पाकिस्तान ने मंगलवार को राहत की सांस ली, जब फ़ाइनेशियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (एफ़एटीएफ़) की सब- कमिटी ने इसे ग्रे लिस्ट में ही बने रहने दिया। यह पाकिस्तान के लिए राहत की बात इसलिए है कि इसे काली सूची में डाले जाने की पूरी संभावना थी। एफ़एटीएफ़ अंतिम फ़ैसला शुक्रवार को लेगा।
आँखों में धूल?
भारत ने इसके पहले कई बार इस अंतरराष्ट्रीय संस्था का ध्यान इस ओर दिलाया है कि पाकिस्तान में अब भी आतंकवादी शिविर चल रहे हैं और तमाम आतंकवादी खुले आम घूम रहे हैं।
पाकिस्तान ने इन आरोपों से बचने, अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आँखों में धूल झोंकने के लिए ही बीते दिनों लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हाफ़िज सईद को गिरफ़्तार किया और अदालत ने उसे 5 साल जेल की सज़ा सुनाई।
क्या है एफ़एटीएफ़?
बता दें कि एफ़एटीएफ़ अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के वित्तपोषण की निगरानी करने वाली संस्था है। इसके कुल 38 सदस्य देश हैं, जिनमें भारत, अमरीका, रूस, ब्रिटेन, चीन भी शामिल हैं। पाकिस्तान अक्टूबर 2018 से ही एफ़एटीएफ़ की ग्रे लिस्ट में है। ऐसा पाकिस्तान के आतंकवाद को किए जाने वाले वित्त पोषण और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने की आशंका को देखते हुए किया गया था।फटेहाल पाकिस्तान!
पाकिस्तान के आर्थिक हालात बेहद ख़राब हैं और मुल्क दिवालिया होने के कगार पर है। पाकिस्तान को जीडीपी और ऋण के अनुपात को कम करना पड़ेगा। पैसों की कमी से जूझ रही इमरान ख़ान सरकार कोशिश कर रही है कि उसे कुछ बेलआउट पैकेज मिल जाए। आईएमएफ़ ने पाकिस्तान को इन ख़राब हालात से उबारने के लिए छह बिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज को मंजूरी दे दी है।लेकिन उसके बाद भी पड़ोसी देश के सामने चुनौतियाँ कम नहीं हैं। पाकिस्तान के बजट के मुताबिक़, उस पर इतना कर्ज है कि उसके बजट का बड़ा हिस्सा यानी 42 फ़ीसदी तो कर्ज का ब्याज चुकाने में ख़र्च हो जाता है. जबकि भारत अपने बजट का 18 फ़ीसदी कर्ज चुकाने पर ख़र्च करता है। वित्त वर्ष 2018-19 में पाकिस्तान की जीडीपी सिर्फ़ 3.3 फ़ीसदी की दर से आगे बढ़ रही है।