गुजरात हाईकोर्ट ने राजकोट में एक निजी मनोरंजन पार्क-गेमिंग जोन में भीषण आग लगने की घटना का स्वत: संज्ञान लिया है। इसने नियमों की अनदेखी कर बनाए गए ऐसे गेमिंग जोन को लेकर सख्त टिप्पणी की। रविवार सुबह जस्टिस बीरेन वैष्णव और देवन देसाई की एक विशेष पीठ ने राज्य सरकार और नगर निगमों से इस बारे में रिपोर्ट मांगी कि कानून के किस प्रावधान के तहत ऐसे गेमिंग जोन और मनोरंजक सुविधाओं को चलाने की अनुमति दी गई।
हाईकोर्ट ने गेमिंग ज़ोन में कथित खामियों, अवैध निर्माण और सुरक्षा के उपाय नहीं किए जाने की रिपोर्टों का हवाला देते हुए इस घटना को मानव निर्मित आपदा क़रार दिया। अदालत ने कहा कि यह पूरा मामला स्तब्ध करने वाला है।
अदालत की यह टिप्पणी तब आई है जब गेमिंग जोन में भीषण आग लगने से बच्चों समेत 27 लोगों की मौत हो गई है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार अधिकारियों ने कहा कि उस गेमिंग ज़ोन के पास अग्निशमन विभाग से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट यानी एनओसी नहीं था। इंडिया टुडे ने रिपोर्ट दी है कि गेमिंग जोन में प्रवेश और निकास दोनों के लिए केवल एक ही मार्ग का उपयोग किया जाता था। इसके अतिरिक्त जोन के विभिन्न हिस्सों में हजारों लीटर पेट्रोल और डीजल का भंडारण किया गया था। इससे आग तेजी से फैल गई और पूरा ढांचा जलकर खाक हो गया।
ऐसी खामियों को लेकर हाईकोर्ट ने नाराज़गी जताई। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अदालत ने रविवार को कहा, 'जैसा कि अखबार में रिपोर्टें हैं, ये मनोरंजन क्षेत्र सक्षम अधिकारियों से ज़रूरी मंजूरी के बिना बनाए गए हैं।'
अदालत ने यह भी कहा कि कुछ गुजराती अख़बारों का यह भी सुझाव है कि निर्माण अनुमति के लिए फायर एनओसी समेत अन्य अनुमति, एनओसी लेने से निपटने के लिए अस्थायी संरचनाएं बनाई गई हैं जो जाहिर तौर पर टिन शेड हैं।
हाईकोर्ट ने कहा कि राजकोट शहर के अलावा, अहमदाबाद शहर में सिंधु भवन रोड और एसपी रिंग रोड पर ऐसे गेम जोन बन गए हैं जो सार्वजनिक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा हैं।
कोर्ट ने कहा कि समाचार रिपोर्टों के अनुसार ऐसे गेम जोन, मनोरंजक गतिविधियों के निर्माण के अलावा, उन्हें बिना अनुमति के उपयोग में लाया गया है। कुछ समाचार पत्रों का यह भी सुझाव है कि राजकोट गेमिंग जोन में पेट्रोल और टायर और फाइबर ग्लास जैसे अत्यधिक ज्वलनशील पदार्थ का भंडार था।
स्वत: संज्ञान को जनहित याचिका के रूप में दर्ज करने का रजिस्ट्री को निर्देश देते हुए खंडपीठ ने मामले को 27 मई को आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया। अदालत सोमवार को इस पर गौर करेगी और जवाब तलब करेगी कि कानून के किन प्रावधानों के तहत इन गेमिंग ज़ोन, मनोरंजक सुविधाओं को जारी रखने या स्थापित करने और उपयोग में लाने की अनुमति दी गई।
बेंच ने यह भी मांग की है कि राज्य और निगम हमें बताएं कि ऐसे मनोरंजन क्षेत्रों के लिए अग्नि सुरक्षा नियमों के उपयोग और अनुपालन के लाइसेंस सहित किस तरीके से और ऐसे क्या लाइसेंस दिए गए थे।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार गेमिंग ज़ोन के पास संचालन के लिए आवश्यक लाइसेंस नहीं थे। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार बचाव कार्यों की निगरानी के लिए घटनास्थल पर पहुंची राजकोट की मेयर नयना पेधादिया ने फायर एनओसी नहीं होने की पुष्टि की।
पेधादिया ने कहा, 'हम जांच करेंगे कि इतना बड़ा गेम जोन बिना फायर एनओसी के कैसे काम कर रहा था और हम इसके परिणाम देख रहे हैं। इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होने दी जाएगी।' वहाँ केवल एक आपातकालीन निकास था और आग लगने के बाद अफरा-तफरी मच गई। राजकोट के अग्निशमन अधिकारी इलेश खेर ने संवाददाताओं से कहा, 'प्रवेश द्वार के पास एक अस्थायी संरचना ढह जाने से लोग फंस गए, जिससे लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया।' टीआरपी गेम जोन के मालिक और मैनेजर को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है।
अग्निकांड के मद्देनजर राज्य के पुलिस महानिदेशक ने पुलिस आयुक्तों और पुलिस अधीक्षकों को गुजरात के सभी खेल क्षेत्रों का निरीक्षण करने और अग्नि सुरक्षा अनुमति के बिना चल रहे खेल क्षेत्रों को बंद करने के निर्देश जारी किए हैं।