हिमाचलः 'योगी' बनने चले विक्रमादित्य को कांग्रेस ने दिल्ली बुलाकर फटकारा
हिमाचल प्रदेश के लोक निर्माण विभाग और शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने घोषणा की है कि हिमाचल में हर भोजनालय और फूड स्टॉल पर उसके मालिक की आईडी (पहचानपत्र) लगाना होगी। कांग्रेस शासित हिमाचल का यह फैसला यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इसी तरह के विवादित आदेश की नकल है। लेकिन कांग्रेस ने इस घोषणा का कड़ा नोटिस लिया और मंत्री विक्रमादित्य सिंह को गुरुवार को दिल्ली बुलाकर फटकार लगाई।
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मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने मंत्री के बयान से दूरी बना ली। सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि अभी नेमप्लेट और आईडी पर कोई फैसला नहीं हुआ है। वो मंत्री का व्यक्तिगत बयान है।
योगी ने भी दो दिन पहले इसी तरह का आदेश दिया है। कांवड़ यात्रा के दौरान भी योगी ने रेहड़ी, पटरी और ढाबों के लिए मालिक के नाम की पर्ची लगाने का आदेश दिया था, जिसकी जबरदस्त आलोचना हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसमें दखल देते हुए यूपी के फैसले पर रोक लगा दी थी। लेकिन योगी ने अब नये तरीके से पुराने आदेश में थोड़ा परिवर्तन करते हुए फिर से लागू कर दिया और इस बार यह भी कहा कि सभी ढाबा, होटल, रेस्टोरेंट मालिकों और उनके कर्मचारियों का पुलिस वेरिफिकेशन भी कराया जाएगा।
हिमाचल सरकार के प्रवक्ता ने गुरुवारप को कहा कि “अब तक, राज्य सरकार ने विक्रेताओं द्वारा अपने स्टालों पर नेमप्लेट या किसी अन्य प्रकार की पहचान के अनिवार्य प्रदर्शन के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया है। सरकार स्ट्रीट वेंडरों से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है और निर्णय लेने से पहले सभी सुझावों पर विचारपूर्वक विचार करेगी।“ सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि रेहड़ी-पटरी वालों की नीति पर गौर करने के लिए संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्द्धन चौहान की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई है और इसमें कांग्रेस और भाजपा विधायक शामिल हैं।
मंत्री विक्रमादित्य सिंह के गैरजिम्मेदाराना बयान पर कांग्रेस ने कड़ा रुख अपनाया। सूत्रों के अनुसार उन्हें दिल्ली बुलाकर फटकार लगाई गई और इस मामले पर विवादास्पद टिप्पणी करने से परहेज करने के लिए कहा गया। बताया जाता है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस मामले को संभालने के सिंह के तरीके पर नाराजगी व्यक्त की है, जो अब राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है।
मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने इससे पहले इस संबंध हुई कथित बैठक में निर्णय लेने के एक दिन बाद, फेसबुक पर पोस्ट किया- “हिमाचल प्रदेश में भी, हर भोजनालय और फास्ट फूड वाली गाड़ी के मालिक को अपनी आईडी प्रदर्शित करनी होगी ताकि ग्राहकों को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। इस आशय का आदेश शहरी विकास एवं नगर निगम की बैठक में पारित किया गया है। जय श्री राम।”
विक्रमादित्य की लिखी इन लाइनों का मतलब आसानी से समझा जा सकता है। यही सॉफ्ट हिन्दुत्व का संकेत है। सबसे अंत में जय श्रीराम लिखकर उन्होंने बताया है कि वो किस रास्ते पर हैं। लेकिन यहां बताना जरूरी है कि विक्रमादित्य सिंह किसी समय असंतुष्ट थे और सीएम बनने का ख्वाब पाले हुए थे। इनकी मां प्रतिभा वीरभद्र सिंह इस समय प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हैं और वो भी असंतुष्टों में शामिल थीं। हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू अपने मंत्री की घोषणा से कितना सहमत हैं, अभी यह साफ नहीं है।
इंडियन एक्सप्रेस ने जब मंत्री विक्रमादित्य सिंह से इस फैसले के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा, “मैं केवल यह कहना चाहूंगा कि यह निर्णय राज्य-केंद्रित है, यह राज्य के लोगों की भलाई के लिए है।” उनकी मां और हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष प्रतिभा वीरभद्र सिंह से यही सवाल जब किया गया तो उन्होंने इस फैसले पर कोई आपत्ति नहीं जताई और कहा कि किसी को इस बारे में विक्रमादित्य से पूछना चाहिए।
विक्रमादित्य का कहना है कि 'पिछले कुछ दिनों से हमारे राज्य में अशांति थी। हमारे निर्णय किसी अन्य राज्य द्वारा संचालित नहीं होते हैं। सभी विक्रेताओं के लिए पहचान पत्र प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा - चाहे वे हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई या किसी अन्य समुदाय से हों। हाईकोर्ट की ओर से हमें राज्य में वेंडिंग जोन, वेंडिंग पॉलिसी बनाने के निर्देश हैं। हालिया अशांति वेंडिंग नीति न होने की वजह से थी।
मंत्री की बैठक में शामिल हुए शिमला नगर निगम के कमिश्नर भूपेन्द्र कुमार अत्री ने बताया, "भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के तहत रजिस्टर्ड खाद्य विक्रेताओं को तत्काल प्रभाव से अपना आईडी कार्ड प्रदर्शित करना होगा।" अत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में लिए गए फैसले से इसका कोई संबंध नहीं है।
वरिष्ठ भाजपा नेता, विधायक और प्रवक्ता रणधीर शर्मा ने कहा, “विक्रमादित्य सिंह की तरह, मैं भी स्ट्रीट वेंडिंग नीति को अंतिम रूप देने के लिए हाल ही में गठित समिति का सदस्य हूं। लेकिन इससे पहले कि हम किसी निष्कर्ष पर पहुंचते और कोई नीति बनाते, उन्होंने बयान देना शुरू कर दिया। हालाँकि, राज्य में भोजनालयों और खाद्य स्टालों के मालिकों को आईडी कार्ड प्रदर्शित करना जरूरी होना चाहिए।
जिस कथित बैठक में निर्णय लिया गया वह मंत्री विक्रमादित्य के दफ्तर में आयोजित की गई थी। बैठक राज्य की स्ट्रीट वेंडिंग नीति को अंतिम रूप देने के लिए बुलाई गई थी। सरकार की यह नीति शिमला की संजौली मस्जिद से संबंधित 11 सितंबर के विवाद के बाद से सुर्खियों में है। इस महीने की शुरुआत में हुए सांप्रदायिक तनाव के पीछे अलग-अलग समुदायों के दो दुकानदारों के बीच हुई लड़ाई थी। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि इस वर्ष 15 दिसंबर तक नीति को अंतिम रूप दिए जाने पर सभी स्ट्रीट वेंडर अपने आईडी कार्ड और वेंडिंग लाइसेंस प्रदर्शित करना शुरू कर देंगे।