इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी आईएमए की अपील के बाद क्या डॉक्टर काम पर लौटेंगे? कोलकाता में जूनियर डॉक्टर के बलात्कार-हत्या मामले के बाद डॉक्टर विभिन्न राज्यों में पीड़ितों के लिए न्याय और स्वास्थ्य से जुड़े लोगों के लिए बेहतर सुरक्षा उपायों की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
आईएमए के अध्यक्ष ने कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या का विरोध कर रहे डॉक्टरों से आग्रह किया है कि वे अपनी ड्यूटी पर लौट आएं और न्याय की मांग सुप्रीम कोर्ट पर छोड़ दें। आईएमए अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के जवाब के महत्व पर जोर दिया और कहा कि पूरे चिकित्सा समुदाय को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का पालन करना चाहिए।
एएनआई ने आईएमए के पत्र का हवाला देते हुए कहा, ''चिकित्सा बिरादरी बिल्कुल सही ग़ुस्से में थी। रेजिडेंट डॉक्टर ग़ुस्से और गहरे दुख के साथ सड़क पर उतर आए। आईएमए ने 24 घंटे के लिए आपातकालीन सेवाओं को बंद करने का आह्वान किया। इसके बाद, भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने स्थिति का स्वतः संज्ञान लिया और एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन किया...। माननीय न्यायालय ने डॉक्टरों से कहा है 'हम पर भरोसा करें। न्याय और चिकित्सा बंद नहीं होनी चाहिए'। सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी बात कही है।"
बता दें कि 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने हड़ताल पर गए डॉक्टरों से काम पर लौटने का आग्रह किया और आश्वासन दिया कि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। डॉक्टरों को काम पर लौटने का आग्रह करते कहते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा था, 'इन संस्थाओं में आने वाले गरीब लोगों को ऐसे नहीं छोड़ा जा सकता है। ऐसे लोग हैं जो तारीख से दो साल पहले अपॉइंटमेंट लेते हैं और अचानक आपको बताया जाता है कि आपका इलाज नहीं हो सकता। उन सभी को काम पर वापस लौटना चाहिए।'
बहरहाल, आईएमए के पत्र में कहा गया है, 'आरजी कर के युवा स्नातकोत्तर रेजिडेंट के बलिदान ने पूरे देश की अंतरात्मा को झकझोर दिया है। पूरे देश का गुस्सा और हताशा इस बात पर समान रूप से है कि वह एक उभरती हुई डॉक्टर थी और साथ ही वह निम्न-मध्यम वर्गीय माता-पिता की इकलौती बेटी थी। पूरे देश ने उसे अपनी बेटी के रूप में अपनाया है।'
पत्र में कहा गया है, 'भारत के नागरिक होने के नाते, पूरे चिकित्सा समुदाय को माननीय न्यायालय द्वारा दिए गए वचन का पालन करना चाहिए। रोगी की देखभाल और सुरक्षा चिकित्सा पेशेवरों की मुख्य चिंता है। आधुनिक चिकित्सा के सभी डॉक्टरों को रोगी की देखभाल के लिए वापस लौटना चाहिए और न्याय को भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय पर छोड़ देना चाहिए।'
कोलकाता में जूनियर डॉक्टर के बलात्कार-हत्या की इस घटना के बाद भाजपा और राज्य सरकार के बीच टकराव हुआ है। बीजेपी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग की है। कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के बाद मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया है।
कोलकाता बलात्कार और हत्या मामले पर विवाद के बीच पश्चिम बंगाल विधानसभा ने मंगलवार को ही सर्वसम्मति से बलात्कार विरोधी विधेयक को पास कर दिया है। ममता सरकार ने इसके लिए पश्चिम बंगाल विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाया। विधेयक पेश किए जाने के दौरान भाजपा द्वारा विधेयक में संशोधन और उनके इस्तीफे की मांग करने के बाद सीएम ममता बनर्जी ने सदन को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने हाथरस, उन्नाव की घटनाओं सहित बीजेपी शासित राज्यों में बलात्कार के मामले गिनाए। इसके बाद सदन में हंगामा हो गया। हालाँकि विधेयक का बीजेपी ने भी समर्थन किया।
बलात्कार विरोधी विधेयक पारित होने के बाद सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी भाजपा ने इसके शीघ्र क्रियान्वयन के लिए एक-दूसरे के पाले में गेंद डाल दी। चूँकि आपराधिक कानून समवर्ती सूची में आता है, इसलिए इस कानून को राष्ट्रपति की मंजूरी की ज़रूरत होगी। ममता बनर्जी इस पहलू से अच्छी तरह वाकिफ थीं, जब उन्होंने विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी से कहा कि वे बंगाल के राज्यपाल से इस कानून पर जल्द से जल्द हस्ताक्षर करवाएँ। अधिकारी ने अपने भाषण में कहा कि इस कानून को लागू करवाना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।