हिमाचल: कांग्रेस और बीजेपी के लिए मुसीबत बने बगावती नेता

09:45 am Oct 22, 2022 | सत्य ब्यूरो

हिमाचल प्रदेश में चुनाव की तारीखों के एलान के बाद इन दिनों नामांकन की प्रक्रिया चल रही है। राज्य के दो बड़े दल बीजेपी और कांग्रेस असंतुष्ट नेताओं को मनाने में जुटे हैं। दोनों राजनीतिक दलों को इस बात का डर है कि टिकट मिलने से वंचित रह गए नेता अगर चुनाव मैदान में उतर गए तो उनकी हार की स्क्रिप्ट लिख सकते हैं। 

हिमाचल में 12 नवंबर को वोटिंग होगी और 8 दिसंबर को मतगणना होगी। प्रदेश में 25 अक्टूबर तक नामांकन भरे जा सकेंगे। 

साल 2017 के विधानसभा चुनाव में हिमाचल प्रदेश में बीजेपी को 44 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। जबकि कांग्रेस को 21 सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन बीते साल 3 विधानसभा सीटों और एक लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी। 

नेताओं को मना रहे जयराम

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर शुक्रवार देर रात तक डैमेज कंट्रोल में जुटे रहे। उन्होंने चुनाव लड़ने को तैयार बैठे कई नेताओं से फोन पर बातचीत की और उन्हें चुनाव मैदान में न उतरने के लिए कहा। दैनिक जागरण के मुताबिक, हालांकि जयराम ठाकुर से बातचीत होने के बाद भी नालागढ़ से पूर्व विधायक केएल ठाकुर ने कहा है कि वह चुनाव जरूर लड़ेंगे। 

कांगड़ा जिले में नाराजगी ज्यादा

कांगड़ा जिले में बीजेपी और कांग्रेस दोनों को ही अपने बगावती नेताओं को मनाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। फतेहपुर सीट से कृपाल परमार और इंदौरा सीट से पूर्व विधायक मनोहर धीमान ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। धर्मशाला सीट पर बीजेपी से राकेश चौधरी को टिकट दिए जाने का विरोध हो रहा है और ऐसा ही विरोध जवाली सीट पर भी देखने को मिल रहा है। इसी तरह कुल्लू सदर सीट से टिकट न मिलने से नाराज बीजेपी के नेता राम सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान किया है। 

कांग्रेस में भी है लड़ाई

स्थानीय खबरों के मुताबिक, करसोग सीट से महेश राज को कांग्रेस का टिकट न मिलने पर एनएसयूआई के कई नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है। बल्ह विधानसभा सीट पर पूर्व मंत्री चौधरी पीरु राम के परिवार ने कहा है कि वह बीजेपी का समर्थन करेंगे। चिंतपूर्णी सीट पर भी नाराजगी दिख रही है और यहां के नेताओं ने पूर्व मंत्री कुलदीप कुमार को टिकट देने की मांग की है। 

आक्रामक चुनाव प्रचार 

बीजेपी हिमाचल प्रदेश में आक्रामक चुनाव प्रचार करने जा रही है। आने वाले कुछ दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हिमाचल प्रदेश में कई चुनावी रैलियों को संबोधित करेंगे। जबकि कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी 31 अक्टूबर को मंडी में एक चुनावी रैली को संबोधित करेंगी। इस रैली को सफल बनाने के लिए कांग्रेस के कार्यकर्ता जुटे हुए हैं।

प्रियंका ने कुछ दिन पहले भी एक चुनावी रैली से कांग्रेस के चुनाव प्रचार का आगाज किया था। 

हिमाचल प्रदेश में साल 1985 से अब तक हर विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बदलती रही है। देखना होगा कि इस बार क्या यह परंपरा कायम रहती है या फिर बीजेपी इसे तोड़ती है?

चुनाव मैदान में सुस्त पड़ी आप

इस साल मार्च में पंजाब के चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने वाली आम आदमी पार्टी ने ऐसा लगता है कि हिमाचल प्रदेश में चुनाव मैदान छोड़ दिया है। पंजाब की जीत के बाद आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हिमाचल प्रदेश के ताबड़तोड़ दौरे शुरू किए थे। केजरीवाल ने हिमाचल प्रदेश की जनता से तमाम बड़े वादे किए और बड़े बदलावों के लिए एक मौका देने की अपील की थी। 

लेकिन जुलाई के बाद से ही केजरीवाल ने हिमाचल प्रदेश का दौरा नहीं किया है। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन को राज्य का प्रभारी बनाया था लेकिन जैन को मई के आखिर में ईडी ने गिरफ्तार कर लिया था और वह जेल में हैं। तब से प्रभारी जैसा अहम पद खाली था और बीते हफ्ते पार्टी ने पंजाब सरकार के कैबिनेट मंत्री हरजोत सिंह बैंस को हिमाचल प्रदेश का प्रभारी बनाया है। हालांकि पार्टी ने सभी 68 सीटों के लिए उम्मीदवारों का एलान कर दिया है।