वैश्विक भूख सूचकांक 2022 की सूची में भारत 6 स्थान फिसल गया है। 121 देशों में भारत इस सूची में 107वें स्थान पर है और परेशान करने वाली बात यह है कि वह पड़ोसी देशों पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल से इस बार भी पीछे ही रहा है। बांग्लादेश ने तो अपनी पिछली रैंकिंग में सुधार किया है और वह इस सूची में 84वें स्थान पर आ गया है जबकि पिछले साल वह इस सूची में 76वें स्थान पर था।
वैश्विक भूख सूचकांक 2021 की जो सूची आई थी उसमें भी भारत पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल से पीछे रहा था। तब भारत 116 देशों में 101 वें स्थान पर था जबकि साल 2020 में वह 94वें स्थान पर था। निश्चित रूप से वैश्विक भूख सूचकांक की ताजा सूची भारत के भविष्य को लेकर चिंताजनक तस्वीर पेश करती है।
यह सूची कंसर्न वर्ल्ड वाइड और वेल्ट हंगर हाईलाइफ़ ने तैयार की है। वैश्विक भूख सूचकांक यानी जीएचआई स्कोर चार पैमानों से निर्धारित होता है। इनमें कुपोषण, बच्चों की मृत्यु दर, बच्चों की वेस्टिंग दर आदि पैमाने लिए जाते हैं।
बच्चों की वेस्टिंग दर से मतलब है कि बच्चे बेहद कमजोर हैं और उनका वजन तेजी से गिर रहा है। ऐसे बच्चों की जान को भी ख़तरा होता है लेकिन उनका इलाज किया जा सकता है।
इस सूची में किसी भी देश का स्थान जितना बढ़ता जाता है, वह बताता है कि देश में भुखमरी वाले हालात हैं। स्वाभाविक है कि जो देश जितने घटते पायदान पर हैं, वहां हालात अच्छे हैं। सूची के मुताबिक, चीन, तुर्की और कुवैत सहित सत्रह देश ऐसे हैं, जिनका वैश्विक भूख सूचकांक पांच से कम है और ये शीर्ष स्थानों पर आए हैं। वैश्विक भूख सूचकांक 2022 के मुताबिक, भारत के सभी पड़ोसी देशों ने अच्छा प्रदर्शन किया है और पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल और म्यांमार की रैंकिंग क्रमश: 99, 64, 81 और 71 रही है।
इसे लेकर कांग्रेस ने ट्वीट किया है और कहा है कि क्या फर्जी विश्वगुरु ने इसी 'अच्छे दिन' का वादा किया था?
पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा है कि वह कुपोषण जैसे अहम मुद्दों पर कब बात करेंगे।
भारत का जीएचआई स्कोर भी लगातार गिरता जा रहा है। साल 2000 में यह 38.8 था लेकिन 2014 से 2022 के बीच या 28.2 से 29.1 तक आ गया है।
पिछले साल जब वैश्विक भूख सूचकांक की रिपोर्ट आई थी तो केंद्र सरकार ने इसे खारिज कर दिया था और कहा था कि जिस आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है वह अवैज्ञानिक पद्धति है और इस रिपोर्ट को सिर्फ 4 सवालों वाले ओपिनियन पोल के आधार पर तैयार कर दिया गया है। हालांकि रिपोर्ट को तैयार करने वाली संस्था ने कहा था कि यह रिपोर्ट किसी ओपिनियन पोल के आधार पर तैयार नहीं की गई है।
सरकार पर सवाल
वैश्विक भूख सूचकांक 2022 की यह रिपोर्ट सरकार के उन तमाम दावों पर सवाल खड़ा करती है जिनमें भारत के बारे में कहा जा रहा है कि हम तेजी से तरक्की कर रहे हैं। केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 ट्रिलियन डॉलर इकनॉमी की बात कर रहे हैं लेकिन रिपोर्ट बताती है कि भारत में लोगों का पेट भी ढंग से नहीं भर पा रहा है।
5.6 करोड़ भारतीय गरीब हुए
विश्व बैंक ने हाल ही में आई अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 2020 के कोरोना महामारी वर्ष में कुल 5.6 करोड़ भारतीय गरीबी में पहुंच गए। विश्व बैंक ने सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी यानी सीएमआईई द्वारा तैयार किए गए एक घरेलू सर्वेक्षण के आंकड़ों का हवाला देते हुए यह बात कही थी। विश्व बैंक ने कहा था कि भारत में गरीबी पर उसका अनुमान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में पेश किए गए एक पेपर की तुलना में काफी अधिक था। उस पेपर में दावा किया गया था कि 2020 में 2.3 करोड़ भारतीय गरीबी में पहुंच गए।