आईआईटी बॉम्बे में छात्र दर्शन सोलंकी की कथित आत्महत्या की जाँच के लिए संस्थान द्वारा गठित एक जांच समिति ने पाया है कि छात्र के साथ जातिगत भेदभाव किए जाने का कोई सबूत नहीं है। इसके साथ ही इसने उसके 'बिगड़ते शैक्षणिक प्रदर्शन' को आत्महत्या जैसे क़दम उठाने के पीछे एक संभावित कारण का संकेत दिया है।
अहमदाबाद के केमिकल इंजीनियरिंग के प्रथम वर्ष के छात्र सोलंकी ने सेमेस्टर की परीक्षा ख़त्म होने के एक दिन बाद 12 फरवरी को कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। सोलंकी के परिवार ने आरोप लगाया कि कैंपस में उनके साथ जाति-आधारित भेदभाव किया गया, जिसके कारण उन्होंने आत्महत्या कर ली। छात्र की बहन जाह्नवी सोलंकी ने एनडीटीवी से कहा था कि घटना वाले दिन उसने मुझसे और चाची से कैंपस में होने वाले जातिगत भेदभाव पर बात की थी। उन्होंने कहा था कि वह पिछले महीने जब घर आया था तब भी उसने परिवार वालों को कैंपस में हो रहे जातिगत भेदभाव के बारे में बताया था। उसने बताया था कि जब उसके दोस्तों को पता चला कि वह अनुसूचित जाति से है तो उसके प्रति उनका व्यवहार बदल गया, उन्होंने बात करना बंद कर दिया, साथ घूमना बंद कर दिया।
तब संस्थान में दलित छात्रों के लिए काम करने वाले एक समूह एपीपीएससी यानी आंबेडकर पेरियार फुले स्टडी सर्कल IIT बॉम्बे ने ट्वीट किया था, 'हम एक 18 वर्षीय दलित छात्र दर्शन सोलंकी के निधन पर शोक व्यक्त करते हैं, जो 3 महीने पहले अपने बीटेक के लिए आईआईटी बॉम्बे में शामिल हुए थे। हमें यह समझना चाहिए कि यह एक व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि एक संस्थागत हत्या है।'
इसने बयान जारी कर कहा था कि 'हमारी शिकायतों के बावजूद संस्थान ने दलित बहुजन आदिवासी छात्रों के लिए स्थान को समावेशी और सुरक्षित बनाने की परवाह नहीं की। प्रथम वर्ष के छात्रों को आरक्षण विरोधी भावनाओं और गैर-योग्यता के ताने के मामले में सबसे अधिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। हाशिए वाले समूह से फैकल्टी और काउंसलर की कमी है।'
आत्महत्या का वह मुद्दा बनने के बाद आईआईटी-बॉम्बे ने मौत की परिस्थितियों की जांच के लिए रसायन विज्ञान विभाग के प्रोफेसर नंद किशोर की अध्यक्षता में एक 12 सदस्यीय समिति का गठन किया था। द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि समिति ने 2 मार्च को अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंपी है और इसकी एक प्रति केंद्र सरकार के साथ भी साझा की गई है। सूत्रों के अनुसार जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि केवल सोलंकी की बहन ने कहा है कि उनके भाई ने 'आईआईटी बॉम्बे में कुछ छात्रों द्वारा सामना किए गए जाति-संबंधी मुद्दों का ज़िक्र किया था और उन्होंने खुद भी इसका सामना किया था।'
रिपोर्ट में कहा गया है कि आंबेडकर पेरियार फुले स्टडी सर्कल और अंबेडकराइट स्टूडेंट्स कलेक्टिव के सदस्य, जिन्होंने समिति के सामने गवाही दी, उन्होंने कैंपस में जातिगत भेदभाव के उदाहरण रखे, लेकिन 'उनमें से कोई भी कभी भी दर्शन सोलंकी से न तो मिला था या न ही सीधे तौर पर जानता था कि सोलंकी व्यक्तिगत रूप से किसी तरह की परेशानी का सामना कर रहा है या नहीं।'
अंतरिम रिपोर्ट में कहा गया है, 'इसलिए, डीएस (दर्शन सोलंकी) की बहन के बयान के अलावा, डीएस द्वारा आईआईटी बॉम्बे में रहने के दौरान प्रत्यक्ष जाति-आधारित भेदभाव का कोई विशेष सबूत नहीं है।'
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति ने सोलंकी के शैक्षणिक प्रदर्शन के बारे में बात की है। यह कहती है कि एक विषय को छोड़कर अन्य सभी विषयों में सोलंकी का प्रदर्शन "बहुत खराब" था। उसमें कहा गया है, 'यह भी लगता है कि डीएस को व्याख्यान समझने में कठिनाइयाँ थीं जो शायद उन्हें गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती थीं और उन्होंने कक्षाओं को छोड़ना शुरू कर दिया था... इसलिए, बिगड़ते शैक्षणिक प्रदर्शन की निराशा एक बहुत मज़बूत कारण लगती है जिसने डीएस को बहुत गंभीरता से प्रभावित किया होगा।'