लोकसभा चुनाव लड़ने की हार्दिक पटेल की उम्मीदों को उस वक़्त एक और झटका लगा जब सुप्रीम कोर्ट ने दंगा भड़काने के मामले में उनकी सजा को निलंबित करने की याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। हालाँकि उनके पास एक आख़िरी मौक़ा अभी भी बचा हुआ है। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख़ 4 अप्रैल को रखी है और गुजरात में नामांकन का आख़िरी दिन भी 4 अप्रैल ही है। इससे पहले गुजरात हाई कोर्ट ने उनकी सजा को निलंबित करने की याचिका को रद्द कर दिया था।यह मामला 2015 में गुजरात के मेहसाणा में दंगा भड़काने से जुड़ा है। हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए हार्दिक पटेल गुजरात हाई कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट पहुँचे हैं। उन्होंने अपनी याचिका में गुजरात हाई कोर्ट के फ़ैसले पर रोक और सज़ा को निलंबित करने की माँग की थी। कोर्ट ने इस पर साफ़ कह दिया कि इस पर तत्काल सुनवाई की कोई ज़रूरत नहीं है।
पीपल्स रिप्रजेंटेटिव ऐक्ट, 1951 के मुताबिक़ हार्दिक पटेल अपनी सजा के कारण इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएँगे। इस क़ानून के तहत दो साल या इससे अधिक की सजा पाए नेताओं को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं है। लेकिन कुछ ख़ास परिस्थितियों में छूट भी मिलती है। इसी को देखते हुए हार्दिक ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 2007 के नवजोत सिंह सिद्धू के मामले में फ़ैसले का हवाला दिया है।
हार्दिक की याचिका में कहा गया है कि नवजोत सिद्धू केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दोषसिद्धि याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट को यह भी देखना चाहिए कि इसका व्यक्ति पर क्या प्रभाव होगा और उसे बरकरार रखा गया तो उसे कभी न पूरा होने वाला नुक़सान तो नहीं होगा।
हार्दिक ने अपनी याचिका में कहा था कि नामांकन का आख़िरी दिन गुरुवार है, लिहाज़ा सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट की याचिका पर रोक लगाए। दो साल की सजा होने के कारण हार्दिक लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हैं।
गुजरात हाईकोर्ट ने पिछले हफ़्ते ही हार्दिक पटेल की याचिका को ख़ारिज कर दिया था जिसमें उनकी सजा निलंबित करने की अपील की गई थी। बता दें कि दंगा भड़काने के आरोप में साल 2018 में निचली कोर्ट ने पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को दोषी ठहराते हुए दो साल की जेल की सजा सुनाई थी। बीजेपी विधायक ऋषिकेश पटेल के कार्यालय में तोड़फोड़ और आगजनी के मामले में हार्दिक पटेल और उनके साथियों को दो साल की सजा सुनाई गई थी।