लगातार चुनावी हार से जूझ रही कांग्रेस को हिमाचल प्रदेश में जीत से ऑक्सीजन मिली है। मार्च, 2022 में जब पांच राज्यों के चुनाव नतीजे आए थे तो कांग्रेस किसी भी राज्य में जीत हासिल नहीं कर सकी थी और उसने पंजाब भी गंवा दिया था। उसके बाद पार्टी निराशा में डूब गई थी। लेकिन हिमाचल प्रदेश के चुनाव नतीजों ने उसे कुछ हिम्मत जरूर दी है।
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने जमीनी और स्थानीय मुद्दों को उठाते हुए चुनाव जरूर लड़ा लेकिन इसके साथ ही जीत में पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का भी अहम रोल रहा।
प्रियंका ने चुनाव प्रचार की कमान अपने हाथ में ली थी और प्रत्याशियों के चयन से लेकर मुद्दे तय करने में भी उनका दखल रहा।
ऐसे वक्त में जब राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे हैं और वह चुनाव प्रचार के लिए हिमाचल प्रदेश नहीं पहुंचे तो प्रियंका गांधी को ही आगे बढ़कर प्रचार का नेतृत्व करना था और उन्होंने ऐसा ही किया।
प्रियंका गांधी ने अपनी चुनावी जनसभाओं में हिमाचल के नव निर्माण से लेकर युवाओं के हाथों को काम सहित जमीनी मुद्दों को छुआ। प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान बेरोजगारी, ओल्ड पेंशन स्कीम, सेब किसानों का दर्द, ग्रामीण इलाकों तक सड़क ना होना, अग्निपथ योजना जैसे स्थानीय मुद्दों को जोर-शोर से उठाया।
मार्च में पांच राज्यों के चुनाव प्रचार के दौरान प्रियंका गांधी ने विशेष रुप से उत्तर प्रदेश में ही चुनाव प्रचार किया था। हालांकि इक्का-दुक्का मौकों पर उन्होंने उत्तराखंड, गोवा और पंजाब में भी चुनावी जनसभाएं की लेकिन उन्होंने अधिकतर वक्त उत्तर प्रदेश को ही दिया। तब बाकी राज्यों में प्रचार की कमान राहुल गांधी संभाल रहे थे।
लेकिन राहुल गांधी चूंकि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं इसलिए प्रियंका ने प्रचार की कमान संभाली और हिमाचल में उनकी रैलियों में अच्छी खासी भीड़ भी जुटी। प्रियंका ने राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने पर पहली कैबिनेट बैठक में 1 लाख सरकारी नौकरी देने जैसे कई बड़े वादे किए। कांग्रेस ने 10 बड़ी गारंटियों का एलान भी हिमाचल की जनता के लिए किया था।
हिमाचल के चुनाव नतीजों के बाद यह कहा जा सकता है कि कांग्रेस साल 2023 के चुनावी साल में प्रियंका गांधी को कई अन्य राज्यों में भी चुनाव प्रचार के लिए बड़ी जिम्मेदारी देगी। साल 2023 में 10 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन 10 राज्यों में से दो राज्य वे हैं, जहां पर अभी कांग्रेस सत्ता में है। ऐसे में प्रियंका गांधी वाड्रा चुनावी राज्यों में भी वोट मांगती दिख सकती हैं।
प्रियंका का नाम कांग्रेस अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों में भी लिया जा रहा था लेकिन राहुल गांधी स्पष्ट कर चुके थे कि गांधी परिवार का कोई भी नेता पार्टी का अध्यक्ष नहीं बनेगा। शायद इसलिए प्रियंका का नाम उम्मीदवारों की सूची से बाहर हो गया लेकिन बड़ी संख्या में कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता चाहते थे कि प्रियंका पार्टी की अध्यक्ष बनें।
हिमाचल से मिली संजीवनी
साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में करारी हार के साथ ही कांग्रेस पिछले 8 सालों में बड़ी संख्या में कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी शिकस्त खा चुकी है। पार्टी को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले 2023 के चुनावी राज्यों में भी बेहतर प्रदर्शन करना होगा और हिमाचल की जीत उसे कुछ ऊर्जा जरूर दे सकती है।
यह माना जा रहा है कि 2023 के चुनावी राज्यों और 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले प्रियंका गांधी बड़े पैमाने पर कांग्रेस की जनसभाओं और चुनावी रैलियों में दिखाई देंगी और निश्चित रूप से इससे राहुल गांधी के बाद कांग्रेस को एक और बड़ा चुनावी चेहरा प्रचार के लिए मिल सकेगा।