गुजरात विधानसभा में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) यानी असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने कुल 13 प्रत्याशी मैदान में उतारे थे लेकिन राज्य के मुसलमानों ने उसे कोई महत्व नहीं दिया। उसे अभी तक 0.31% वोट मिले हैं। लेकिन जिस तरह से बीजेपी प्रचंड बहुमत की ओर बढ़ रही है, उसे देखते हुए ओवैसी की पार्टी को थोड़े बहुत वोट मिल जाएंगे लेकिन उसका 1% वोट पाना भी मुश्किल लग रहा है। ओवैसी जिस तरह से गुजरात में भाषण दे रहे थे और अपनी आंखों को नम कर रहे थे, उस हिसाब से मुस्लिम मतदाताओं ने उन्हें जवाब नहीं दिया। पश्चिम बंगाल के बाद गुजरात ऐसा राज्य हो गया है जहां मुसलमानों में ओवैसी पैठ नहीं जमा पाए। बिहार जैसी सफलता ओवैसी कहीं फिलहाल दोहरा नहीं पा रहे हैं।
ओवैसी की पार्टी सिर्फ भुज को लेकर संतोष कर सकती है, जहां उसके प्रत्याशी शकील महामद समा ने ठीकठाक प्रदर्शन किया है। शुरू में वो आगे चल रहे थे लेकिन बाद में बीजेपी के केशुभाई शिवादास पटेल और कांग्रेस के अर्जन बुधिया ने उन्हें पीछे कर दिया। ओवैसी इस पर गर्व कर सकते हैं उनकी पार्टी की वजह से यहां कांग्रेस हार गई।
यहां पर वडगाम सीट का जिक्र जरूरी है, जहां से ओवैसी की पार्टी के प्रत्याशी एस.के. रमेशभाई खड़े थे, जिन्हें 1322 वोट यानी 1.44 फीसीदी वोट मिले हैं। लेकिन सिर्फ इतने वोट खिसक जाने से कांग्रेस के जिग्नेश मेवानी दूसरे नंबर पर चले गए। बीजेपी वहां अब आगे है। यह समाचार लिखे जाने तक मेवानी 1182 वोटों से बीजेपी प्रत्याशी से पीछे चल रहे थे। लगता यही है कि बहुत कम अंतर से कांग्रेस यह सीट हार सकती है। इसका श्रेय ओवैसी की पार्टी जरूर ले सकती है।
इसी तरह सिद्धपुर सीट से अब्बासभाई को भी महज 1108 वोट मिले हैं। लेकिन बीजेपी-कांग्रेस के बीच हार का अंतर भी इतने ही वोटों से होने वाला है। नतीजा अभी घोषित नहीं हुआ है। वेजलपुर विधानसभा क्षेत्र में ओवैसी की पार्टी की महिला प्रत्याशी जैनब शेख को 53 वोट मिले हैं।
गुजरात की 6 करोड़ आबादी में करीब 10 फीसदी मुसलमान हैं। करीब 42 सीटें ऐसी हैं, जिनमें मुस्लिम मतदाताओं की भूमिका खास है। लेकिन कांग्रेस ने 6 मुस्लिम प्रत्याशी और आप ने 3 मुस्लिम प्रत्याशी गुजरात में उतारे। उनके मुकाबले ओवैसी की पार्टी ने 13 प्रत्याशी उतारे थे। लेकिन मुसलमानों ने कांग्रेस के अलावा हर दल के मुस्लिम प्रत्याशी को लगभग नकार दिया।
ओवैसी की पार्टी के मामले में एग्जिट पोल पूरी तरह सही साबित हुए। एग्जिट पोल ने पहले ही बता दिया था कि गुजरात के मुसलमानों ने ओवैसी की दाल नहीं गलने दी। करीब 9 फीसदी लोगों ने ओवैसी की पार्टी को वोट देने का संकेत दिया था। कई विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं को यह तक नहीं मालूम था कि ओवैसी की पार्टी का प्रत्याशी वहां से लड़ भी रहा है या नहीं। कुछ इलाकों में ओवैसी का खुला विरोध चुनाव रैलियों के दौरान हुआ था।
गुजरात में बीजेपी की प्रचंड जीत हुई है। अभी सभी जगह के आंकड़े नहीं आए हैं लेकिन गुजरात से जुड़े पत्रकारों का कहना है कि कई स्थानों पर मुस्लिम मतदाताओं ने तटस्थ छवि वाले बीजेपी प्रत्याशियों को भी वोट दिया है।