केंद्र सरकार बुधवार को स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए अध्यादेश लेकर आई है। इसके तहत स्वास्थ्य कर्मियों पर हमला करने वालों को अधिकतम 7 साल तक की जेल काटनी पड़ सकती है। यह अध्यादेश एक दशक पुराने महामारी क़ानून में संशोधन कर लाया गया है।
बुधवार को प्रेस कॉन्फ़्रेंस को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि अध्यादेश के तहत स्वास्थ्य कर्मियों पर हमला करना संज्ञेय और ग़ैर-जमानती अपराध माना जाएगा। अध्यादेश के मुताबिक़, स्वास्थ्य कर्मियों पर हमलों के मामलों में 30 दिन के भीतर जांच पूरी होनी चाहिए और ऐसे मामलों में एक साल के अंदर फ़ैसला आ जाना चाहिए।
अध्यादेश के तहत हमलों के सामान्य मामलों में 3 महीने से 5 साल तक की जेल और 50 हज़ार से लेकर 2 लाख़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। जबकि गंभीर मामलों में 6 महीने से लेकर 7 साल तक की जेल और 1 लाख रुपये से 7 लाख तक का जुर्माना हो सकता है।
इसी तरह वाहन और क्लीनिक में तोड़फोड़ के मामलों में संपत्ति के नुक़सान के बाज़ार मूल्य का दुगना पैसा देना होगा।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने एक दिन पहले ही केंद्र सरकार से स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए जल्द से जल्द क़ानून लाने की मांग की थी। हाल ही में कई जगहों पर डॉक्टर्स व नर्सों पर हमले हुए थे जिसके बाद डॉक्टर्स ने 23 अप्रैल को काला दिवस मनाने और सांकेतिक विरोध करने की चेतावनी दी थी। लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आईएमए के प्रतिनिधियों को स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा का भरोसा देने के बाद डॉक्टर्स ने विरोध करने का फ़ैसला वापस ले लिया था।