सोशल मीडिया पर एक आज एक ट्वीट उस समय वायरल हो गया, जब यूपी के सीएम योगी आदित्यानाथ के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से जवाब दिया गया। लेकिन बाद में विपक्षी दलों और सोशल मीडिया पर तमाम लोगों ने इस ट्विटर हैंडल को फर्जी बताया और कहा कि ये तो विदेश में रह रहे एक भारतीय का ट्विटर हैंडल है, किसी अंग्रेज नाम वाले शख्स का नहीं।
विवाद की शुरुआत
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय ने शनिवार को एक वायरल ट्वीट का जवाब दिया, जिसमें ट्विटर यूजर (प्रोफेसर एन. जॉन कैम) ने सुझाव दिया था कि योगी आदित्यनाथ को फ्रांस भेजा जाना चाहिए। ताकि वो वहां चल रहे दंगों को काबू कर लें। उन्होंने लिखा कि योगी आदित्यनाथ यह काम 24 घंटे के भीतर कर देंगे।
इस पर योगी आदित्यनाथ के कार्यालय ने सत्यापित हैंडल से जवाब देते हुए कहा, "जब भी दुनिया के किसी भी हिस्से में चरमपंथी दंगे भड़काते हैं, अराजकता फैलती है और कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पैदा होती है, तो दुनिया उत्तर प्रदेश में महाराज जी द्वारा स्थापित कानून एवं व्यवस्था के परिवर्तनकारी "योगी मॉडल" की ओर देखती है।"
योगी के कार्यालय के जवाब देने के बाद ट्वीट वायरल हो गया। लेकिन सोशल मीडिया यूजर्स को प्रोफेसर एन जॉन कैम नाम के ट्विटर हैंडल पर शक हो गया। उन्होंने उसकी सच्चाई पता लगाना शुरू कर दी। प्रोफेसर एन. जॉन कैम नाम के एक ट्विटर खाते के बॉयो में उन्हें एक वरिष्ठ इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट होने का दावा किया गया था। लेकिन कुछ देर में सारा सच सामने आ गया। आम आदमी पार्टी, असदुद्दीन ओवैसी, पूर्व सांसद पप्पू यादव, पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह समेत असंख्य लोगों ने बताया कि यह प्रोफेसर नहीं है, बल्कि यह शख्स वास्तव में डॉ. नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है। कुछ ट्विटर यूजर ने डॉ नरेंद्र विक्रमादित्य की असलियत बताते हुए लिखा कि इन्हें तो धोखाधड़ी के एक मामले में गिरफ्तार भी किया गया था। हालांकि सत्य हिन्दी अपनी ओर से इस तथ्य की पुष्टि नहीं कर रहा है।
आम आदमी पार्टी ने योगी आदित्यनाथ कार्यालय के आधिकारिक ट्विटर हैंडल को जवाब देते हुए लिखा - योगी आदित्यानाथ ने बीजेपी आईटी सेल को विदेशी नाम से फर्जी आईडी बनाने को कहा, नरेंद्र वी. यादव नामक शख्स ने उसके बाद यूपी की कानून व्यवस्था के लिए सीएम की तारीफ की। इसके बाद योगी उसके ट्वीट को कोट करते हुए अपनी पीठ थपथपाते हैं। मीडिया इस फेक न्यूज को असली खबर बताकर चलाता है। ये है योगी मॉडल का फर्जी प्रचार। इस बीच हाथरस, लखीमपुर खीरी, उन्नाव कांड के पीड़ित आज भी इंसाफ का इंतजार कर रहे हैं।
बिहार के मुखर नेताओं में शुमार पूर्व सांसद पप्पू यादव ने ट्वीट किया - एक फर्जी ट्वीट के ज़रिये यह दावा किया जा रहा है कि यूपी के CM की डिमांड फ्रांस में दंगा रोकने के लिए हो रही है। मैं कहता हूं कि फ्रांस 6000 KM दूर है। इस्तीफा देकर अपने देश में बसे 2000 KM दूर मणिपुर चले जाएं, वहां दो महीने से दंगा हो रहा है, वहां CM बन शांत कर दें। बेशर्म कहीं के।
