मंडी में 10 में से 9 सीट हारी कांग्रेस; प्रतिभा का दावा कैसे मजबूत?
हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद राज्य में मुख्यमंत्री कौन होगा, कांग्रेस इसके लिए माथापच्ची कर रही है। मुख्यमंत्री पद की दौड़ में प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष और मंडी लोकसभा सीट से सांसद प्रतिभा सिंह का नाम सबसे ऊपर आ रहा है लेकिन प्रतिभा सिंह के संसदीय क्षेत्र मंडी में कांग्रेस बुरी तरह हारी है।
मंडी संसदीय क्षेत्र की 10 में से 9 सीटों पर कांग्रेस को हार मिली है। ऐसे में सवाल यह है कि मुख्यमंत्री पद पर प्रतिभा सिंह का दावा किस तरह मजबूत बैठता है क्योंकि वह अपने संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस को नहीं जिता सकी हैं।
प्रतिभा सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह विधायक हैं। उन्होंने कहा है कि वह अपनी मां के लिए अपनी सीट छोड़ने के लिए तैयार हैं। खुद प्रतिभा सिंह ने तमाम टीवी चैनलों से बातचीत में कहा है कि मुख्यमंत्री चयन के मामले में उनके पति और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के परिवार को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
बताना होगा कि प्रतिभा सिंह ने पिछले साल नवंबर में हुए मंडी संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव में जीत हासिल की थी लेकिन वह विधानसभा चुनाव में यहां की सीटों पर कांग्रेस को जीत नहीं दिला सकीं। मंडी संसदीय क्षेत्र में आने वाली विधानसभा सीटों में से सिर्फ एक धर्मपुर सीट पर कांग्रेस को जीत मिली है। ऐसे में समझा जा सकता है कि मंडी संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस का प्रदर्शन कितना निराशाजनक रहा है।
प्रतिभा सिंह इस इलाके से सांसद होने के साथ ही प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष भी हैं, इसलिए हार की जिम्मेदारी भी उनकी ही बनती है।
बताना होगा कि मंडी निवर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का गृह जिला है और यहां कई सीटों पर बगावत के बाद भी जयराम ठाकुर बीजेपी को 9 सीटें जिताने में कामयाब रहे हैं।
प्रतिभा सिंह और उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह ने मुख्यमंत्री की कुर्सी वीरभद्र परिवार के पास ही रहने के लिए पूरा जोर लगा दिया है लेकिन मंडी संसदीय सीट के रिकॉर्ड को देखकर कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व यह जरूर विचार करेगा कि क्या प्रतिभा सिंह को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए।
उपमुख्यमंत्री बना सकती है कांग्रेस
चर्चा इस तरह की भी है कि कांग्रेस पहली बार हिमाचल प्रदेश में उपमुख्यमंत्री बना सकती है क्योंकि मुख्यमंत्री पद के लिए प्रतिभा सिंह के अलावा प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू और पिछली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे मुकेश अग्निहोत्री का नाम भी शामिल है। ऐसे में नाराजगी को थामने के लिए किसी नेता को उपमुख्यमंत्री की कुर्सी दी जा सकती है।