गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने कुछ ही दिनों के अंदर एक बार फिर गुजरात के कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ नाराजगी जताई है। हार्दिक पटेल ने हिंदी अखबार दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा कि प्रदेश नेतृत्व ने उनकी बात नहीं सुनी तो उन्होंने अपनी बात को हाईकमान तक पहुंचाने का फैसला किया।
पटेल ने कहा कि वह पार्टी में हैं तो उनका इस्तेमाल भी किया जाना चाहिए। उन्हें हाईकमान से कोई शिकायत नहीं है और उनकी शिकायत राज्य के पार्टी नेतृत्व है।
पाटीदारों के आरक्षण के लिए गुजरात में बड़ा आंदोलन खड़ा करने वाले हार्दिक ने दैनिक भास्कर से कहा कि उन्होंने अपनी बात कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के सामने रख दी है।
पटेल ने कुछ दिन पहले द इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में अपनी उपेक्षा की बात कही थी और इसके बाद गुजरात में आम आदमी पार्टी ने कहा था कि उसके दरवाजे हार्दिक पटेल के लिए हमेशा खुले हैं।
क्या हार्दिक पटेल कांग्रेस छोड़ देंगे, इस तरह की चर्चाएं जब मीडिया के गलियारों में तैरने लगी तो हार्दिक ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा था कि यह सिर्फ अफवाह है कि वह कांग्रेस छोड़ रहे हैं।
हार्दिक पटेल ने दैनिक भास्कर से कहा कि राजस्थान में सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था, उन्होंने मेहनत की लेकिन जब उन्हें कुछ देने की बारी आई तो उनके साथ भेदभाव किया गया। गुजरात में इससे ज्यादा उल्टा हो रहा है। ना तो हम से मेहनत करवाई जा रही है और ना पुराने नेता खुद कुछ कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अगर राज्य में किसी युवा को आगे किया जाता है तो दूसरे पुराने नेता उसे पीछे करने में जुट जाते हैं। वह 3 साल से सब कुछ सहन कर रहे हैं लेकिन अब जब चुनाव में सिर्फ 6 महीने बचे हैं तो पार्टी को कोई फैसला लेना चाहिए।
हालांकि पटेल के मुताबिक, केसी वेणुगोपाल ने उनसे कहा है कि उन्हें सही जगह दी जाएगी और उनकी ताकत का उपयोग किया जाएगा।
हार्दिक ने ‘आज तक’ से बातचीत में कहा कि बीजेपी में फैसले तेजी से लिए जाते हैं जबकि कांग्रेस में ऐसा नहीं है।
नज़दीक हैं चुनाव
गुजरात में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं और उससे पहले हार्दिक पटेल की नाराजगी कांग्रेस के लिए मुसीबत का सबब बन सकती है। हार्दिक पटेल पाटीदार युवाओं के बीच खासे लोकप्रिय हैं और बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को उनकी लोकप्रियता का फायदा भी मिला था।
गुटबाज़ी से नुक़सान
हालिया कुछ चुनावी राज्यों में कांग्रेस की करारी हार की अहम वजह गुटबाजी को ही बताया गया है। वरना कांग्रेस पंजाब, उत्तराखंड की सत्ता में वापसी कर सकती थी। अब जब गुजरात में चुनाव नजदीक आ रहे हैं तो हार्दिक पटेल लगातार पुराने नेताओं द्वारा उनकी उपेक्षा करने और उन्हें नजरअंदाज किए जाने का आरोप लगा रहे हैं। लेकिन न जाने कांग्रेस हाईकमान उनकी शिकायत का समाधान क्यों नहीं कर रहा है।
निश्चित रूप से हार्दिक पटेल जैसे लोकप्रिय नेता का नाराज होना कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में भारी पड़ सकता है। देखना होगा कि क्या कांग्रेस नेतृत्व हार्दिक के द्वारा उठाए गए मुद्दों पर कोई कार्रवाई करेगा।