पर्यावरण मंत्रालय की विशेषज्ञ मूल्यांकन समितियों में से एक के एक सदस्य अडानी की कंपनी से जुड़े हैं। रिपोर्ट है कि अडानी ग्रीन के एडवाइजर पर्यावरण मंत्रालय की समिति में हैं। यह समिति परियोजनाओं को पर्यावरण मंजूरी देने के काम में जुड़ी हुई है। डेढ़ महीने पहले ही अडानी ग्रीन की एक बड़ी परियोजना को मंजूरी मिली है। यह ख़बर आने के बाद इस पर विवाद बढ़ सकता है।
अडानी समूह और मोदी सरकार के बीच संबंधों को लेकर लंबे समय से हमलावर रहीं टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने इस मुद्दे को उठाया भी है। उन्होंने ट्वीट किया है, 'मोदीजी के पर्यावरण मंत्रालय ने अडानी के कर्मचारी जनार्दन चौधरी को ईएसी के सदस्य के रूप में नियुक्त किया। कुल 10300mw की 6 अडानी परियोजनाएँ इस समिति के मूल्यांकन में रहीं। पिछली बैठक में 1500 मेगावाट के एजीईएल सतारा संयंत्र को मंजूरी दी गई थी।'
महुआ मोइत्रा ने 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के हवाले से यह आरोप लगाया है। अंग्रेजी अख़बार की रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड का एक प्रमुख सलाहकार अब केंद्र की विशेषज्ञ मूल्यांकन समितियों यानी ईएसी में से एक का सदस्य है। इस समिति के सामने कंपनी के हाइड्रो प्रोजेक्ट प्रस्ताव मंजूरी के लिए आते हैं। ईएसी उन परियोजनाओं पर चर्चा और निर्णय लेती है जिनके लिए पूर्व सरकारी अनुमोदन की ज़रूरत होती है।
दरअसल, पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत कुछ श्रेणियों की परियोजनाओं को पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। दस ईएसी विभिन्न क्षेत्रों में इन प्रस्तावों की जांच करते हैं और मंजूरी पर निर्णय लेते हैं।
अंग्रेज़ी अख़बार ने रिपोर्ट दी है कि 27 सितंबर को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने जलविद्युत और नदी घाटी परियोजनाओं के लिए ईएसी का पुनर्गठन करते समय जनार्दन चौधरी को सात गैर-संस्थागत सदस्यों में से एक के रूप में नामित किया।
पुनर्गठित ईएसी (पनबिजली) की पहली बैठक 17-18 अक्टूबर को हुई थी। रिकॉर्ड्स से पता चलता है कि चौधरी ने 17 अक्टूबर को बैठक में भाग लिया था। उसी दिन महाराष्ट्र के सतारा में एजीईएल की 1500 मेगावाट की ताराली पंपिंग स्टोरेज परियोजना पर विचार किया गया था।
अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार एजीईएल ने परियोजना के लेआउट में संशोधन के लिए परियोजना के संदर्भ की शर्तों में संशोधन की मांग की थी। रिपोर्ट के अनुसार विस्तृत विचार-विमर्श के बाद ईएसी ने एजीईएल के पक्ष में सिफारिश की।
बैठक की कार्यवाही वाले नोट में कोई खंडन दर्ज नहीं है। द इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट दी है कि उसके द्वारा संपर्क किए जाने पर चौधरी ने कहा कि जब ईएसी ने एईजीएल परियोजना पर विचार किया तो उन्होंने चर्चा में भाग नहीं लिया। उन्होंने कहा, 'जब मामला सामने आया तो मैं अनुपस्थित रहा।' जब उनसे कहा गया कि मिनट्स में यह बात नहीं दिखती है तो उन्होंने कहा, 'हम मिनट्स में संशोधन करेंगे।'
बता दें कि चौधरी मार्च 2020 में एनएचपीसी के निदेशक (तकनीकी) के रूप में सेवानिवृत्त हुए और अप्रैल 2022 से अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड यानी एजीईएल के सलाहकार (पंप स्टोरेज प्लांट और हाइड्रो) रहे हैं। ईएसी सदस्य के रूप में उनकी नियुक्ति से संभावित रूप से हितों के टकराव का सवाल खड़ा होता है क्योंकि एजीईएल की पंप भंडारण परियोजनाएं मंजूरी के लिए इस ईएसी के सामने आती हैं।
रिपोर्ट के अनुसार चौधरी ने कहा, 'मंत्रालय को पता है कि मैं एक निजी कंपनी का सलाहकार हूं। लेकिन मैं किसी का कर्मचारी नहीं हूं और मैं दूसरों को भी सलाह दे सकता हूं। मेरी ईएसी नियुक्ति इस आधार पर है कि एक सदस्य के रूप में मैं ईएसी के हित में अपनी राय दूंगा।'