अयोध्या में ज़मीन के घपले हो रहे हैं, ऐसी शिकायतें अब क़रीब-क़रीब हर रोज आ रही हैं। हाल ही में बीजेपी सांसद ने ही सनसनीखेज आरोप लगाया था कि अयोध्या में भूमाफियाओं का दबदबा है और अब अयोध्या विकास प्राधिकरण ने ऐसे 40 लोगों की सूची जारी की है जिन पर ज़मीन के अवैध सौदे का आरोप है। इस सूची में बीजेपी विधायक वेद प्रकाश गुप्ता, पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा और मेयर ऋषिकेश उपाध्याय का भी नाम शामिल है। हालाँकि, उन्होंने इन आरोपों को खारिज किया है, लेकिन इसी को लेकर सोशल मीडिया पर जबर्दस्त प्रतिक्रिया हुई है।
प्रशांत भूषण ने ट्वीट किया है, 'अयोध्या भूमि घोटाले में अयोध्या विधायक और मेयर शामिल हैं। दोषी ठहराए जाने के बाद कोर्ट की फाइल ले गए यूपी के मंत्री। कोर्ट रीडर ने दर्ज कराई एफआईआर। भाजपा किसान नेता ने सोसाइटी में महिला के साथ बदसलूकी की। बहुत ईमानदार और संस्कारी पार्टी के लिए एक दिन के ये सब काम।'
उनकी इस टिप्पणी में बीजेपी विधायक और मेयर का जो ज़िक्र किया गया है वह जमीन के सौदे से जुड़ा है। सरयू नदी के किनारे डूब क्षेत्र, सरकारी नजूल और ग्रामीण क्षेत्र की जमीनों के एक बड़े हिस्से को सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर प्रॉपर्टी डीलरों ने बेचा है। आरोप है कि इस खरीद-फरोख्त में किसी भी मानक का पालन नहीं किया गया है। इसी को लेकर अयोध्या विकास प्राधिकरण ने 40 ऐसे प्रॉपर्टी डीलरों की सूची जारी की है जिन्होंने गैरकानूनी तरीके से जमीनें खरीदी, बेची और वहां प्लाटिंग करा दी।
अंग्रेज़ी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार अयोध्या विकास प्राधिकरण यानी एडीए के उपाध्यक्ष विशाल सिंह ने रविवार को ऐसी सूची जारी होने की पुष्टि की है। हालाँकि, विधायक गुप्ता और मेयर उपाध्याय दोनों ने इन आरोपों से इनकार किया है और प्रधाकिरण पर मानहानि का दावा करने की चेतावनी दी है। उपाध्यक्ष विशाल सिंह ने बताया, 'हमने 40 ऐसी जगहों की पहचान की है जहां अवैध कॉलोनियाँ बनाई गई हैं। हालांकि, इसकी संख्या और ज़्यादा हो सकती है।'
इस मामले को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी नेताओं के हवाले से पार्टी पर निशाना साधा और कहा है कि 'छद्म आस्थाजीवी' खुलकर सामने आ गए हैं।
तान्या यादव नाम के यूज़र ने लिखा है कि अयोध्या में भूमाफियाओं ने जबरन ज़मीन कब्जाई है।
अयोध्या में जमीन में घपले को लेकर खुद बीजेपी सांसद लल्लू सिंह ने 9 दिन पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शिकायत की है। उन्होंने मुख्यमंत्री को ख़त लिखकर इस मामले की जाँच एसआईटी से कराने की मांग की है।
सांसद ने 31 जुलाई को मुख्यमंत्री को भेजे शिकायती पत्र में कहा है कि अयोध्या में जमथरा से गोलाघाट तक भूमाफियाओं की ओर से नजूल और सरयू नदी की डूब की ज़मीन में अवैध कब्जा किया गया है। उन्होंने ख़त में कहा है, 'अयोध्या में भू-माफियाओं का ऐसा दबदबा है कि पूर्व में सम्बन्धित तात्कालिक अधिकारियों/कर्मचारियों के साथ मिलकर नजूल और डूब क्षेत्र की जमीनों में हेराफेरी की गई और लोगों को गुमराह कर जमीनों को ऐन- केन- प्रकारेण उनके नाम कर दिया गया।'
सांसद ने शहर की इस समस्या की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा है कि "गत तीन दशकों से उत्तर प्रदेश शासन की ओर से नजूल का किसी भी प्रकार का पट्टा नहीं किया जा रहा है और न ही किए गये पट्टे का रिन्यूअल हो रहा है। डूब की जमीनों पर किसी प्रकार का फ्री-होल्ड भी नहीं हो रहा है। फिर भी उक्त जमीन का किन परिस्थितियों में भू-माफियाओं ने डूब क्षेत्र नजूल की भूमि बेच दी।'
वैसे, अयोध्या में भूमाफियाओं को लेकर यह शिकायत कोई नई नहीं है। हालाँकि नया यह है कि बीजेपी सांसद ने ही शहर में इस बड़ी समस्या की ओर ध्यान दिलाया है। शहर में जमीनों की खरीद-फरोख्त में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों की शिकायत तब आने लगी जब राम मंदिर निर्माण के लिए ज़मीन की ख़रीद शुरू हुई।
नवंबर 2019 में राम मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद अयोध्या में ज़मीन के अवैध सौदों और कॉलोनियां बसने के आरोप लगाए जा रहे हैं। तब से यहां ज़मीनों के दाम भी कई गुना बढ़ गए हैं।
चंपत राय से जुड़ा ज़मीन विवाद
अयोध्या में ज़मीनों में हेरफेर का मामला पिछले साल पूरे देश में सुर्खियों में रहा था। पिछले साल जून महीने में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का नाम आया था। सांसद संजय सिंह और पूर्व विधायक पवन पांडेय ने आरोप लगाया था कि राम जन्मभूमि ट्रस्ट ने दो करोड़ रुपये की ज़मीन 18.50 करोड़ रुपये में खरीदी और इस तरह इसमें करोड़ों रुपये का घपला किया गया।
उन्होंने आरोप लगाया था कि कुसुम पाठक और हरीश पाठक से सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी ने यह ज़मीन 7.10 मिनट पर ख़रीदी थी और 5 मिनट बाद इसे रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी से श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 18.50 करोड़ में ख़रीद लिया।
तब संजय सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स में कहा था, 'चंपत राय के मुताबिक़, यह ज़मीन महंगी है और जब सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी ने कुसुम पाठक और हरीश पाठक से इस ज़मीन को ख़रीदा था, उस वक़्त रजिस्टर्ड अनुबंध बहुत पहले कर लिया था, तब दाम सस्ते रहे होंगे और बाद में यह बढ़ गए।'
आप नेता ने कहा था कि चंपत राय के मुताबिक़ वहां ज़मीन महंगी है और सरकारी रेट के हिसाब से भी अगर मान लें तो वह भी 5 करोड़ 80 लाख है और बैनामे के वक़्त यह ज़मीन 2 करोड़ में ख़रीदी गई, यह बात ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा और मेयर ऋषिकेश उपाध्याय को पता थी और वे लोग उस वक़्त वहां मौजूद थे।
अयोध्या में रामजन्म भूमि पर मंदिर का निर्माण करा रहे ट्रस्ट पर ज़मीन खरीद में फर्जीवाड़े के आरोप के बाद ट्रस्ट ने कहा था कि फर्जीवाड़े के आरोप पूरी तरह भ्रामक हैं और राजनीति से प्रेरित हैं।