महाराष्ट्र: सीएम रेस में 'गठबंधन धर्म' जीतेगा या सबसे बड़ी पार्टी?

08:52 am Nov 24, 2024 | सत्य ब्यूरो

महाराष्ट्र का अगला सीएम कौन होगा? बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस या फिर शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे? यह सवाल इसलिए कि 288 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी को 132 सीटें मिली हैं और यह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। बहुमत के लिए 145 सीटें चाहिए। यानी बीजेपी के पास बहुमत से 13 सीटें कम हैं। एकनाथ शिंदे सरकार की योजनाओं के दम पर चुनाव लड़ा गया तो शिंदे खेमे का दावा भी मज़बूत है। गठबंधन धर्म निभाने की याद भी दिलाई जा रही है। लेकिन शिंदे की शिवसेना के पास सिर्फ़ 57 सीटें हैं। तो सवाल है कि 130 से ज़्यादा सीटों वाला नेता सीएम बनेगा या फिर 57 सीटों वाला नेता? यानी सवाल है कि सीएम के लिए सबसे बड़े दल के नेता और 'गठबंधन धर्म' के नेता में से किसे चुना जाएगा?

मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी बीजेपी और शिवसेना दोनों की ओर से की जा रही है। भाजपा के विधायक प्रवीण दरेकर ने मांग की है कि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री बनाया जाए। उन्होंने कहा कि गठबंधन की जिस पार्टी को सबसे अधिक सीट मिलेंगी उसे ही मुख्यमंत्री का पद मिलेगा। ऐसे बयानों के बीच ही मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शनिवार को कहा कि गठबंधन के पास ऐसा कोई निश्चित फॉर्मूला नहीं है कि सबसे अधिक सीट जीतने वाली पार्टी के व्यक्ति को ही मुख्यमंत्री का पद मिलेगा।

वैसे, बीजेपी के सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं में यह भावना प्रबल है कि पार्टी को महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद के लिए दावा पेश करना चाहिए। इसमें देवेंद्र फडणवीस साफ़ तौर पर सबसे आगे हैं।

भाजपा नेताओं का कहना है कि भाजपा की सीटों की संख्या ने इसकी नेतृत्वकारी भूमिका सुनिश्चित कर दी है। बीजेपी को 132 सीटें मिली हैं जबकि इसके सहयोगी दलों, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना को 57 और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी को 41 सीटें मिली हैं। हालांकि, पार्टी नेतृत्व में एक वर्ग ऐसा भी है जो मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को फिलहाल पद पर बनाए रखना चाहता है। इन नेताओं का कहना है कि फडणवीस को राष्ट्रीय राजनीति में लाया जा सकता है, और जेपी नड्डा के उत्तराधिकारी के रूप में पार्टी अध्यक्ष के रूप में उनका नाम सुझाया जा सकता है।

कुछ बीजेपी नेता शिंदे के समर्थन में ऐसे तर्क दे रहे हैं जिसे बीजेपी को नकारना भारी पड़ सकता है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार चुनाव में गठबंधन के मुख्यमंत्री के रूप में शिंदे के चेहरे के साथ जाने के बाद शिंदे को बदलना गठबंधन सहयोगी के रूप में भाजपा की छवि को नुक़सान पहुँचा सकता है। इस नेता ने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा यह विश्वास करते हैं कि गठबंधन के साथी भाजपा पर भरोसा करें, भले ही वह बड़ी पार्टी हो। इसलिए हम फैसला करने से पहले दो बार सोचेंगे। भाजपा नेतृत्व निश्चित रूप से अविश्वास पैदा करने या एनडीए में अपने सहयोगियों की सद्भावना गँवाने के लिए कुछ भी ऐसा नहीं करेगा क्योंकि हम केंद्र में गठबंधन सरकार हैं।' 

गठबंधन में शिवसेना के बीजेपी से आधी से भी कम सीटें जीतने के बावजूद एकनाथ शिंदे के पक्ष में एक और तर्क दिया जा रहा है कि एकनाथ शिंदे सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और उपायों ने महायुति गठबंधन की जीत के लिए अच्छा माहौल बनाया।

इसके अलावा, शिंदे ने गठबंधन के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार किया। उन्होंने पूरे राज्य में 75 सार्वजनिक सभाएँ कीं। 

हालाँकि, सच्चाई यह भी है कि अंदरखाने पार्टी नेतृत्व का चुनाव से पहले से ही मानना रहा है कि उसे अपना मुख्यमंत्री बनाने के लिए 100 से अधिक सीटों का आंकड़ा पार करने का प्रयास करना चाहिए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी चुनाव से पहले संकेत दिया था कि यह विधानसभा चुनाव फडणवीस की वापसी के लिए है। अब चूँकि बीजेपी की सीटें 100 से कहीं ज़्यादा 132 आ गई हैं, अब सहयोगी दलों- शिवसेना और एनसीपी में बेचैनी है।

शिवसेना और एनसीपी में बेचैनी इस कारण है कि दोनों दलों के नेता कार्यकर्ता अपने-अपने नेता एकनाथ शिंदे और अजित पवार को सीएम के रूप में देखना चाहते हैं। अब बीजेपी की इतनी ज़्यादा सीटें आने के बाद उनको सीएम पद मिलने की संभावना कम हो गई लगती है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि एक के बाद एक कई बीजेपी नेता खुले तौर पर कह रहे हैं कि सबसे बड़ा दल होने के कारण बीजेपी का सीएम होना चाहिए। ऐसा कहने वालों में प्रवीण दरेकर जैसे नेता शामिल हैं। 

बीजेपी नेताओं के ऐसा बयान को देखते हुए ही शिवसेना के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न बताने की शर्त पर द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'आदर्श रूप से, हम एकनाथ शिंदे को सीएम के रूप में देखना चाहेंगे। हम इस समय किसी भी संभावना से इनकार नहीं कर रहे हैं। हमने बिहार में देखा है कि भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन फिर भी उसने जेडी(यू) के नीतीश कुमार को सीएम पद दिया।'

सीएम पद को लेकर चल रहे ऐसे कयासों के बीच फडणवीस और शिंदे ने खुलकर कुछ ज्यादा नहीं बोला है। मुंबई में मीडिया से बातचीत के दौरान फडणवीस ने कहा, 'जनादेश महायुति के लिए है। हमें सीएम के मुद्दे पर कोई विवाद नहीं दिखता। यह तय हुआ कि सीएम पद और सरकार गठन से जुड़े सभी फैसले तीनों दल मिलकर लेंगे। जो भी फैसला आएगा, वह सभी को स्वीकार्य होगा।' एकनाथ शिंदे ने भी इसी तरह की बात कही है, 'हम महायुति में लोगों द्वारा दिखाए गए भरोसे से खुश हैं। हम साथ रहेंगे और महाराष्ट्र के लिए काम करेंगे।' उन्होंने आगे कहा, 'जिस तरह हमने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, उसी तरह सहज चर्चा के बाद हम आम सहमति बनाएंगे और सीएम चेहरे पर फैसला करेंगे।'