हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अडानी समूह में लगातार गिरावट जारी है। यह गिरावट बजट वाले दिन भी जारी रही। अबतक अडानी समूह के शेयर करीब चालीस प्रतिशत तक गिर चुके हैं। रिपोर्ट आने के बाद अडानी समूह ने बाजार से पैसा उठाने के लिए 20 हजार करोड़ रुपये को एफपीओ भी जारी किया था, जो आखिरी दिन तक पूरा बिक गया। उसके बाद के घटनाक्रम में समूह ने उस एफपीओ को वापस ले लिया और निवेशकों का पैसा वापस लौटाने की बात कही।
इसके बाद समूह के मुखिया गौतम अडानी ने गुरुवार की सुबह एक वीडियो जारी कर एफपीओ वापस लेने की वजह बताई। अपने वीडियो संदेश में उन्होंने कहा कि
फ्लैगशिप फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) पूरी तरह बिक जाने के बाद भी इसके साथ आगे बढ़ना नैतिक रूप से सही नहीं होता। कल बाजार में हुए उतार-चढ़ाव को देखते हुए हमारे निदेशक मंडल ने महसूस किया कि एफपीओ के साथ आगे बढ़ना नैतिक रूप से सही नहीं होता। मेरे लिए निवेशकों का हित सर्वोपरि है और बाकी सब कुछ गौण है। इसलिए उन्हें किसी भी संभावित वित्तीय नुकसान से बचाने के लिए, हमने एफपीओ को वापस ले लिया है। इस फैसले का हमारे मौजूदा परिचालन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
हमारा ईबीआईटीडीए स्तर और नकदी प्रवाह बहुत मजबूत रहा है और हमारे पास अपने ऋण दायित्वों को पूरा करने का एक गलतीविहीन ट्रैक रिकॉर्ड है। हम लम्बे समय तक मूल्य निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखेंगे और विकास को हमारे आंतरिक संसाधनों द्वारा प्रबंधित किया जाएगा। एक बार बाजार स्थिर हो जाए तो हम अपनी बाजार रणनीति की समीक्षा करेंगे। हमारा ईएसजी पर एक मजबूत ध्यान है और हमारा हर व्यवसाय एक जिम्मेदार तरीके से मूल्य बनाना जारी रखेगा।
अडानी ने कहा, 'पिछले सप्ताह शेयर में उतार-चढ़ाव के बावजूद, कंपनी, उसके व्यवसाय और प्रबंधन में आपका विश्वास हम सभी के लिए बेहद आश्वस्त और विनम्र रहा है। हमें पूरा विश्वास है कि हमें भविष्य में भी समर्थन मिलता रहेगा। हम पर भरोसा जताने के लिए फिर से धन्यवाद।
अडानी समूह के शेयरों में अमेरिकी शॉर्ट-सेलर फर्म हिंडनबर्ग की एक रिपोर्ट के बाद गिरावट आई, जिसमें फर्म पर स्टॉक हेरफेर, टैक्स हेवन के अनुचित उपयोग और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया गया था। हिंडनबर्ग ने समूह के बढ़ते कर्ज को लेकर भी चिंता जताई थी।
रिपोर्ट आने के बाद से अडानी समूह की मुश्किलें लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। एक तरफ उसके शेयरों में लगातार गिरावट जारी है पिछले एक हफ्ते में उसकी मार्केट कैपटालाइजेशन 19.8 लाख करोड़ से घटकर 11.2 लाख करोड़ पर आ गई है। दूसररी तरफ सिटिबैंक जैसे बड़े बैंको ने उसको कर्ज देने पर रोक लगा दी है।
सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार रिजर्व बैंक ने भारतीय बैंको से अडानी समूह को दिए कर्ज के दस्तावेजों को जल्द से जल्द उसके पास जमा कराने को कहा है। अडानी समूह पर विपक्ष भी लगातार सरकार को घेर रहा है, और स्वतंत्र जांच कराने की मांग कर रहा है।