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने दंगों के बीच आदित्यनाथ को पेरिस भेजने के सुझाव वाले ट्वीट को लेकर हुए पहचान विवाद पर प्रतिक्रिया व्यक्त की। शनिवार को एक ट्वीट में ओवैसी ने कहा, "भाई भाई भाई! फिरंगियों की प्रशंसा के इतने भूखे हैं कि वे कुछ फर्जी अकाउंट के ट्वीट से खुश हो रहे हैं?! झूठी मुठभेड़, अवैध बुलडोजर कार्रवाई और कमजोरों को निशाना बनाना कोई परिवर्तनकारी नीति नहीं है।" यह लोकतंत्र का विनाश है। हमने "योगी मॉडल" का सच लखीमपुर खीरी और हाथरस में देखा था।"
यूपी कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने तो यादव की फोटो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बिहार के सीएम नीतीश कुमार के साथ शेयर करते हुए उन्हें फर्जी प्रोफेसर बताया। कहा कि यह सब फ्रॉड है। सूर्य प्रताप सिंह ने लिखा है - मुख्यमंत्रियों के साथ इस बहरूपिये कि यह तस्वीर प्रथम दृष्टया फ़र्ज़ी अथवा एडिटेड दिख रही है। यह फ्रॉड इन तस्वीरों का उपयोग कर विदेशों में क्या कर रहा है इसकी गहन जाँच होनी चाहिए। मेरा @Uppolice और @bihar_police से निवेदन है कि इसकी जाँच कर दोषी पाए जाने पर इसके विरुद्ध आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।
एक विशेष फेसबुक पोस्ट में, एमबीटी के प्रवक्ता अमजद उल्लाह खान ने दावा किया कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से यादव से मुलाकात की है। जिनके बारे में उनका मानना है कि वह ब्रौनवाल्ड हॉस्पिटल्स ग्रुप के अध्यक्ष और एक सम्मानित वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ हैं जो अपने विनम्र व्यवहार के लिए जाने जाते हैं। हालाँकि, पोस्ट का टिप्पणी अनुभाग उन व्यक्तियों की आलोचनाओं से भरा हुआ था जिन्होंने यादव पर धोखाधड़ी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया था। बता दें कि फ्रांस में मंगलवार को पुलिस द्वारा 17 वर्षीय नाहेल की गोली मारकर हत्या के बाद फ्रांस में बड़े पैमाने पर दंगे हो रहे हैं। इसीलिए ट्विटर पर लोगों ने सुझाव दिया कि योगी आदित्यनाथ 24 घंटों के भीतर फ्रांस में दंगों को सुलझा सकते हैं। लेकिन @njohncamm हैंडल के विशेष ट्वीट ने अंतरराष्ट्रीय नाम होने के कारण सभी का ध्यान खींचा।
इस कथित ट्वीट के झांसे में यूपी बीजेपी के प्रवक्ता ने भी शनिवार को एक बयान दिया, जिसमें कहा गया, “फ्रांस में चल रहे दंगों के बीच, वहां हिंसा बढ़ रही है।” "योगी मॉडल" की मांग, जिसे प्रशंसा मिली है। यह उत्तर प्रदेश में प्रभावी कानून और व्यवस्था की स्थिति की अंतरराष्ट्रीय मान्यता के रूप में कार्य करता है।"
एक चैनल के पत्रकार अभिषेक उपाध्याय ने भी उस विदेशी नाम वाले ट्वीट का गुणगान करते हुए लिखा - लेफ्ट विंग के फैक्ट चेकर्स और Sympathisers की कड़ी मेहनत, अटूट लगन और अनथक परिश्रम के बावजूद फ्रांस में योगी मॉडल की माँग वाली ख़बर तूल पकड़ती जा रही है। एक के बाद दूसरे मीडिया समूह इस माँग को जगह देते जा रहे हैं। लेफ्ट विंग इसे फ़ेक साबित करने में जुटा हुआ है। इस लड़ाई के दिलचस्प होने की एक वजह भी है। लेफ्ट विंग के जो Fact checkers इसे फेक साबित करने में जुटे हुए हैं, दूसरा पक्ष उन पर ही फेक खबरों के प्रसारण के कई सबूत सामने रख रहा है।
फ्रांस में योगी मॉडल की माँग देश में एक बड़े सोशल मीडिया तूफ़ान की वजह बन चुकी है।
इन खास लोगों के ट्वीट के अलावा हजारों लोगों ने अंग्रेज नाम वाले उस ट्विटर हैंडल को फर्जी बताते हुए भाजपा का मजाक उड़ाया है। लोगों ने लिखा है कि भाजपा इस तरह के झूठे प्रचार में हमेशा बेनकाब होती है, इसके बावजूद इन लोगों को समझ नहीं आ रहा है।