भारत और चीन के सैनिकों के बीच अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में हुई झड़प के मामले में अमेरिका ने भी बयान जारी किया है। अमेरिका ने कहा है कि वह हालात पर पैनी नजर रख रहा है। अमेरिका की ओर से भारत के द्वारा तनाव कम करने के भारत के प्रयासों का पूरा समर्थन करने की बात भी कही गई है।
इस झड़प को लेकर भारत में विपक्ष जहां मोदी सरकार पर हमलावर है वहीं सरकार ने भी संसद में बयान जारी किया है। सरकार ने कहा है कि चीनी सैनिकों ने 9 दिसंबर को यांगस्ते इलाके में एलएसी पर अतिक्रमण कर यथास्थिति को एकतरफा बदलने की कोशिश की लेकिन हमारी सेना ने इसका दृढ़ता और बहादुरी से सामना किया।
मंगलवार को प्रेस ब्रीफिंग के दौरान व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव काराइन जीन-पियरे ने कहा कि यह अच्छी बात है कि दोनों ही देशों ने झड़प के बाद तेजी से खुद को अलग कर लिया। हम हालात पर पैनी नजर रख रहे हैं और भारत और चीन से सीमा विवाद के मुद्दे पर द्विपक्षीय चर्चा करने की अपील करते हैं।
जबकि अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन के प्रेस सचिव पैट राइडर ने कहा है कि अमेरिका ने इस बात को देखा है कि चीन एलएसी के क्षेत्र में सेना की तैनाती के साथ ही सैन्य ढांचे का भी निर्माण कर रहा है।
इससे पहले चीन की ओर से इस मामले में बयान जारी कर कहा गया था कि दोनों देशों की सीमा पर हालात पूरी तरह स्थिर है और दोनों पक्षों ने राजनीतिक और सैन्य चैनल के जरिए सीमा विवाद के मुद्दे पर बातचीत को जारी रखा है।
इंडिया टुडे के मुताबिक, जब यह झड़प हुई तब जम्मू और कश्मीर राइफल्स, जाट रेजिमेंट और सिख लाइट इन्फैंट्री के सैनिक वहां मौजूद थे।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन
इस घटना से कुछ दिन पहले चीन ने उत्तराखंड के औली में भारत और अमेरिकी सैनिकों के संयुक्त युद्धाभ्यास पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि यह साल 1993 और 1996 में सीमा को लेकर हुए समझौतों का उल्लंघन है।