प्रधानमंत्री मोदी के विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ के चेयरमैन बनने के पोस्ट सोशल मीडिया पर शेयर किये जा रहे हैं। ट्विटर और फ़ेसबुक पर ऐसे पोस्ट के साथ लिखा जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी के WHO चेयरमैन बनने पर बधाई रुकनी नहीं चाहिए।
हीरा नेगी नाम के ट्विटर हैंडल से लिखा है गया है, 'हम सभी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को डब्ल्यूएचओ के चेरयमैन बनने पर दिल से बधाइयाँ देते हैं। भगवान उनको आशीर्वाद दें और स्वस्थ रखें।'
इसी तरह फ़ेसबुक पर 'मेघराज नागर जैपला- भारतीय' नाम के यूजर ने लिखा है कि मोदी जी 22 मई से डब्ल्यूएचओ चेयरमैन बने। उसने कई देशों में कोरोना मरीज़ों की संख्या से तुलना करते हुए लिखा है कि 'मोदी है तो ज़िंदा हो वरना और कोई होता तो हाथ उठा दिए होते।' इसमें प्रधानमंत्री मोदी की तसवीर वाले मीम शेयर करते हुए यूजर ने लिखा है, 'तुम लाख कोशिश कर लो मुझे बदनाम करने की, मैं जब भी बिखरा हूँ दुगनी रफ़्तार से निखरा हूँ।'
ख़ुद को राजनीतिक टिप्पणीकार बताने वाले पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने लिखा है कि 'प्रधानमंत्री मोदीजी बने WHO के चेयरमैन!' इसके साथ ही उन्होंने लिखा है कि यह गौरवान्वित क्षण है, सभी राष्ट्रवादियों के लिए बहुत..बधाई व शुभकामनाएँ!
तो क्या इसमें कोई सच्चाई है दरअसल, डब्ल्यूएचओ के चेयरमैन का कोई पद ही नहीं है। डब्ल्यूएचओ में सबसे बड़ा पद होता है डायरेक्टर जनरल यानी महानिदेशक का। इस पद पर डॉ. टेड्रोस आधानोम पहले से ही काबिज हैं। फ़ैक्ट चेक करने वाली वेबसाइट 'आल्ट न्यूज़' ने भी लिखा है, 'डायरेक्टर जनरल के अलावा, WHO में दो तरह की बॉडीज़ काम करती हैं – पहली, वर्ल्ड हेल्थ असेंबली और दूसरी एग्ज़ीक्यूटिव बोर्ड। वर्ल्ड हेल्थ असेंबली के ज़रिए सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधि उन एजेंडा पर काम करते हैं जिन्हें एग्ज़ीक्यूटिव बोर्ड द्वारा तैयार किया जाता है। एग्ज़ीक्यूटिव बोर्ड में तकनीकी रूप से योग्य 34 सदस्यों को 3 साल के कार्यकाल के लिए चुना जाता है।'
अभी यह मामला इसलिए आया है कि एग्ज़ीक्यूटिव बोर्ड के चेयरमैन और दूसरे सदस्यों का चुनाव हुआ है। इसमें 20 मई को केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को एग्ज़ीक्यूटिव बोर्ड के चेयरमैन चुने जाने की घोषणा की गई है। WHO के कार्यकारी बोर्ड का मुख्य कार्य हेल्थ असेंबली की ओर से लिए गए निर्णय और नीतियों को लागू करना तथा इसके कार्य को सुविधाजनक बनाना है। रिपोर्टों में कहा गया है कि यह पद एक साल के लिए होता है। एग्ज़ीक्यूटिव बोर्ड के चेयरमैन चुने जाने पर डॉ. हर्षवर्धन ने भी ट्वीट किया है।
इससे साफ़ होता है कि डब्ल्यूएचओ के चेयरमैन का कोई पद होता ही नहीं है। लेकिन इस संस्था के एग्ज़ीक्यूटिव बोर्ड में एक चेयरमैन पद होता है। इसमें भी डॉ. हर्षवर्धन को चेयरमैन चुना गया है, न कि प्रधानमंत्री मोदी को। यानी प्रधानमंत्री मोदी के डब्ल्यूएचओ का चेयरमैन चुने जाने का दावा ग़लत है।