किसान आंदोलनः राकेश टिकैत ने कहा- इस बार संघर्ष लंबा है
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के नेता राकेश टिकैत ने चेतावनी दी है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी के लिए चल रहा आंदोलन पिछले विरोध प्रदर्शन की अवधि को पार कर सकता है। पिछला आंदोलन 2020-21 में 13 महीने तक चला था।
टिकैत का यह ऐलान सरकार की उस पेशकश के बाद आया है, जिसमें सरकार ने पांच फसलों को एमएसपी पर खरीदने का प्रस्ताव दिया था। किसान संगठन उस पेशकश को पहले ही ठुकरा चुके हैं। राकेश टिकैत ने कहा, “सरकार ने किसानों को दिल्ली जाने से रोका है। इस बार एक ऐसा आंदोलन शुरू किया जाएगा जो 13 महीने नहीं बल्कि इससे भी ज्यादा समय तक चलेगा। हम यह तय करेंगे कि वे 2024 में सत्ता में न आएं।
सरकार ने चार दौर की बातचीत किसान नेताओं से की। लेकिन बात नहीं बनी। अब पांचवें दौर के लिए भी सरकार किसान संगठनों को बातचीत के लिए बुला रही है। लेकिन किसानों ने बुधवार 21 फरवरी को फिलाहल बातचीत की पेशकश ठुकरा दी है। किसान नेता आरोप लगा रहे हैं कि सरकार उनकी चिंताओं को गंभीरता से नहीं ले रही है, बल्कि समय बर्बाद करने की रणनीति अपना रही है।
उधर, मंगलवार को शामली जिले के बिन जिजौला में किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए टिकैत ने सरकार की आलोचना की और उसकी नीतियों को किसान विरोधी करार दिया। उन्होंने कहा कि किसानों की मांगें लंबे समय से चली आ रही हैं, लेकिन उन्हें अभी भी अपनी फसलों का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है, जिससे उनकी समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं। उन्होंने किसानों से मतभेदों को दूर करने, सामूहिक रूप से अपनी आवाज उठाने और 26 और 27 फरवरी को दिल्ली की ओर जाने वाली सड़कों पर ट्रैक्टरों की एक बड़ी उपस्थिति सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया।
बहरहाल, किसानों और सरकार के बीच चार दौर की विफल वार्ता की पृष्ठभूमि में, सरकार बढ़ती अशांति को दूर करने के लिए एक नई रणनीति पर विचार कर सकती है। 13 फरवरी को पंजाब से शुरू हुआ यह आंदोलन अब हरियाणा और यूपी में जोर पकड़ रहा है। बुधवार को गुड़गांव जिले में मानेसर से कुछ किसानों ने दिल्ली कूच करना चाहा तो उन्हें गुड़गांव में गिरफ्तार कर लिया गया। हरियाणा पुलिस ने उनसे कहा कि वे पैदल दिल्ली जा सकते हैं, वाहनों में नहीं।