आईआईटी भारत के बाहर पहली बार अपना अंतरराष्ट्रीय कैंपस खोलने जा रहा है। अफ्रीकी देश तंजानिया के जांजीबार में आईआईटी मद्रास अपना कैंपस खोल रहा है। इसको लेकर बुधवार को शिक्षा मंत्रालय, आईआईटी मद्रास और तंजानिया की एजुकेशन मिनिस्ट्री के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया है। इस मौके पर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और तंजानिया के राष्ट्रपति हुसैन अली म्विनी मौजूद रहे। प्राप्त जानकारी के मुताबिक अक्टूबर से इस कैंपस का प्रोग्राम लॉन्च किया जाएगा। आईआईटी-एम ज़ांज़ीबार में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय परिसर खोलने के लिए तैयारियां कर चुका है। संस्थान अक्टूबर 2023 तक स्नातक (यूजी) के 50 और स्नातकोत्तर (पीजी) के 20 छात्रों के एक बैच के साथ अपनी कक्षाएं शुरू करने की योजना बना रहा है। आईआईटी मद्रास यहां डेटा साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कार्यक्रम भी लांच करेगा। ज़ांज़ीबार में स्थित आईआईटी का यह परिसर अगले तीन से पांच वर्षों के भीतर पूरी तरह से तैयार हो जाएगा।
फरवरी में पांच प्रोफेसरों की टीम ने किया था दौरा
आईआईटी मद्रास के पांच प्रोफेसरों की एक विशेष टीम ने इस साल फरवरी में तंजानिया का दौरा किया था। टीम ने परिसर खोलने को लेकर तंजानिया के अधिकारियों के साथ बैठकें की थी। इस कैंपस के लिए तंजानिया का दौरा करने वाली आईआईटी मद्रास की टीम में प्रोफेसर रघु रेंगास्वामी, प्रोफेसर प्रीति अघालयम, प्रोफेसर लिवी फिलिप, प्रोफेसर केएन सत्यनारायण और प्रोफेसर अन्नामलाई मणि शामिल थे।
कुआलालंपुर और अबू धाबी में भी खुलेगा आईआईटी
मिली जानकारी के मुताबिक ज़ांज़ीबार के राष्ट्रपति हुसैन म्विनी ने इस कैंपस के स्वायत्तता का आश्वासन देते हुए अनुमति दी है। माना जाता है कि आईआईटी को गुणवत्ता बनाए रखने के लिए इसकी गारंटी देने की आवश्यकता होगी। यह कैंपस न सिर्फ ज़ांज़ीबार और तंजानिया बल्कि पूरे पूर्वी अफ्रीकी क्षेत्र में तकनीकी शिक्षा का उत्कृष्ट केंद्र होगा। इससे इस क्षेत्र के विकास और बेहतर शिक्षा को भी बढ़ावा मिलेगा। आईआईटी का ज़ांज़ीबार परिसर भारत के बाहर खुलने वाले इसके तीन अंतरराष्ट्रीय कैंपसों में से एक होगा। वहीं दो अन्य कुआलालंपुर और अबू धाबी में स्थापित किए जाएंगे।
भारत और तंजानिया के बीच द्विपक्षीय संबंध होंगे मजबूत
इससे पूर्व 2022 में, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भारत और तंजानिया के बीच अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए अपने समकक्षों के साथ कई बैठकें की थी। इसी कड़ी में शिक्षा और रोजगार क्षेत्र के निर्माण के लिए तंजानिया, जिम्बाब्वे, मॉरीशस और घाना के साथ सम्मेलन आयोजित किए गए थे। बैठक के दौरान धर्मेंद्र प्रधान ने तंजानिया में शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए आईआईटी परियोजना के लिए भारत के समर्थन की बात कही थी। विदेशों में आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के कैंपस खोले जाने की घोषणा के बाद से ऐसी रिपोर्ट्स भी आ रही हैं जिनमें दावा किया जा रहा है कि आईआईटी के विदेशी परिसरों का नाम भविष्य में "इंडिया इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी" रखा जा सकता है। इनमें प्रतिष्ठित प्रौद्योगिकी संस्थानों की फैक्लटी को विदेश में कुछ समय के लिए प्रतिनियुक्ति पर भेजा जा सकता है। हालांकि इसको लेकर अभी आधिकारिक तौर पर कोई घोषणा नहीं की गई है।