पाकिस्तान के आतंकवादी मसूद अज़हर को संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करवाने में चौथी बार फिर असफल हो गया। क्यों हो गया? क्योंकि यह घोषणा सर्वसम्मति से ही हो सकती है। चीन ने चौथी बार अपना वीटो लगा दिया।
चीन के इस कदम पर भारत सरकार की प्रतिक्रिया देखने लायक है। उसने चीन की भर्त्सना करने की बजाय उसके इस कदम पर अपनी ‘निराशा’ ज़ाहिर की है। उसने चीन का नाम तक अपने बयान में नहीं लिया है। उसने फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन सहित उन अन्य राष्ट्रों का अहसान माना है, जो अज़हर संबंधी प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद-विरोधी कमेटी में लाए थे। भारत सरकार मानती है कि अज़हर के मामले को लेकर चीन से तलवारें लड़ाने में भारत का कोई फायदा नहीं है।
हमारे टीवी चैनल लोगों को उकसा रहे हैं कि वे चीनी माल का बहिष्कार करें। कांग्रेसी नेता लोग नरेंद्र मोदी का मजाक बना रहे हैं और कह रहे हैं कि मोदी ने अहमदाबाद में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को झूला झुलाया था, अब शी संयुक्त राष्ट्र में मोदी को झूला झुला रहे हैं।
कांग्रेसी नेता पूछ रहे हैं कि ‘वुहान भावना’ कहां हवा हो गई ? वे मोदी की विदेश नीति को शाीर्षासन की मुद्रा में दिखा रहे हैं। उन्होंने अज़हर के मामले को चुनाव का मुद्दा बना दिया है।
भाजपा के प्रवक्ता भी कम नहीं है। उन्होंने कांग्रेस पर कस कर पलटवार किया है। वे पूछ रहे हैं कि अज़हर का मामला सयुक्त राष्ट्र में पिछले 10 साल से उठ रहा है। तब कांग्रेस सरकार क्या कर रही थी ? कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी चीनी राजनयिकों और नेताओं के साथ गलबहियां क्यों डाल रहे थे ? दोनों दलों के लोग एक-दूसरे पर प्रहार इस तरह कर रहे हैं मानो वे खुद ही मसूद अज़हर हों।
यह हमारी राजनीति का दिवालियापन है। हमारे लोग इस मामले के उस पक्ष पर गौर नहीं कर रहे हैं कि पाकिस्तान-आधारित आतंकवाद के ख़िलाफ़ दुनिया के प्रमुख देशों का कितना तगड़ा समर्थन हमें मिल रहा है। यहां तक कि पाकिस्तान की सरकार, चाहे दिखाने के लिए ही सही, आतंकवादी संगठनों के विरुद्ध सक्रिय हो गई है।
हमें यह भी सोचना चाहिए कि किसी व्यक्ति या संगठन को यदि संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित भी कर दे तो उससे भी फ़र्क क्या पड़ता है ? वे नाम बदलकर फिर सक्रिय हो जाते हैं।
पाकिस्तान और अरब देशों में यही हुआ है। जहां तक चीन का सवाल है, वह हमारे ख़ातिर अपने राष्ट्रीय स्वार्थो की क़ुर्बानी क्यों करेगा? उसके अरबों डॉलर पाकिस्तान में लग रहे हैं। उसे ‘रेशम महापथ’ बनाना है ताकि वह थल मार्ग से यूरोप तक पहुंच सके। यदि हम चीन के स्वार्थों को पाकिस्तान से अधिक सिद्ध करने लगें या उसे ज़बरदस्त ऩुकसान पहुंचाने लगें, तभी वह हमारी क़द्र करेगा। मोदी को अंतरराष्ट्रीय राजनीति का यह शाश्वत सत्य समझ में आ जाए तो किसी भी देश के नौटंकीभरे स्वागत-सत्कारों और चटपटी घोषणाओं पर फिसलना बंद हो जाएगा।
(डॉ. वेद प्रताप वैदिक के ब्लॉग से साभार)