कई नामचीन पत्रकारों ने दनादन ट्वीट कर दिए और लोगों ने इनके ट्वीट के स्क्रीनशॉट को सेव कर ट्विटर पर चलाया।
इनकी आए दिन की इन हरक़तों से लोग इस कदर परेशान हो चुके हैं कि इस बार उनका सब्र का बांध टूट गया और उन्होंने #फर्जी_गोदी_मीडिया_माफी_माँगों ट्रेंड करा दिया। दिन भर ये हैशटैग ट्रेंड करता रहा और लोगों ने इन्हें बखूबी जवाब दिया। जावेद आलम नाम के यूजर लिखते हैं कि हमारी भावनाओं से खेलना बंद करो।
विजय प्रकाश नाम के यूजर लिखते हैं कि कई पत्रकार आरएसएस का एजेंडा चला रहे हैं।
कांग्रेस समर्थक भी मैदान में कूदे और उन्होंने ऐसी ख़बरें चलाने वालों की ख़बर ली।
बाद में कुछ पत्रकारों ने इन ख़बरों का खंडन भी ट्विटर पर किया।
जैसे ही यह ख़बर सोशल मीडिया पर दौड़ने लगी तो भारतीय सेना तक भी पहुंची और हालात ये हो गए कि सेना को ख़ुद ये बयान जारी करना पड़ा कि उन्होंने 19 नवंबर को पीओके में ऐसी कोई स्ट्राइक नहीं की है।
उम्मीद की जानी चाहिए कि भारतीय मीडिया को इस जोरदार धुलाई के बाद अकल आएगी और वह सत्ता प्रतिष्ठान को ख़ुश करने के बजाए असल ख़बरों को चलाएगा। वैसे भी सेना जब इस तरह की बड़ी स्ट्राइक करती है तो ख़ुद इस बारे में मीडिया को जानकारी देती है। लेकिन यहां तो बिना कुछ सोचे-समझे ही मनमर्जी ख़बरें चलाकर जनता को बेवक़ूफ़ बनाया जा रहा है।