राज्यसभा में शाह कल पेश करेंगे दिल्ली सेवा विधेयक, क्या पास होगा?

09:53 am Aug 07, 2023 | सत्य ब्यूरो

दिल्ली सेवा विधेयक सोमवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। हंगामे के बीच विपक्षी दलों के वॉकआउट के बाद लोकसभा में तो यह आसानी से पारित हो गया था, लेकिन क्या यह राज्य सभा में भी इतनी ही आसानी से पास हो जाएगा? जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह राज्यसभा में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 पेश करेंगे तो विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. भी कम रणनीति के साथ राज्यसभा में नहीं पहुँचेगा। राज्यसभा में क्या बीजेपी को बहुमत पाना मुश्किल होगा? वैसे, विपक्षी सदस्य भी अच्छी खासी संख्या में हैं।

बीजेपी के पास उसके सहयोगियों के अलावा, वाईएसआरसीपी और बीजेडी भी हैं जिन्होंने विधेयक का समर्थन किया है। दोनों दलों के राज्यसभा में नौ-नौ सदस्य हैं। इनके समर्थन से सत्ता पक्ष राज्यसभा में भी बहुमत का आँकड़ा पार कर सकता है।

संयुक्त विपक्ष के पास विधेयक का विरोध करने की घोषणा करने वाले भारत राष्ट्र समिति को जोड़कर भी संख्या 110 से कम हो रही है। उच्च सदन में अकेले बीजेपी के 92 सदस्य (पांच नामांकित सांसदों सहित) हैं। एनडीए सहयोगियों के साथ, संख्या 103 हो जाएगी। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अन्नाद्रमुक के चार सांसद हैं, आरपीआई (अठावले), असम गण परिषद, पट्टाली मक्कल काची, तमिल मनीला कांग्रेस (मूपनार), नेशनल पीपुल्स पार्टी, मिज़ो नेशनल फ्रंट, यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी (लिबरल) के एक-एक सदस्य हैं। बीजेडी और वाईएसआरसीपी के 18 सदस्यों को जोड़ें, तो सत्ता पक्ष के पास 121 सदस्य होंगे।

दिल्ली में नौकरशाहों पर नियंत्रण मज़बूत करने वाला यह विधेयक यदि क़ानून बनता है तो दिल्ली अध्यादेश की जगह लेगा। इस अध्यादेश को केंद्र राष्ट्रीय राजधानी में आम आदमी पार्टी सरकार के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद ले आया था। विधेयक को केंद्र सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में पेश किया था और गुरुवार को वह पारित हो गया था। लोकसभा में विधेयक पर जब वोटिंग की बारी आई थी तब विपक्षी 'इंडिया' गठबंधन ने इसके विरोध में वॉकआउट किया था।  

लोकसभा में विधेयक पर बहस का जवाब देते हुए अमित शाह ने विपक्ष पर तीखा हमला किया और कहा था कि उसे लोकतंत्र या लोगों की चिंता नहीं है, बल्कि केवल अपने नवगठित गठबंधन को बचाने की चिंता है। गृहमंत्री ने कहा था,

यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश के संदर्भ में है, जो कहता है कि संसद को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से संबंधित किसी भी मुद्दे पर कानून बनाने का अधिकार है। संविधान में ऐसे प्रावधान हैं जो केंद्र को दिल्ली के लिए कानून बनाने की अनुमति देते हैं।


अमित शाह, लोकसभा में चर्चा के दौरान

अमित शाह ने आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा था, 'मैं पार्टियों से अपील करता हूँ कि वे दिल्ली में हो रहे सभी भ्रष्टाचारों का समर्थन सिर्फ इसलिए न करें क्योंकि आप गठबंधन में हैं। क्योंकि गठबंधन के बावजूद, प्रधानमंत्री मोदी पूर्ण बहुमत के साथ चुनाव जीतेंगे।' आम आदमी पार्टी दिल्ली में सत्ता में है और अब 'इंडिया' गठबंधन का हिस्सा है।

जैसे ही विधेयक पारित किया जा रहा था, आप के एकमात्र लोकसभा सदस्य सुशील सिंह रिंकू सदन के वेल में गए, कुछ कागजात फाड़ दिए और उन्हें अध्यक्ष ओम बिड़ला की ओर फेंक दिया। बाद में उन्हें शेष सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया।

केंद्र ने दिल्ली में ग्रुप-ए अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग के लिए एक राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण स्थापित करने के लिए 19 मई को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023 लागू किया। मुख्यमंत्री प्राधिकरण के तीन सदस्यों में से एक हैं, जबकि दो अन्य नौकरशाह हैं। प्राधिकरण द्वारा निर्णय बहुमत से लिए जाएंगे और विवाद की स्थिति में मामला उपराज्यपाल को भेजा जाएगा जिनका निर्णय अंतिम होगा।

दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसने याचिका को संविधान पीठ के पास भेज दिया है।