लॉकडाउन: शर्मनाक! अहमदाबाद में पुलिस ने ठेले वालों को पीटा, सब्जियाँ फेंक दीं

07:12 pm Mar 31, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

अहमदाबाद में ठेले पर हरी सब्जियाँ बेच कर अपना पेट पालने में लगे ग़रीबों पर पुलिस की बर्बरता का मामला सामने आया है। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में देखा जा सकता है कि पुलिसकर्मी ठेले पर सब्जी बेचने वालों पर डंडे बरसाना शुरू कर देते हैं। डंडे से बचने के लिए जब सब्जी वाले इधर-उधर भागते हैं तो पुलिसकर्मी ठेलों को उलट देते हैं और पूरी सब्जियाँ बर्बाद कर देते हैं। सब्जी बेचने वालों में कई महिलाएँ भी दिखती हैं। पुलिस की बर्बरता दिखाने वाले इस वीडियो के आने और चौतरफ़ा आलोचना के बाद पुलिस के आला अफ़सरों ने संबंधित पुलिस कर्मियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है। 

ठेले पर सब्जी बेचकर अपना पेट पालने वाले लोगों के साथ पुलिस का यह रवैया बेहद शर्मनाक है। अब वे ग़रीब कहाँ जाएँ जिनके सामने भूखे रहने की नौबत आ गई है लोगों को काम मिल नहीं रहा है। उनके गाँवों में जाने के सारे वाहन तो बंद कर ही दिए गए हैं, लोगों के पैदल जाने पर भी कार्रवाई की जा रही है। दो दिन पहले ही यानी रविवार को सूरत में जब ऐसे ही लोग अपने घरों के लिए निकले तो पुलिस कर्मियों ने उन्हें रोक दिया। तब सूरत में टेक्सटाइल्स फ़ैक्ट्री के मज़दूरों को अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे राज्यों के लिए पलायन करने से रोकने पर हिंसा हो गई थी। पुलिस को लाठी चार्ज करना और आँसू गैस के गोले दागने पड़े थे। पुलिस ने दंगा करने के आरोप में 96 लोगों को गिरफ़्तार किया था जिन्हें बाद में सोमवार को ज़मानत मिल गई। 

ऐसे में जब लोगों के पास कुछ काम नहीं हो, घर जाने नहीं दिया जाएगा तो फिर खाएगा क्या क्या ठेले पर सब्जियाँ बेचकर अपने लिए खाने का इंतज़ाम करना भी गुनाह है वह भी तब जब सरकार ने कहा है कि हरी सब्जियाँ और राशन बेचने पर रोक नहीं है। सरकार ही ऐसे प्रयास कर रही है कि ग़रीब मज़दूरों को शहरों में रोका जाए। इसके लिए कई क़दम उठाए जा रहे हैं। ऐसे में पुलिसकर्मी क्या इन प्रयासों को ही विफल करने में नहीं लगे हुए हैं

हालाँकि उन पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई है। गुजरात पुलिस के अतिरिक्त डीजीपी डॉ. शमशेर सिंह ने एक ट्वीट को रिट्वीट किया है जिसमें कहा गया है कि कृष्णानगर के इंस्पेक्टर विष्णु चौधरी और उस घटना में शामिल रहे दूसरे पुलिसकर्मियों को निलंबित करने का आदेश दिया जाता है। बाद में शमशेर सिंह ने एक ट्वीट में कहा कि उन पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ गुजरात डीजीपी के निर्देशों पर पहले ही सख्त कार्रवाई की जा चुकी है।

जब तब ऐसे मामलों के सुर्खियों में आ जाने पर कार्रवाई हो जाती है लेकिन हर रोज़ ऐसे अनगिनत मामले आते रहे हैं जहाँ ग़रीबों के साथ ऐसे व्यवहार की शिकायतें आती रही हैं। ऐसे समय में जब लॉकडाउन की मार से लोगों को सामने भूखे रहने का संकट हो तो पुलिसकर्मियों को मानवीयता दिखानी चाहिए न कि बर्बरता करनी चाहिए।