गुजरात उच्च न्यायालय की एक जज ने मोदी सरनेम से जुड़े मानहानि मामले में खुद को अलग कर लिया है। राहुल गांधी ने मानहानि के मामले में अपनी सजा पर रोक लगाने के लिए गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस संबंध में मंगलवार को ही याचिका दायर की गई है। इससे कुछ दिन पहले सूरत के सेशन कोर्ट ने पिछले महीने निचली अदालत द्वारा दी गई दो साल की कैद की सजा के खिलाफ उनकी अपील खारिज कर दी थी।
राहुल के वकील पीएस चंपानेरी ने जस्टिस गीता गोपी से इस मामले की जल्द सुनवाई की अपील की। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार कुछ देर सुनवाई भी हुई, लेकिन बाद में जस्टिस गीता गोपी ने इस केस पर सुनवाई को लेकर कहा- 'मेरे समक्ष नहीं।'
रिपोर्ट में कहा गया है कि राहुल के वकील ने कहा कि अदालत इस मामले को पहले बुधवार को सुनने को तैयार थी लेकिन जब ये सुनवाई के लिए सामने आया तो जस्टिस गीता गोपी इससे अलग हो गईं।
राहुल गांधी की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका मंगलवार को उच्च न्यायालय में दायर की गई है। इसमें सूरत सत्र न्यायालय के 20 अप्रैल के आदेश को चुनौती दी गई है। राहुल की दोषसिद्धि पर रोक लगाने की उनकी याचिका को सूरत की अदालत ने खारिज कर दिया था।
गौरतलब है कि 23 मार्च को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने राहुल को दो साल की जेल की सजा सुनाई थी। इसके बाद उन्हें लोकसभा के सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। हालाँकि, उनकी सजा को निलंबित कर दिया गया था, और उन्हें 30 दिनों के भीतर अपनी सजा के खिलाफ अपील दायर करने के लिए जमानत भी दी गई थी।
इसके बाद राहुल ने अपनी सजा के आदेश को चुनौती देते हुए 3 अप्रैल को सूरत सत्र न्यायालय का रुख किया था। उन्होंने अपनी सजा पर रोक लगाने के लिए एक अर्जी भी दाखिल की थी।
भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत उनकी कथित टिप्पणी के लिए शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें कहा गया था कि उन्होंने कर्नाटक के कोलार में 2019 के चुनाव के पहले एक रैली को संबोधित करते हुए 'मोदी' उपनाम वाले सभी लोगों को बदनाम किया है।
तब राहुल ने रैली को संबोधित करते हुए कहा था, 'क्यों सभी चोरों का समान सरनेम मोदी ही होता है? चाहे वह ललित मोदी हो या नीरव मोदी हो या नरेंद्र मोदी? सारे चोरों के नाम में मोदी क्यों जुड़ा हुआ है।'