हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया का कहना है- "कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने वाले छह विधायकों ने अपने खिलाफ दलबदल विरोधी कानून के प्रावधानों को आकर्षित किया... मैं घोषणा करता हूं कि छह लोग तत्काल प्रभाव से हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सदस्य नहीं रहेंगे। "
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समझा जाता है कि स्पीकर ने यह कार्रवाई कांग्रेस के और विधायकों का भाजपा की तरफ पलायन रोकने के लिए की है, ताकि बड़े पैमाने पर दरबदल न हो सके। सूत्रों का कहना है कि भाजपा की बुधवार देर रात जो बैठक हुई थी। उसके बाद खबरें थीं कि कांग्रेस के कुछ और विधायक बागी हो सकते हैं और भाजपा उन्हें हरियाणा ले जा सकती है।
दो अलग-अलग बैठकें
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू 29 फरवरी गुरुवार सुबह से अपने आधिकारिक आवास ओक ओवर में मंत्रियों और पार्टी विधायकों के साथ बातचीत कर रहे हैं। जबकि पार्टी पर्यवेक्षक डीके शिवकुमार, भूपेश भगेल और भूपिंदर सिंह हुड्डा एक निजी होटल में पार्टी विधायकों से मुलाकात कर रहे हैं।
कांग्रेस के 6 विधायकों ने मंगलवार को राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की थी, जिसके कारण भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन को अप्रत्याशित जीत मिली थी। इससे हिमाचल प्रदेश की राजनीति में भी संकट पैदा हो गया। सीएम सुखविंदर सुक्खू के नेतृत्व पर सवाल उठाए गए और कहा गया कि वह सदन में बहुमत खो चुके हैं। बुधवार को स्पीकर ने बीजेपी के 15 विधायकों को सदन से निलंबित कर दिया था और फिर तय समय से एक दिन पहले विधानसभा अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर बजट पास कर दिया गया। हिमाचल में पैदा हुए संकट को सुलझाने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने दो पर्यवेक्षकों डीके शिवकुमार (डिप्टी सीएम कर्नाटक) और हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को शिमला रवाना किया। हिमाचल में कांग्रेस की सरकार फिलहाल बच गई है लेकिन उसका अपना संकट टला नहीं है।
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स्पीकर ने कांग्रेस के इन विधायकों को अयोग्य करार दिया हैः राजेंद्र राणा, सुधीर शर्मा, चैतन्य शर्मा, इंदर दत्त लखनपाल, दविंदर कुमार भुट्टो और रवि ठाकुर। ये सभी लोग मंत्री बनना चाहते थे। राजेंद्र राणा तो डिप्टी सीएम के ख्वाब देख रहे थे। इन लोगों के समर्थन में या उनकी पीठ पर सुक्खू मंत्रिमंडल के पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य का हाथ था। उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है।
विक्रमादित्य सिंह का बयान
छह बार के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह, जिन्होंने पीडब्ल्यूडी मंत्री के रूप में अपना इस्तीफा दे दिया था, ने कहा है कि उन्होंने अपना इस्तीफा वापस नहीं लिया है और जब तक कांग्रेस पर्यवेक्षक अपना अंतिम निर्णय नहीं दे देते, तब तक ऐसा नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा- "इस्तीफा वापस लेने और इसे स्वीकार करने के लिए तब तक दबाव नहीं डालने के बीच अंतर है। जब तक बातचीत और केंद्रीय पर्यवेक्षकों के प्रयासों से कोई अंतिम परिणाम सामने नहीं आ जाता, तब तक मैं इस्तीफा वापस नहीं लूंगा। मैंने यह कहा है कि इस्तीफा स्वीकार करने का दबाव नहीं बनाऊंगा। हमारी उनके साथ कई दौर की चर्चा हो चुकी है।" इसके बाद दोनों पर्यवेक्षकों ने गुरुवार सुबह से होटल में विधायकों को बुलाकर बातचीत शुरू कर दी है।
असंतुष्टो से पल्ला झाड़ा6 बागी विधायकों पर एक्शन होते ही यानी उन्हें अयोग्य करार देने की घोषणा होते ही विक्रमादित्य सिंह ने भी उनसे पल्ला झाड़ लिया। सिंह ने मीडिया से कहा- राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के लिए क्रॉस वोटिंग करने वाले छह बागी विधायक इस स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं, न कि मैं। इस बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गुरुवार को शिमला में सभी कांग्रेस विधायकों की 'ब्रेकफास्ट मीटिंग' बुलाई। पार्टी विधायक आशीष बुटेल ने कहा, "यह एक महत्वपूर्ण बैठक है। देखते हैं क्या होता है...यह एक अनौपचारिक बैठक है।"