि जिन्हें बुखार है, जिन्हें एलर्जी की दिक्क़ते हैं या जो ख़ून पतला करने की दवा लेते हैं, वे यह टीका न लें। इसी तरह गर्भवती महिलाओं और बच्चे को दूध पिला रही महिलाओं से भी कोवैक्सीन नहीं लेने को कहा गया है।
कंपनी ने यह भी कहा है कि टीका लेने के बाद सांस लेने में दिक्क़त हो सकती है, चेहरा और गला सूज सकता है, दिल की धड़कन बढ़ कती है, कमज़ोरी लग सकती है, सिर चक्कर दे सकता है और शरीर पर चकत्ते उभर सकते हैं। लेकिन कंपनी ने ये बातें टीका जारी करते वक़्त नहीं कही थीं।
टाइम्स ऑफ इंडिया' के अनुसार, डॉक्टरों ने कहा है कि ये सभी लक्षण बहुत ही मामूली होंगे, इसका शरीर पर ख़ास असर नहीं पड़ेगा।
कंपनी ने यह भी कहा है कि कोवैक्सीन टीका लेने के बाद भी कोरोना से बचने के उपायों का पालन करते रहना चाहिए।
55 लाख खुराकें
बता दें कि केंद्र सरकार ने कोवैक्सीन की 55 लाख खुराक कंपनी से खरीदी है, जिसे वह 12 राज्यों व केंद्र-शासित क्षेत्रों में चल रहे टीकाकरण अभियान में लोगों को दे रही है।
केंद्र सरकार की एजेन्सी इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च के साथ मिल कर भारत बायोटेक ने यह टीका बनाया है।
इस टीके को भारत के घरेलू कोरोना उपचार के रूप में देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके संयंत्र का मुआयना किया था और इसे कोरोना उपचार में विश्व को भारत की देन बताया था।
परीक्षण के तीसरे चरण का डेटा नहीं
लेकिन यह टीका विवाद में घिर गया जब इसने परीक्षण के तीसरे चरण का डेटा साझा नहीं किया। मध्य प्रदेश के इंदौर में यह टीका लगाने के बाद एक व्यक्ति की मौत हो गई। परिजनों ने कहा कि टीका लगाने के बाद उसे परेशानियां होने लगीं। कंपनी भारत बायोटेक ने कहा कि उस व्यक्ति को ज़हर दे दिया गया था।
इसके बाद इस पर एक बार फिर तब विवाद हुआ जब केंद्र सरकार ने क्लिनिकल ट्रायल पूरा हुए बगै़र ही यह टीका लोगों को देना शुरू कर दिया।