सुप्रीम कोर्ट ने केरल के सबरीमला स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर में महिलाओं को घुसने की अनुमति पर पुनर्विचार करने के लिए 7 सदस्यों के खंडपीठ बनाने को कहा। इससे साफ़ है कि महिलाओं में मंदिर जाने के फ़ैसले पर सरकार ने रोक नहीं लगाई है।
आखिर क्या है मामला ईश्वर के दरबार में सबको हाज़िर होने का मौका क्यों नहीं देना चाहता वह केरल, जो अपनी बौद्धिकता के लिए पूरे देश में मशहूर है क्या है मामला
केरल के पत्थनमथिट्टा ज़िले में स्थित पेरियार टाइगर रिज़र्व में बने इस मंदिर के देवता स्वामी अयप्पा है।
शिव और विष्णु की संतान हैं अयप्पा
अयप्पा से जुड़ी कई मान्यताएं हैं। एक मान्यता के अनुसार भष्मासुर को मारने के लिए विष्णु ने मोहिनी का रूप धरा था। लेकिन उस राक्षस के वध के बाद भगवान शिव मोहिनी पर आसक्त हो गए। उनके मिलन से जिस बालक का जन्म हुआ, वे अयप्पा थे। दक्षिण भारत में एक राक्षसनी ने भयानक उत्पात मचा रखा था। उसकी हत्या वही कर सकता था जो शिव और विष्णु के मिलन से पैदा हुआ हो। अयप्पा ने उसका वध कर दिया।
अयप्पा को मिला विवाह का प्रस्ताव
लेकिन वध के बाद पता चला कि वह राक्षसनी दरअसल एक सुंदरी थी जो अभिशाप की वजह से वैसा हो गई थी। राक्षसनी के वध के बाद वह सुंदरी अपने असली रूप में आई। उसने अयप्पा को विवाह का प्रस्ताव दिया। अयप्पा अपने भक्तों का ध्यान रखना चाहते थे, वे नहीं चाहते थे कि विवाह के बंधन में बंधने का बाद उनका ध्यान बंट जाए। लिहाज़ा, उन्होंने विवाह से इनकार कर दिया। उस सुंदरी के बहुत ज़िद करने पर अयप्पा ने वचन दिया कि जिस दिन ऐसा कोई भक्त उनके मंदिर नहीं जाएगा, जो पहली बार वहां पंहुचा हो, उस दिन वे उससे विवाह कर लेंगे। उस सुंदरी को मलिकापुरथम्मा के नाम से जाना जाता है। उनका मंदिर सबरीमला के मंदिर के पास ही है।
मान्यता है कि माहवारी के उम्र की महिलाओं के मंदिर मे जाने से मलिकापुरथम्मा का अपमान होगा। साथ ही अयप्पा का भी अपमान होगा, क्योंकि वे स्वयं अविवाहित थे। जो महिलाएं ख़ुद मंदिर में नहीं जाती, उनका यही तर्क है।
राज परिवार में हुआ था जन्म
इस पौराणिक कथा के अलावा स्वामी अयप्पा से जुड़ी एक और कहानी है। इसमें उन्हें इतिहास पुरुष माना गया है। यह कहा जाता है कि उनका जन्म पंडालम के राज परिवार में हुआ था। वे किशोर उम्र के ही थे जब बाबर या यावर नाम के एक अरब हमलावर ने उनके राज्य पर चढ़ाई कर दी। अयप्पा ने उसे हरा दिया। वह उनसे इतना प्रभावित हुआ कि उनका भक्त बन गया। मान्यता है कि बाबर की आत्मा सबरीमाला के आस पास के जंगलों में मौजूद है और वह अयप्पा के भक्तों की रक्षा करती है। बाबर का एक मंदिर एरुमेली में है।
मान्यता है कि अयप्पा ने भक्तों के लिए हर तरह की सांसारिक चीजों और माया मोह का परित्याग कर दिया। उन्होंने विवाह नहीं किया। ऐसे में माहवारी उम्र की महिलाओं का वहां जाना उनका अपमान होगा।
बाद में इससे जुड़ा एक क़ानून बना दिया गया। साल 1965 के एक अधिनियम के मुताबिक़, 10 से 50 साल की महिलाओं का अयप्पा मंदिर में प्रवेश क़ानूनी रूप से वर्जित हो गया। सबरीमला मंदिर का रख रखाव त्रावणकोर देवसम बोर्ड करता है। यह सरकार के नियंत्रण में है। यंग लॉयर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर लैंगिक भेदभावका आरोप लगाते हुए इस रोक को हटाने की गुहार की। बाद में कई महिला संगठन भी इससे जुड़ गए।
त्रावणकोर देवसम बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा कि यह लैंगिक भेदभाव नहीं, आस्था का प्रश्न है। चूंकि माहवारी के दौरान शरीर अपवित्र रहता है, लिहाज़ा ऐसी महिलाओं के मंदिर में जाने से मंदिर की पवित्रता नष्ट होगी। महिलाओं के मंदिर प्रवेश का विरोध कर रहे लोगों ने बाद में अयप्पा के कुंवारे होने का तर्क भी दिया। अदालत ने साफ़ कहा कि यह मामला संविधान के उल्लंघन का मामला है। महिलाओं को सिर्फ़ महिला होनेे के कारण मंदिर में प्रवेश से रोकना लैंगिक भेदभाव का ही मामला है और इसलिए संविधान का उल्लंघन है। अदालत ने 1965 में बने क़ानून को रद्द कर महिलाओं के प्रवेश को रोकने को ही ग़ैरक़ानूनी क़रार दिया। इसके बावजूद महिलाओं को मंदिर में दाख़िल नहीं होने दिया गया।