केंद्र सरकार ने कहा है कि अब गर्भवती महिलाएँ भी कोरोना वैक्सीन लगवा सकती हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि उसने गर्भवती महिलाओं को कोरोना वैक्सीन लगाने से जुड़ी गाइडलाइंस जारी कर दी है। स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ़्रेंस में इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च के महानिदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव ने कहा कि वैक्सीन गर्भवती महिलाओं के लिए उपयोगी है और इसे दिया जाना चाहिए।
इससे पहले पिछले महीने ही घोषणा की गई थी कि अपने बच्चों को स्तनपान करवाने वाली महिलाएँ भी कोरोना टीका लगवा सकती हैं।
प्रेस कॉन्फ़्रेंस में डॉक्टर भार्गव ने कहा, 'स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिशा-निर्देश दिए हैं कि गर्भवती महिलाओं को वैक्सीन दी जा सकती है।'
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन कहती हैं कि माँ और अजन्मे बच्चे के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए वैक्सीन लगाना चाहिए। वह कहती हैं कि न तो सुरक्षा को लेकर कोई बड़ी चिंता है और न ही उसके विपरीत परिणाम को लेकर। उन्होंने कहा है कि जहाँ कोरोना का ख़तरा ज़्यादा है वहाँ गर्भवती महिलाओं को वैक्सीन लगवाना ही चाहिए। उन्होंने कहा है कि वैक्सीन लेने के फ़ायदे ख़तरे से ज़्यादा हैं।
हालाँकि केंद्र सरकार की ओर से बच्चों को वैक्सीन दिए जाने पर कोई भी फ़ैसला नहीं लिया जा सका है। उन्होंने कहा कि अभी पर्याप्त आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं इसलिए अभी यह बहस का विषय है कि बच्चों को वैक्सीन दी जाए या नहीं।
बता दें कि देश में अभी 2-18 साल के बीच के बच्चों को कोरोना वैक्सीन लगाई जाए या नहीं, इस पर ट्रायल किया जा रहा है। भारत बायोटेक कोवैक्सीन का ट्रायल कर रहा है। इस ट्रायल के परिणाम सकारात्मक आने के बाद ही इस पर फ़ैसला लिया जाएगा। फ़िलहाल, अमेरिका में बच्चों को टीके लगाने की मंजूरी दी गई है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से यह फ़ैसला ऐसे समय में लिया गया है जब देश में डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार कम से कम 10 राज्यों में इस नये वैरिएंट के 50 मामले दर्ज किए गए हैं।
तीन दिन पहले तक डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले सिर्फ़ 22 थे और ये तीन राज्यों में ही मिले थे। यह देश में दूसरी लहर के दौरान तबाही लाने के लिए ज़िम्मेदार माने जाने वाले डेल्टा का ही नया वैरिएंट है। देश में डेल्टा प्लस मामलों की बढ़ती संख्या पर हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसको फ़िलहाल 'वैरिएंट ऑफ़ कंसर्न' बताया। इसका मतलब है कि इस वैरिएंट से चिंतित होना चाहिए।
सरकार ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा है कि इस नये वैरिएंट के सबसे ज़्यादा मामले महाराष्ट्र में 20 आए हैं। इसके बाद तमिलनाडु में 9, मध्य प्रदेश में 7, केरल में 3, पंजाब व गुजरात में 2-2 और आंध्र प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, जम्मू, कर्नाटक जैसे राज्यों में भी इसके मामले आए हैं। इससे पहले ख़बर आ चुकी है कि मध्य प्रदेश में तो डेल्टा प्लस वैरिएंट से संक्रमित दो मरीज़ों की मौत भी हो चुकी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की आज प्रेस कॉन्फ़्रेंस में एनसीडीसी के निदेशक सुजीत सिंह ने कहा कि डेल्टा वैरिएंट 'बहुत मज़बूत' है, अल्फा से भी अधिक मज़बूत है जो पहली बार यूके में पहचाना गया था। उन्होंने कहा कि आठ राज्यों में 50 प्रतिशत से अधिक डेल्टा वैरिएंट के मामले पाए गए हैं जो अब भारत में चिंता का विषय है। ये राज्य हैं- आंध्र प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र, पंजाब, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल। लेकिन इस डेल्टा के नये वैरिएंट से तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है। सरकार ने कहा कि देश में कोरोना की दूसरी लहर अभी ख़त्म नहीं हुई है, अब भी 75 ज़िलों में कोरोना वायरस संक्रमण की दर 10 फ़ीसदी से अधिक तथा 92 ज़िलों में 5-10 फ़ीसदी के बीच है।