कांग्रेस छोड़ने वाले वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के समर्थन में जम्मू-कश्मीर में इस्तीफों की झड़ी लग गई है। कई नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफा देने वालों में पूर्व उपमुख्यमंत्री, कई पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक शामिल हैं।
जम्मू-कश्मीर में जल्द ही विधानसभा के चुनाव होने हैं और गुलाम नबी आजाद ने एलान किया है कि वह अपनी पार्टी बनाएंगे। उनकी पार्टी विधानसभा चुनाव में उतरेगी।
आजाद ने कांग्रेस से इस्तीफा देने के साथ ही पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर जमकर हमले किए थे। आजाद ने पार्टी छोड़ने के पीछे राहुल गांधी को ही जिम्मेदार बताया है। जम्मू-कश्मीर से कई बड़े कांग्रेस नेता लगातार दिल्ली पहुंचकर आजाद से मिल रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री ताराचंद, कई पूर्व मंत्री और विधायकों ने कांग्रेस छोड़ने की खबर की पुष्टि की है। ऐसे नेताओं की संख्या लगभग 50 है जिन्होंने मंगलवार को कांग्रेस छोड़ी है और वे गुलाम नबी आजाद के साथ जा रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में पंचायत स्तर तक के भी कई नेताओं और कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं ने कहा है कि वे लोग गुलाम नबी आजाद का समर्थन करेंगे।
इससे पहले पूर्व मंत्री आरएस चिब, जी एम सरूरी अब्दुल राशिद, पूर्व विधायक मोहम्मद अमीन भट, गुलज़ार अहमद वानी, चौधरी मोहम्मद अकरम, पूर्व एमएलसी नरेश गुप्ता और पार्टी के मीडिया चेहरे सलमान निजामी ने भी गुलाम नबी आजाद के समर्थन में पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।
एनडीटीवी के मुताबिक, गुलाम नबी आजाद ने दावा किया है कि कांग्रेस पार्टी के 95 फीसद कार्यकर्ता उनके साथ हैं और पंचायत सदस्यों से लेकर डीडीसी सदस्य भी उनके साथ आएंगे। आजाद ने एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में बीजेपी के साथ किसी भी तरह के गठजोड़ की संभावनाओं से इनकार कर दिया था।
अनुभवी नेता हैं आजाद
आजाद जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष रहने के साथ ही मुख्यमंत्री, केंद्र सरकार में कई बार मंत्री, कई राज्यों में कांग्रेस के प्रभारी, कांग्रेस में फैसले लेने वाली सर्वोच्च संस्था सीडब्ल्यूसी के लंबे वक्त तक सदस्य, राज्यसभा में विपक्ष के नेता, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सहित तमाम बड़े पदों पर रह चुके हैं।
आजाद के पास सियासत का विशाल अनुभव है और जम्मू-कश्मीर में उनके समर्थकों की भी बड़ी फौज है। ऐसे में माना जा रहा है कि जब वह अपनी पार्टी का एलान करेंगे तो बड़ी संख्या में कांग्रेस के नेता उनके साथ जाएंगे और निश्चित रूप से इससे राज्य के अंदर कांग्रेस को तगड़ा झटका लगेगा।
जम्मू-कश्मीर में 2019 में धारा 370 के हटने के बाद परिस्थितियां बदल गई हैं और उसके बाद पहली बार राज्य में विधानसभा के चुनाव होंगे। देखना होगा कि गुलाम नबी आजाद जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस को कितना नुकसान पहुंचाते हैं।