असम-मिज़ोरम सीमा पर झड़प और उसमें असम पुलिस के छह लोगों के मारे जाने के मामले में दोनों राज्यों के शीर्ष अधिकारियों को आज दिल्ली में तलब किया गया है। इसे दोनों राज्यों के बीच तनाव को कम करने और शांति बहाली के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। लेकिन सवाल है कि क्या वर्षों पुराना यह विवाद इतनी आसानी से सुलझ पाएगा जब दोनों राज्यों में राजनीतिक शीर्ष नेतृत्व भी आरोप-प्रत्यारोप में उलझे हैं?
स्थिति की गंभीरता का अंदाज़ा केंद्र सरकार को भी हो गया लगता है। इसीलिए गृह मंत्रालय ने दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों को दिल्ली तलब किया है। लेकिन केंद्र सरकार के इस प्रयास के बीच ही असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा है कि उनकी सरकार मिज़ोरम के साथ लगने वाली राज्य की 165 किलोमीटर की सीमा पर 4,000 कमांडो तैनात करेगी।
असम के मुख्यमंत्री ने यह भी कहा है कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी कि विवादित क्षेत्र में आरक्षित वन संरक्षित रहे और वहाँ कोई निर्माण नहीं हो।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के बाद मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरामथांगा ने भी उनपर कई तरह के आरोप लगाए। ऐसा शायद इससे पहले कभी भारत में दो पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच नहीं हुआ कि ऐसी स्थिति आन पड़ी हो।
मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरामथांगा ने दो दिन पहले ट्वीट कर कहा था, 'प्रिय हिमंतजी, माननीय अमित शाह जी द्वारा मुख्यमंत्रियों की सौहार्दपूर्ण बैठक के बाद आश्चर्यजनक रूप से असम पुलिस की 2 कंपनियों ने नागरिकों के साथ मिज़ोरम के अंदर वैरेंगटे ऑटो रिक्शा स्टैंड पर लाठीचार्ज किया और आँसू गैस के गोले दागे। उन्होंने सीआरपीएफ़ कर्मियों/मिज़ोरम पुलिस पर भी बल प्रयोग किया।'
मिज़ोरम के गृह मंत्री लालचमलियाना ने सोमवार को असम पुलिस पर मिज़ोरम पुलिस द्वारा तैनात एक चौकी को जबरन पार करने और उसे उखाड़ फेंकने का आरोप लगाया। उन्होंने इसे मिजोरम के क्षेत्र में घुसपैठ और आक्रामकता क़रार दिया।
हालाँकि एक अच्छी ख़बर यह है कि मिज़ोरम के गृह मंत्री लालचमलियाना ने दोनों पक्षों को हुए अनावश्यक नुक़सान पर खेद जताते हुए असम से विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए अनुकूल वातावरण बनाने का आग्रह किया है।
बता दें कि असम-मिज़ोरम सीमा पर सोमवार को हुई हिंसा में असम पुलिस के 6 अफ़सरों की मौत हो गई। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी। भीड़ ने इन दो राज्यों की सीमा पर खड़ी सरकारी गाड़ियों को भी निशाना बनाया था। घटना के बाद अमित शाह ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से फ़ोन पर बात की थी।
वीडियो चर्चा में सुनिए, असम-मिज़ोरम झड़प को रोकने में अमित शाह विफल क्यों रहे?
यह पहली बार नहीं है कि दोनों राज्यों में सीमा को लेकर विवाद हुआ है। पिछले साल अक्टूबर में असम के लैलापुर में एक निर्माण कार्य का मिज़ोरम ने यह कह कर विरोध किया था कि यह उसके इलाक़े में है। लैलापुर मिज़ोरम के कोलासिब ज़िले के वैरेंगेते इलाक़े से सटा हुआ है। तब असम के करीमगंज और मिज़ोरम के मामित ज़िले के लोगों के बीच झड़पें हुई थीं। मिज़ोरम के दो बाशिंदों के पान के बगीचे में आग लगा दी गई थी। कछार में एक और वारदात हुई, जिसमें मिज़ोरम पुलिस के लोगों पर लैलापुर के लोगों ने पत्थर फेंके थे। इसके बाद मिज़ोरम के लोग एकत्रित हो गए और उन्होंने लैलापुर के लोगों पर हमला कर दिया।
मौजूदा विवाद की शुरुआत इसी इलाक़े से हुई। मिज़ोरम के कोलासिब के डिप्टी पुलिस सुपरिटेंडेंट एच. ललथंगलियाना के मुताबिक़, कुछ साल पहले असम और मिज़ोरम के बीच स्थिति जस का तस बनाए रखने पर सहमति बनी थी। इसके बावजूद इस क्षेत्र में विवाद होते रहा है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार ताज़ा विवाद के मामले में आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि कछार (असम) और कोलासिब (मिज़ोरम) ज़िलों के बीच सीमा के विवादित क्षेत्र में तैनात सीआरपीएफ़ ने असम पुलिस द्वारा खाली की गई एक पोस्ट पर कब्जा कर लिया था, लेकिन मिज़ोरम पुलिस के जवानों को अभी भी अपनी पोस्ट खाली करना था। सूत्रों ने कहा कि ज़मीनी स्तर पर स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में है।