पंजाब के दो बार पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) रहे सुमेध सिंह सैनी जब से आईपीएस होकर पंजाब पुलिस के अधिकारी हुए, तभी से उन्होंने खाकी के साथ-साथ विवादों की बदरंग वर्दी भी पहन ली थी। भारत का शायद ही कोई आईपीएस अधिकारी इतना विवादास्पद रहा होगा, जितना कि सैनी। पुलिस सेवा के समूचे कार्यकाल में वह जहाँ-जहाँ भी गए, पूरे धड़ल्ले से या तो विवादों पर बैठे या विवादों को अपने सिर पर रखा। यों उनकी एक छवि 'ईमानदार' और कड़क पुलिस अफ़सर की भी रही है। भ्रष्टाचार का कोई 'विशेष' दाग़ उन पर नहीं है। दूसरों से क़ानून व्यवस्था का पालन करवाने के लिए किसी भी हद तक गए लेकिन यह मानकर कि ख़ुद उन पर कोई क़ानून- क़ायदा लागू नहीं होता।
ख़ैर, अब सेवामुक्त सुमेध सिंह सैनी 29 साल पुराने एक गंभीर मामले में फिर से आरोपी माने गए हैं और बामुश्किल उन्हें जमानत हासिल हुई है। मामले में मिल रहे साक्ष्य और हालात साफ़ ज़ाहिर कर रहे हैं कि वह दिन दूर नहीं जब ख़ुद को समूची फ़ोर्स में सर्वशक्तिमान समझने वाला यह शख्स सलाखों के पीछे होगा। जिस केस में 11 मई को सुमेध सिंह सैनी को अग्रिम जमानत मिली है, वह भारतीय न्याय व्यवस्था की और पुलिस के बेतहाशा बेलगाम होने के अजीबो-गरीब सच को भी बयान करता है।
साल 1991 में सुमेध सिंह सैनी राज्य की राजधानी और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के एसएसपी थे। तब उनकी कमान वाली पुलिस ने एक नौजवान बलवंत सिंह मुल्तानी को हिरासत में लिया था। अंधी पुलिसिया ताक़त का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हिरासत में लिया गया उक्त नौजवान एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी (डीएस मुल्तानी) का बेटा था। पंजाब उन दिनों खालिस्तानी और सरकारी आतंकवाद के दोहरे कुचक्र का शिकार था। आतंकी सरेआम बेगुनाहों को सदा के लिए 'लापता' कर देते थे तो असीमित अधिकारों से लैस पुलिस अपने यातना शिविरों और थानों से। चंडीगढ़ में सुमेध सिंह सैनी पर कातिलाना हमला हुआ था और बब्बर खालसा ने बाक़ायदा इसकी ज़िम्मेदारी ली थी। शक के आधार बेशुमार लोग धड़ाधड़ पकड़े गए थे और उनमें से एक नौजवान बलवंत सिंह मुल्तानी को सेक्टर 17 की पुलिस ने हिरासत में लिया था।
पुलिस ने जब उसे पकड़ा तो कई चश्मदीद गवाह थे। इस मामले में जब चालान पेश किया गया तब उसे 'लापता' बता दिया गया। परिजनों और कई मानवाधिकार संगठनों ने तब यह मामला उठाया और कई अदालतों में यह पहुँचा। हर जगह पुलिस की तरफ़ से दलील थी कि उसे बलवंत सिंह मुल्तानी की बाबत कुछ नहीं पता। उसे तलब ज़रूर किया गया था लेकिन वह 'फरार' हो गया। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी गया और वहाँ से अंततः 2011 में खारिज हो गया।
अब लापता मुल्तानी के भाई पलविंदर सिंह ने पिछले हफ्ते नए सिरे से एफ़आईआर दर्ज कराई तो सुमेध सिंह सैनी को एकबारगी फिर नामजद किया गया है।
गिरफ्तारी की तलवार उन पर लटक रही थी, इसलिए अग्रिम ज़मानत की अर्जी दाखिल की और उन्हें सशर्त अग्रिम जमानत मिल भी गई है। सैनी इस मामले में कई बार बचते रहे हैं लेकिन इस बार दुश्वारियाँ बेहद विकट इसलिए हैं कि एक चश्मदीद गवाह सामने आई हैं, जो पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में वकालत करती हैं। एडवोकेट गुरशरण कौर मान की गवाही का सीधा मतलब इस मामले में अब तक बचते रहे सुमेध सिंह सैनी का एक न एक दिन बतौर अपराधी जेल का मुँह देखना तय है!
