भूपेंद्र पटेल ने सोमवार को गुजरात के 18वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। उनके साथ 17 अन्य विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली है। इन विधायकों में प्रफुल्ल पंसेरिया, भीखूसिंह परमार, कुंवरजी हलपति, पुरुषोत्तम सोलंकी, बच्चूभाई खाबड़, मुकेश पटेल, हर्ष सांघवी, जगदीश विश्वकर्मा, कुंवरजी बावलिया, मुलु भाई बेरा, कुबेर डिंडोर, भानुबेन बाबरिया, कनुभाई देसाई, ऋषिकेश पटेल, राघवजी पटेल और बलवंत सिंह राजपूत का नाम शामिल है।
सभी को राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और पार्टी संगठन के तमाम बड़े नेता मौजूद रहे। बताना होगा कि गुजरात के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने प्रचंड जीत हासिल की है।
भूपेंद्र पटेल दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने हैं।
182 सीटों वाली गुजरात की विधानसभा में बीजेपी को 156 सीटों पर जीत मिली है जबकि कांग्रेस को सिर्फ 17 और आम आदमी पार्टी को 5 सीटों पर जीत मिली है।
सितंबर, 2021 में बीजेपी ने विजय रुपाणी को मुख्यमंत्री पद से हटाया था और भूपेंद्र पटेल को कुर्सी सौंपी थी। उस वक्त इस फैसले पर लोगों को आश्चर्य हुआ था क्योंकि भूपेंद्र पटेल 2017 में पहली बार विधायक बने थे। पटेल को इस बार भी उनकी पुरानी सीट घाटलोडिया से चुनाव मैदान में उतारा गया था जहां से उन्होंने 1.92 लाख वोटों से जीत हासिल की है।
गुजरात में विधानसभा चुनाव के दौरान ही बीजेपी ने इस बात का ऐलान कर दिया था कि अगर वह सत्ता में आई तो भूपेंद्र पटेल फिर से मुख्यमंत्री होंगे। शनिवार को उन्हें विधायक दल का नेता चुना गया था।
भूपेंद्र पटेल गुजरात के 18 वें मुख्यमंत्री होंगे। उनके साथ कई विधायक भी मंत्री पद की शपथ लेंगे। गुजरात की कैबिनेट में मुख्यमंत्री को मिलाकर अधिकतम 27 मंत्री हो सकते हैं। द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक गुजरात बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि नई कैबिनेट में पाटीदार, ओबीसी, दलित, महिलाओं को भागीदारी दी जाएगी। पिछली सरकार की तरह इस सरकार में भी हर्ष सांघवी, जीतू वघानी, ऋषिकेश पटेल, कानू देसाई, राघवजी पटेल, पूर्णेश मोदी, जगदीश विश्वकर्मा, मनीषा वकील, जीतू चौधरी के मंत्री बनने की बात कही जा रही है।
कांग्रेस की करारी हार
दूसरी ओर, 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कड़ी टक्कर देने वाली कांग्रेस इस बार वह 20 सीटों के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच सकी। पिछली बार उसने 77 सीटें हासिल की थी और यह उसका सबसे शानदार प्रदर्शन रहा था।कांग्रेस की बुरी हार की एक बड़ी वजह आम आदमी पार्टी को भी माना जा रहा है। आम आदमी पार्टी ने इस चुनाव में लगभग 13 फीसद वोट हासिल किए हैं और उसने कांग्रेस के वोट शेयर में जबरदस्त सेंध लगाई है जबकि बीजेपी का वोट शेयर कम नहीं हुआ है बल्कि लगभग 4 फीसद बढ़ा है।
कांग्रेस को 2017 के विधानसभा चुनाव में 41 फीसद वोट मिले थे जबकि इस बार वह 27 फीसद वोट हासिल कर पाई है। ऐसे में यह साफ है कि कांग्रेस को मिलने वाले वोटों का बड़ा हिस्सा आम आदमी पार्टी ने अपने पाले में कर लिया। बीजेपी को साल 2017 के विधानसभा चुनाव में 49 फीसद वोट मिले थे और इस बार उसने लगभग 53 फीसद वोट हासिल किए हैं। जबकि पिछली बार आम आदमी पार्टी को 0.1 फीसद वोट मिले थे लेकिन इस बार उसने इसमें जबरदस्त बढ़ोतरी की है।