मोहम्मद ज़ुबैर की गिरफ्तारी के मामले में जर्मनी की टिप्पणी पर भारत ने कड़ा एतराज जताया है। इसने कहा है कि जुबैर की गिरफ़्तारी भारत का आंतरिक मामला है और इसमें इस तरह की टिप्पणियाँ ग़ैर ज़रूरी हैं, इससे बचा जाना चाहिए।
ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक जुबैर की गिरफ्तारी पर जर्मनी ने आज ही कड़ी टिप्पणी की थी। जर्मनी ने कहा है कि वो लिखने या बोलने वाले पत्रकारों की गिरफ्तारी के ख़िलाफ़ है और पत्रकार मोहम्मद जुबैर के मामले में भारत में जर्मन एम्बेसी बहुत नज़दीक से निगरानी कर रही है। जर्मन विदेश मंत्रालय के एक प्रतिनिधि ने कहा कि नई दिल्ली में जर्मनी का दूतावास इस मामले पर बारीकी से नज़र रख रहा है और अपने ईयू सहयोगियों के साथ भी संपर्क में है।
डीडब्ल्यू के मुख्य अंतरराष्ट्रीय संपादक रिचर्ड वॉकर द्वारा पोस्ट किए गए एक वीडियो में विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधि से जब जुबैर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जर्मनी पूरी दुनिया में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्ध है ... और यह भारत पर भी लागू होता है।
जर्मनी की इस टिप्पणी पर भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा, 'एक न्यायिक प्रक्रिया होती है। ऐसे मामले पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा जो न्यायाधीन है। हमारी न्यायपालिका की स्वतंत्रता अच्छी तरह से मान्यता प्राप्त है और बेबुनियाद टिप्पणियाँ अनुपयोगी हैं और इससे बचा जाना चाहिए।'
फ़ैक्ट-चेक करने वाली वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के कोफ़ाउंडर मोहम्मद जुबैर को 27 जून को 2018 के एक ट्वीट पर दिल्ली में गिरफ्तार किया गया था। इससे कुछ दिन पहले उन्होंने एक टीवी शो में पैगंबर मुहम्मद साहब पर बीजेपी की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा की विवादास्पद टिप्पणियों को लेकर आगाह किया था।
2 जुलाई को पुलिस ने जुबैर के ख़िलाफ़ फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट के तहत एक अतिरिक्त आरोप जोड़ा और उन्हें 14 दिनों के लिए हिरासत में रखा गया।
इसी मामले से जुड़े एक सवाल पर जर्मन विदेश मंत्रालय के एक प्रतिनिधि ने जुबैर की गिरफ्तारी पर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था, 'भारत खुद को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बताता है। इसलिए हर कोई उम्मीद कर सकता है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस जैसे लोकतांत्रिक मूल्यों को वहां ज़रूरी स्थान दिया जाएगा।'
उन्होंने कहा कि पत्रकारों को उनके कहने और लिखने के लिए सताया और कैद नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने याद दिलाया कि यूरोपीय संघ की भारत के साथ मानवाधिकार वार्ता चल रही है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की स्वतंत्रता उन चर्चाओं का केंद्र बिंदु है।