वकील गुरशरण कौर के दावे
बलवंत सिंह मुल्तानी लापता मामले में वकील गुरशरण कौर मान ने मोहाली कोर्ट में सनसनीखेज खुलासे किए। उन्होंने भारतीय दंड संहिता की धारा 164 के तहत बयान कलमबद्ध करवाए। उन्होंने कहा, ‘13 दिसंबर, 1991 की सुबह सेक्टर 17 के थाने में मैंने ख़ुद बलवंत सिंह मुल्तानी को देखा था। उसे इतनी बुरी तरह पीटा गया था कि वह चलने में भी असमर्थ था। ऐसे में उसके फरार होने का सवाल ही नहीं उठता। 1991 में चंडीगढ़ में हुए आतंकी हमले की जाँच के दौरान पुलिस ने मुल्तानी को उसके घर से उठाया था। मेरे पति प्रताप सिंह मान की उससे दोस्ती थी। उन दोनों ने एक साथ इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। मेरे पति को भी हिरासत में लिया गया था। चंडीगढ़ के तत्कालीन एसएसपी सुमेध सिंह सैनी के आदेशानुसार पुलिस ने दोनों को सेक्टर 17 और सेक्टर 11 के थानों में बुरी तरह टॉर्चर किया था। सेक्टर 17 के थाने में सैनी ने मेरे सामने बलवंत को बुरी तरह पीटा और उसकी एक आँख बाहर निकल आई थी। अगले दिन मैंने फिर बलवंत को पूरी तरह बेहोशी की हालत में देखा। पुलिस ने दोनों को छह दिन हिरासत में रखने के बाद टाडा में केस दर्ज कर अदालत में सिर्फ़ मेरे पति प्रताप सिंह मान को पेश किया, बलवंत की बाबत कहा कि वह फरार हो गया है।'
पुलिस को चालान पेश करने में ही 14 साल लग गए तो अदालत ने प्रताप सिंह मान को बरी कर दिया। लेकिन जब उनके पति प्रताप सिंह जेल से निकले तो पुलिस ने कथित तौर पर फ़र्ज़ी केस बना उन्हें दोबारा पकड़ लिया।
मान कहती हैं कि 'तब तक तरक्की की कई सीढ़ियाँ चढ़ चुके सुमेध सिंह सैनी ने मेरे सामने मेरे पति को साफ़ धमकी दी कि यदि ज़िंदा रहना चाहता है तो जेल में ही रहे। सैनी ने धमकी देते हुए ख़ुद कहा था कि उसने आईएएस के बेटे बलवंत सिंह मुल्तानी को मार दिया है।'
गुरशरण कौर मान का दावा है कि उनके पास सुमेध सिंह सैनी के ख़िलाफ़ इतने पर्याप्त सबूत हैं कि अब इंसाफ़ उनसे ज़्यादा दूर नहीं है।
ग़ौरतलब है कि बलवंत सिंह मुल्तानी के मामले में सुमेध सिंह सैनी के अतिरिक्त पूर्व डीएसपी बलदेव सैनी, इंस्पेक्टर सतबीर सिंह, सब इंस्पेक्टर हरसहाय शर्मा, जगबीर सिंह व अनूप सिंह और एएसआई को भी नामजद किया गया है। सैनी और अन्य आरोपियों के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 364, 201, 344, 330, 219 और 120-बी के तहत 6 मई को मामला दर्ज हुआ है।
सुमेध सिंह सैनी पर अपने क़रीबी रिश्तेदारों की हत्या करके उन्हें 'लापता' कर देने जैसे कई आरोप हैं। बलवंत सिंह मुल्तानी मामले में नए सिरे से एफ़आईआर होने के बाद उनसे कथित तौर पर प्रताड़ित कुछ अन्य लोग अथवा परिवार उनके ख़िलाफ़ अदालत जाने की तैयारी कर रहे हैं। पंजाब के कतिपय मानवाधिकार संगठन भी नए सिरे से सुमेध सिंह सैनी को घेरने की कवायद कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उनके फरजंद सुखबीर सिंह बादल के ख़ास रहे इस पूर्व पुलिस महानिदेशक की भूमिका कुख्यात बहबल कलां गोलीकांड में भी खासी संदिग्ध पाई गई थी। एसटीएफ़ उस मामले की जाँच कर रहा है। उसमें भी यथाशीघ्र सुमेध सिंह सैनी की गिरफ्तारी की पूरी संभावना है। सत्ता से बाहर आने के बाद भी बादल बाप-बेटा अपने चहेते रहे सैनी के बचाव की कोशिश लगातार करते रहे हैं और अब भी कर रहे हैं। इसलिए भी कि सुमेध सिंह सैनी यक़ीनन बादलों के गहरे 'राजदार' हैं!