किसान आंदोलन के कारण बीजेपी-जेजेपी सरकार को हरियाणा में ख़ासी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन में हरियाणा के किसानों की भागीदारी बढ़ती जा रही है। स्थानीय निकाय चुनावों में बेहद ख़राब प्रदर्शन से परेशान खट्टर सरकार की मुश्किलें अब किसानों के नए एलान के कारण और बढ़ने वाली हैं।
इस बीच, दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर बैठे किसानों ने मोदी सरकार को चेताया है कि अगर 4 जनवरी की बातचीत फ़ेल होती है तो वे अपना आंदोलन तेज़ करेंगे।
हरियाणा के जींद जिले की 10 खाप पंचायतों ने एलान किया है कि वे बीजेपी-जेजेपी के नेताओं को बागंड़ इलाक़े में घुसने नहीं देंगे। शुक्रवार को खटकर कलां में हुई खाप पंचायत में खाप के नेताओं ने इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि वे बीजेपी नेताओं के चौपाल कार्यक्रमों का विरोध करेंगे और अगर कोई नेता उनके गांव में आता है तो उसे काले झंडे भी दिखाएंगे।
भारतीय किसान यूनियन की अंबाला इकाई के अध्यक्ष मलकीत सिंह ने कहा है कि अगर सरकार कृषि क़ानूनों को रद्द नहीं करती है तो किसान छह महीने से ज़्यादा की लड़ाई के लिए भी तैयार हैं।
इसके अलावा कैथल से बीजेपी विधायक लीला राम गुर्जर और हरियाणा सरकार की महिला और बाल विकास मंत्री कमलेश ढांढा के घरों का घेराव करने की भी घोषणा की गई है। हाल ही में किसानों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को काले झंडे दिखाए थे। इसके बाद खट्टर सरकार ने किसानों पर हत्या के प्रयास तक के मुक़दमे दर्ज करा दिए थे।
बीजेपी ने कृषि क़ानूनों को किसानों के हक़ में बताने के लिए पूरी ताक़त झोंक दी है। प्रधानमंत्री मोदी से लेकर पूरी सरकार और पार्टी का संगठन इस काम में जुटा है लेकिन दूसरी ओर किसानों का आंदोलन भी बढ़ता जा रहा है।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, खाप के एक नेता सतबीर पहलवान ने कहा है कि वे महिलाओं को ट्रैक्टर चलाना सिखा रहे हैं जिससे वे 26 जनवरी को होने वाली किसानों की परेड में ट्रैक्टर चलाकर हिस्सा ले सकें। किसानों ने मांगें पूरी न होने पर 26 जनवरी को दिल्ली कूच की रणनीति बनाई है। किसानों के आंदोलन को लेकर ऑल इंडिया किसान सभा के कार्यकर्ता लगातार गांवों में बैठकें कर रहे हैं और कृषि क़ानूनों के बारे में लोगों को बता रहे हैं।
किसान आंदोलन पर देखिए वीडियो-
निकाय चुनाव में झटका
बीजेपी-जेजेपी गठबंधन का स्थानीय निकाय के चुनाव में प्रदर्शन बेहद ख़राब रहा है। हरियाणा इन दिनों किसान आंदोलन से ख़ासा प्रभावित है और यह माना जा रहा है कि इसका खामियाजा उसे उठाना पड़ा है। तीन नगर निगमों में से बीजेपी-जेजेपी गठबंधन को सिर्फ़ एक निगम में जीत मिली है। पिछले महीने बरोदा सीट पर हुए उपचुनाव में भी बीजेपी-जेजेपी गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा था।
उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के इलाक़े हिसार जिले के उकलाना में जेजेपी को हार मिली है। जेजेपी को रेवाड़ी की धारूहेड़ा सीट पर भी हार का मुंह देखना पड़ा है।
किसान आंदोलन शुरू होने के बाद से ही हरियाणा में बीजेपी की मुसीबतें बढ़ गई थीं। पार्टी के कई सांसदों ने कहा था कि किसानों के इस मसले का हल तुरंत निकाला जाना चाहिए। साथ ही किसानों के समर्थन में नहीं आने के कारण जेजेपी के अंदर भी दुष्यंत चौटाला से नाराज़गी की ख़बरें हैं।
निशाने पर हैं दुष्यंत
कृषि क़ानूनों के कारण बीजेपी को पहले ही काफी सियासी नुक़सान हो चुका है। शिरोमणि अकाली दल के अलावा राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) ने भी एनडीए से अपनी राहें अलग कर ली हैं। अब दुष्यंत चौटाला पर जबरदस्त दबाव बना हुआ है। किसानों की सभाओं में दुष्यंत पर बीजेपी के साथ सरकार में बने रहने के कारण लगातार हमले किए जा रहे हैं।
विरोध में उतरे बीरेंद्र सिंह
एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनकी सरकार के मंत्री, बीजेपी के तमाम आला नेता कृषि क़ानूनों के समर्थन में प्रचार कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह इन क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के समर्थन में धरने पर बैठकर पार्टी की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं।
किसान आंदोलन ने पंजाब की ही तरह हरियाणा की सियासत को भी तगड़े ढंग से प्रभावित किया है। पूरी खट्टर सरकार डरी हुई है कि न जाने कब सरकार गिए जाए। सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान अलग हो चुके हैं और सहयोगी जेजेपी के अंदर भी इस मामले में जबरदस्त उथल-पुथल मची हुई है।
सुलग रहा था हरियाणा
जून में जब मोदी सरकार ने इन कृषि अध्यादेशों को संसद के मॉनसून सत्र में लाने का एलान किया था, तभी से हरियाणा और पंजाब में इनके ख़िलाफ़ चिंगारी सुलग रही थी। किसानों ने 10 सितंबर को भारतीय किसान यूनियन के नेतृत्व में इन अध्यादेशों के ख़िलाफ़ हरियाणा के कुरूक्षेत्र के पीपली नेशनल हाईवे पर जाम लगा दिया था। इसके बाद उनकी पुलिस से भिड़ंत हुई थी। प्रदर्शनकारी किसानों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के पुतले भी फूंके थे।