भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच का इंतजार दोनों देशों के लोग बेसब्री से करते हैं। सीमा पर जारी तनाव के कारण काफी समय तक मैच हो ही नहीं पाता। क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान ख़ान के पीएम बनने के बाद ऐसा लगा था कि दोनों देशों के बीच हालात बेहतर होंगे लेकिन ऐसा होता नहीं दिखाई देता क्योंकि सीमा पर हालात ठीक नहीं हुए हैं।
भारत, पाकिस्तान के साथ कोई भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच खेलने से इनकार नहीं कर सकता। यदि वह ऐसा करता है तो वह किसी भी ऐसी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट प्रतियोगिता में भाग ही नहीं ले पाएगा जिसमें पाकिस्तान भी हिस्सा ले रहा हो। यह भी ध्यान देने लायक बात है कि किसी भी क्रिकेट प्रतियोगिता का शेड्यूल इस बात को ध्यान में रखकर नहीं बनाया जा सकता कि उस प्रतियोगिता में भारत और पाकिस्तान हिस्सा ले रहे हैं या नहीं।
या फिर भारत खुद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) को इस बारे में बता दे कि वह अंतरराष्ट्रीय मैचों में पाकिस्तान के साथ नहीं खेलना चाहता। ऐसे में वह आईसीसी की ओर से कराई जाने वाली किसी भी प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले पाएगा और विश्व चैंपियन बनने की दौड़ से खुद ही बाहर हो जाएगा। यह भी अहम बात है कि पाकिस्तान ने भारत के साथ मैच खेलने से इनकार नहीं किया है।
सियासत की भी है भूमिका
भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच को लेकर राजनीति का भी अहम रोल है। भारत में आम धारणा यह है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पर आतंकवाद को बढ़ावा देना बंद नहीं करता, तब तक उसके साथ मैच नहीं खेला जाना चाहिए। ऐसा मानने वालों में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के समर्थक ज़्यादा हैं। इसलिए भारत सरकार सीमा पर हालात बेहतर होने तक पाकिस्तान के साथ मैच खेलने की अनुमति नहीं दे सकती। 2019 के आम चुनाव से पहले ऐसा होना बेहद मुश्किल लगता है हालांकि नवंबर में भारत में होने वाले हॉकी के सबसे बड़े टूर्नामेंट 2018 हॉकी वर्ल्ड कप में पाकिस्तान भी खेलेगा।
मैच खेलने का किया था विरोध
हाल ही में भारत के कई क्रिकेट खिलाड़ियों ने पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच खेले जाने का खुलकर विरोध किया था। इनमें भारत के स्टार बल्लेबाज गौतम गंभीर से लेकर पूर्व कप्तान कपिल देव भी शामिल थे। इसके विपरीत, दोनों ही देशों में एक ऐसा वर्ग भी है जो यह मानता है कि खेल को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए।एक सवाल यह भी है कि क्या क्रिकेट खेलने से वाक़ई दोनों देशों के रिश्ते बेहतर हुए हैं। अतीत में ऐसा कई बार हुआ है कि जब दोनों देशों ने आपसी रिश्तों को बेहतर करने के लिए क्रिकेट का सहारा लिया है। यह ज़रूर कहा जा सकता है कि क्रिकेट खेलने से रिश्ते बेहतर नहीं हुए तो ख़राब भी नहीं हुए हैं।