क्या भारत और पाकिस्तान के अफ़सरों की एक बार फिर किसी तीसरे देश में मुलाक़ात हुई है। कुछ वक़्त पहले भी यह ख़बर आई थी कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और उनके पाकिस्तानी समकक्ष मोईद यूसुफ़ के बीच लंबी बातचीत हुई थी और किसी तीसरे देश में मुलाक़ात भी हुई थी लेकिन तब इसकी पुष्टि नहीं हो सकी थी।
इस बार यह ख़बर है कि दोनों देशों के ख़ुफ़िया विभाग के अफ़सरों की जनवरी में दुबई में मुलाक़ात हुई है और इसमें कश्मीर के मुद्दे को लेकर बातचीत हुई। अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स ने यह ख़बर दी है।
रॉयटर्स ने इस मुलाक़ात की जानकारी रखने वालों के हवाले से लिखा है कि भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ और पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई के अफ़सरों की दुबई में मुलाक़ात हुई और यह यूएई की सरकार ने करवाई। रॉयटर्स ने कहा है कि भारत के विदेश मंत्रालय और पाकिस्तान की सेना की ओर से इस बारे में कोई सफाई नहीं दी गई है।
लेकिन पाकिस्तान की शीर्ष रक्षा विशेषज्ञ आयेशा सिद्दीक़ा के मुताबिक़ भारत और पाकिस्तान के ख़ुफ़िया विभाग के अफ़सर किसी तीसरे देश में में बीते कई महीनों से मुलाक़ात कर रहे हैं। आयेशा के मुताबिक़, ये मुलाक़ातें थाइलैंड, दुबई और लंदन में हुई हैं और इनमें दोनों देशों के कई नामी लोग शामिल रहे हैं।
कश्मीर पर अड़ा पाकिस्तान
फ़रवरी, 2019 में हुए पुलवामा हमले के बाद से ही ख़राब हो चुके रिश्ते 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटाए जाने के बाद और ख़राब हो गए थे। लेकिन बीते दो महीनों में कई ऐसे वाकये हुए जिन्हें देखकर कहा गया कि आने वाले दिनों में दोनों मुल्कों के संबंध बेहतर हो सकते हैं।
दोनों देशों के बीच व्यापार शुरू होने की भी बात हुई और पाकिस्तान सरकार की आर्थिक मामलों की को-ऑर्डिनेशन कमेटी ने भारत से कपास, चीनी और धागे का आयात शुरू करने को मंजूरी दे दी थी लेकिन बाद में इमरान सरकार ने यू टर्न ले लिया और कहा कि पाकिस्तान भारत के साथ तब तक किसी तरह का व्यापार शुरू नहीं करेगा, जब तक भारत कश्मीर में 5 अगस्त, 2019 के फ़ैसले पर संशोधन नहीं करता।
बीते दिनों में नरेंद्र मोदी और इमरान ख़ान के बीच खतो-खिताबत का दौर चला था। स्थायी सिंधु आयोग की बैठक में शामिल होने के लिए पाकिस्तान से अफ़सरों का एक दल भारत आया था और घुड़सवारों की एक टीम भी ग्रेटर नोएडा आई थी।
दोनों देशों के बेहतर हो रहे संबंधों की ख़बरों को तब चर्चा मिली थी दोनों देश लाइन ऑफ़ कंट्रोल (एलओसी) पर शांति बहाली और पुराने समझौतों पर अमल करने के लिए राजी हो गए थे।
लेकिन इस सबके बाद भी कब दोनों देशों के बीच संबंध बेहतर होंगे, कहा नहीं जा सकता क्योंकि कश्मीर के मसले पर दोनों देश अपने-अपने रूख़ पर कायम हैं।